मीडिया और समाज में व्याप्त नकारात्मकता का मुकाबला करना, 2047 तक पूरे भारत और विश्व स्तर पर एक सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लक्ष्य को लेकर पंद्रह दिवसीय आजादी पर्व के 10 वें दिन 10 अगस्त 2025 को नई दिल्ली स्थित रामकृष्ण मिशन के शारदा ऑडिटोरियम में आरजेएस पीबीएच -आरजेएस मीडिया आंदोलन के संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने धर्मपत्नी श्रीमती बिन्दा मन्ना के सहयोग से एक महत्वपूर्ण पारिवारिक सम्मेलन आयोजित किया।श्रीमन्ना ने बताया कि इसमें पाॅजिटिव मीडिया के 225पृष्ठों के पांचवें “ग्रंथ” का विमोचन ,अंतर्राष्ट्रीय फैमिली(पति-पत्नी) अवार्ड्स व देशभक्ति और सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ संपन्न हो गया।।आध्यात्मिक नेताओं और मीडिया दिग्गजों से लेकर अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक समर्थकों और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं तक विभिन्न पृष्ठभूमि के वक्ताओं ने “समाधानपरक पत्रकारिता” की तत्काल आवश्यकता, आम लोगों की सफलता की कहानियों के दस्तावेजीकरण, और आरजेएस आंदोलन के अद्वितीय, स्व-वित्तपोषित और परिवार-समावेशी दृष्टिकोण के साथ दस्तावेजीकरण पर जोर दिया। नकारात्मकता के खिलाफ एक “स्वतंत्रता आंदोलन” के समान बताया, जिसका महत्वाकांक्षी लक्ष्य 2047 तक भारत को बदलना है।
इस अवसर पर रामकृष्ण मिशन के सचिव स्वामी सर्वलोकाननंद जी के सानिध्य में और मुख्य अतिथि प्रोफेसर डा. के. जी. सुरेश के मार्गदर्शन से नई दिशा मिली, जिससे “सक्सेस स्टोरी ऑफ काॅमन मैन” का आगाज हुआ,जिसे धन्यवाद ज्ञापन में टीफा25 सरिता कपूर ने साझा किया।
आइसीसीआर, विदेश मंत्रालय के निदेशक सुनील कुमार सिंह, बीके मेधा बहन,बीके लता बहन , अमेरिका की हिंदी सेवी डा. भानूश्री सिसोदिया, कनाडा के कवि गोपाल बघेल मधु, नितिन मेहता,एमबीई,लंदन के प्रतिनिधि , डा.ए के मर्चेंट, डीडी न्यूज की शहला निगार,आजतक से सुशांत कुमार, देवास के कबीर भजन गायक दयाराम सारोलिया, भरतनाट्यम की बाल कलाकार याना सुरेश,टीफा25 से सरिता कपूर, प्रभात नमकीन के निदेशक लक्ष्मण प्रसाद और कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी प्रखर वार्ष्णेय, मंच संचालन आकांक्षा मन्ना,टेक्निकल टीम हेड मयंक राज आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। आरजेएस के राष्ट्रीय पर्यवेक्षक दिल्ली सरकार के पूर्व ओएसडी तथा एमसीडी के निदेशक दीप माथुर ने अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि ये सकारात्मक आंदोलन का प्रकाश आरजेसियंस को मिलकर घर-घर पहुंचाना है।
रामकृष्ण मिशन के सचिव स्वामी सर्वलोकानंद ने “सकारात्मक पत्रकारिता” की जोरदार वकालत की, मीडिया आउटलेट्स से आग्रह किया कि वे राष्ट्र भर में हो रही कई अच्छी पहलों और सफलता की कहानियों पर ध्यान केंद्रित करें जो अक्सर अनरिपोर्टेड रह जाती हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “सही और प्रामाणिक जानकारी राष्ट्रीय प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है,” और नकारात्मक रिपोर्टिंग के “गठजोड़ को तोड़ने” के लिए एक सामूहिक प्रयास का आह्वान किया जो “मन को प्रभावित करता है।” उन्होंने भगवद गीता को “शुद्ध सकारात्मकता” का स्रोत बताया, जो किसी भी नकारात्मकता से रहित है।
मुख्य अतिथि आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और इंडिया हैबिटेट सेंटर के निदेशक प्रोफेसर के.जी. सुरेश ने “समाधानपरक पत्रकारिता” की जोरदार वकालत की, जो केवल समस्याओं के बजाय समाधानों और सकारात्मक परिणामों पर ध्यान केंद्रित करती है। उनका सबसे प्रभावशाली बिंदु “आम लोगों की सफलता की कहानियों” – जिसे उन्होंने “महान भारतीय सपना” कहा – के दस्तावेजीकरण का आह्वान था, यह तर्क देते हुए कि ये आख्यान युवाओं को प्रेरित करने और एक सकारात्मक राष्ट्रीय आख्यान को आकार देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रोफेसर सुरेश ने स्वामी विवेकानंद के किसी भी नए आंदोलन के तीन चरणों को स्पष्ट किया: “उपहास,” “विरोध,” और अंत में, “स्वीकृति,” यह विश्वास व्यक्त करते हुए कि आरजेएस आंदोलन स्वीकृति के चरण की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने मीडिया को सकारात्मक परिवर्तन के लिए “बल गुणक” (force multiplier) बनने और “समाज को स्वयं सकारात्मक बनने” की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने डिजिटल युग में “प्रोज़्यूमर्स” (सामग्री के निर्माता और उपभोक्ता) की अवधारणा पर भी प्रकाश डाला, सभी से सकारात्मक योगदान करने का आग्रह किया। प्रोफेसर सुरेश ने एक युवा व्यक्ति, श्रीकांत श्रद्धा के बारे में एक व्यक्तिगत किस्सा साझा किया, जो वेटर और बस कंडक्टर से नौकरी पाने और प्रधानमंत्री के साथ विदेश यात्रा करने तक पहुंचा, जो आम लोगों की “अकल्पनीय” सफलता की कहानियों को दर्शाता है जिन्हें प्रलेखित करने की आवश्यकता है। उन्होंने घोषणा की कि “आम लोगों की सफलता की कहानी” आरजेएस आंदोलन का नया, केंद्रित विषय होगा।
कार्यक्रम की शुरुआत आरजेएस स्टार कलाकार सुरेंद्र आनंद ने “आँ चल के तुझे मैं लेके चलूँ” और एक जोशीले देशभक्ति गीत की प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जिसमें शांति, प्रेम और राष्ट्रीय एकता के विषय गूंज रहे थे। इसके बाद, देवास, मध्य प्रदेश के दूरदर्शन -आकाशवाणी कबीर लोक गायक कलाकार दयाराम सरोलिया (हारमोनियम) व साथियों नंदकिशोर (मंजीरा) और ढोलक पर अंकित मालवीय ने हृदयस्पर्शी कबीर भजन प्रस्तुत किए, जिनमें आंतरिक शांति, सार्वभौमिक प्रेम और ईश्वर की सर्वव्यापकता के गहन संदेश निहित थे। प्रोफेसर के.जी. सुरेश की बेटी, युवा भरतनाट्यम कलाकार याना सुरेश ने एक शास्त्रीय नृत्य प्रदर्शन से मंच की शोभा बढ़ाई, जो आंदोलन के सकारात्मक लोकाचार में युवाओं और पारंपरिक कलाओं के एकीकरण का प्रतीक था।
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर), विदेश मंत्रालय के निदेशक सुनील कुमार सिंह ने आरजेएस आंदोलन की महत्वपूर्ण उपलब्धियों की सराहना की, जिसमें 411 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार और पांच “महाग्रंथों” का प्रकाशन शामिल है। उन्होंने आंदोलन की वैश्विक पहुंच पर जोर दिया, जिसमें 25-30 देशों की भागीदारी है, जिससे “सांस्कृतिक और भाषाई आदान-प्रदान” सुविधाजनक होता है। सिंह ने सकारात्मक कहानियों के दस्तावेजीकरण के महत्व और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक “विरासत” और “दस्तावेज” बनाने में आंदोलन की भूमिका पर जोर दिया, विशेष रूप से “सकारात्मक स्वतंत्रता सेनानियों” (सकारात्मक सेनानी) के योगदान पर ध्यान केंद्रित करते हुए। उन्होंने तर्क दिया कि इन “सकारात्मक सेनानियों” को पारंपरिक स्वतंत्रता सेनानियों के समान सुविधाएं और मान्यता मिलनी चाहिए, जिसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अनुसंधान के लिए विषयों को मंजूरी दे और फेलोशिप प्रदान करे।
आरजेएस आंदोलन की आध्यात्मिक नींव को ब्रह्मकुमारी संस्थान का प्रतिनिधित्व करने वाली बीके मेधा बहन जी ने और स्पष्ट किया। उन्होंने आंतरिक शांति प्राप्त करने और एक “विश्व गुरु” – यानी देने वाला – बनने पर एक प्रवचन दिया। बहन जी ने व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के लिए आवश्यक गुणों के रूप में “5 पी” – शक्ति (Power), प्रतिष्ठा (Prestige), उत्पादकता (Productive), धैर्य (Patience) और पवित्रता (Purity) – का परिचय दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नकारात्मक सोच समस्याओं को हल नहीं करती और समय व ऊर्जा के “उद्देश्यपूर्ण” उपयोग की वकालत की। उन्होंने दृढ़ता से कहा, “पवित्रता अन्य सभी सकारात्मक गुणों की नींव है,” और मन को शुद्ध करने तथा सकारात्मक मानसिकता विकसित करने के लिए दैनिक आध्यात्मिक अभ्यास की आवश्यकता पर बल दिया।
आरजेएस सकारात्मक मीडिया आंदोलन के संस्थापक के दूरदर्शी उदय कुमार मन्ना ने समाज में नकारात्मकता का मुकाबला करने और सकारात्मकता को बढ़ावा देने के आंदोलन के मूल मिशन को लगातार दोहराया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह आंदोलन स्व-वित्तपोषित है, “बिना किसी सरकारी मदद, बिना किसी सरकारी फंडिंग” के संचालित होता है, इसे नकारात्मकता के खिलाफ एक “स्वतंत्रता आंदोलन” के समान बताया, जिसका महत्वाकांक्षी लक्ष्य 2047 तक भारत को बदलना है।श्री मन्ना ने आंदोलन के इतिहास और इसके द्वारा उजागर की गई सकारात्मक कहानियों के दस्तावेजीकरण के महत्व पर जोर दिया, प्रकाशित पुस्तकों को “शोध पत्र” या “ग्रंथ” (पवित्र ग्रंथ) के रूप में संदर्भित किया। उन्होंने विशेष रूप से परिवार की भागीदारी के महत्व पर प्रकाश डाला, यह देखते हुए कि “कई उपस्थित लोग अपने जीवनसाथी और बच्चों के साथ आए थे,” जो सामाजिक परिवर्तन के लिए आंदोलन के समग्र दृष्टिकोण का प्रतीक है।
इस आयोजन में आरजेएस आंदोलन की महत्वपूर्ण वैश्विक उपस्थिति और सांस्कृतिक कूटनीति के प्रति उसकी प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित हुई। सिक्रेसिस यूनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क, यूएसए से डॉ. भानुश्री सिसोदिया ने संयुक्त राज्य अमेरिका में हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के अपने गहरे जुनून को साझा किया, जिसमें उनके 19 वर्षों के शिक्षण अनुभव का उल्लेख किया गया। उन्होंने अपने काम को अपने देश की संस्कृति को विदेशों में आगे बढ़ाने के लिए एक “सुनहरा अवसर” माना और इस उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए आरजेएस आंदोलन से जुड़ने की तीव्र इच्छा व्यक्त की। कनाडा से आए एक प्रतिभागी गोपाल भगेल मधु ने भारत में 28 साल काम करने के बाद कनाडा जाने की अपनी यात्रा साझा की। उन्होंने कई भाषाओं में प्रकाशित अपनी साहित्यिक कृतियों पर प्रकाश डाला और सार्वभौमिक प्रेम और आंतरिक प्रकाश के विषयों पर जोर देते हुए एक आध्यात्मिक कविता का पाठ किया, जो आरजेएस संदेश की व्यापक अपील को दर्शाता है।
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर), विदेश मंत्रालय के निदेशक सुनील कुमार सिंह ने आरजेएस आंदोलन की महत्वपूर्ण उपलब्धियों की सराहना की, जिसमें 411 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार और पांच “ग्रंथों” का प्रकाशन शामिल है। उन्होंने आंदोलन की वैश्विक पहुंच पर जोर दिया, जिसमें 25-30 देशों की भागीदारी है, जिससे “सांस्कृतिक और भाषाई आदान-प्रदान” सुविधाजनक होता है। श्री सुनील कुमार सिंह ने सकारात्मक कहानियों के दस्तावेजीकरण के महत्व और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक “विरासत” और “दस्तावेज” बनाने में आंदोलन की भूमिका पर जोर दिया।
आरजेएस पीबीएच के राष्ट्रीय पर्यवेक्षक और दिल्ली सरकार के पूर्व ओएसडी तथा एमसीडी के पूर्व निदेशक दीप माथुर ने संक्षिप्त टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने आरजेएस आंदोलन के लिए अपने लंबे समय से चले आ रहे समर्थन को व्यक्त कियाऔर उदय कुमार मन्ना को आंदोलन शुरू करने और बनाए रखने का श्रेय दिया। टीफा 25 की एक प्रमुख सदस्या सरिता कपूर ने आरजेएस आंदोलन के माध्यम से अपने व्यक्तिगत परिवर्तन को साझा किया, यह बताते हुए कि कैसे इसने उनके जीवन में सकारात्मकता भर दी। उन्होंने परिवार की भागीदारी के महत्व पर जोर दिया, गर्व से कहा कि उनके बेटे और पति भी इसमें भाग लेते हैं। उन्होंने बीके मेधा बहन जी के “5 पी” को दोहराया, विशेष रूप से “पवित्रता” को अन्य सभी सकारात्मक गुणों की नींव के रूप में उजागर किया।
इस कार्यक्रम में एक पुरस्कार समारोह भी शामिल था, जिसमें सकारात्मक मीडिया और सामाजिक उत्थान में उनके योगदान के लिए व्यक्तियों और जोड़ों को सम्मानित किया गया। सम्मानित व्यक्तियों में प्रो. के.जी. सुरेश और श्रीमती -श्रीमती मंजूलता, प्रफुल्ल डी शेठ -रंजनबेन शेठ, वडोदरा, गुजरात, सुनील कुमार सिंह और श्रीमती पुष्पांजलि, और श्रीमती मंजुलता, डा.भानूश्री सिसोदिया – हर्ष विजय सिसोदिया, (अमेरिका), गोपाल बघेल मधु -श्रीमती आशा बघेल (कनाडा),नितिन मेहता (एमबीई, यूके)-श्रीमती प्रतिभा मेहता , श्रीमती कुसुम नैपसिक – पीटर नैपसिक(अमेरिका), अजय वर्मा – श्रीमती शालिनी वर्मा (दोहा,कतर), डा.हरिसिंह पाल- श्रीमती पुष्पा पाॅल, दयाराम सारोलिया -श्रीमती रेखा देवी सारोलिया(देवास), दयाराम मालवीय -श्रीमती विलम बाई मालवीय(देवास), श्रीमती कविता परिहार – अर्जुन सिंह परिहार, श्रीमती रति चौबे-अधिवक्ता दिनेश चौबे, श्रीमती निशा चतुर्वेदी – महेशचंद चतुर्वेदी(मरणोपरांत), सुशांत कुमार और डॉ. दीपा रानी, निखिलेश कुमार और श्रीमती अंशिका मिश्रा, गोपाल बघेल मधु और श्रीमती आशा बघेल, श्रीमती सरिता कपूर और अरविंद कपूर, डॉ. गौरव फुल्ल और श्रीमती रेखा फुल्ल, लक्ष्मण प्रसाद और श्रीमती रीता देवी, श्रीमती स्वीटी पॉल और स्व० अजय पाॅल(मरणोपरांत), डॉ. ए.के. मर्चेंट और श्रीमती मेहनाज मर्चेंट, साधक ओमप्रकाश -श्रीमती कौशल्या देवी, राजेंद्र सिंह कुशवाहा और श्रीमती रमा कुशवाहा और श्रीमती शहला निगार शामिल थे, जिन्हें आरजेएस पीबीएच का ग्लोबल पॉजिटिव मीडिया फैमिली अवार्ड 2024-25 प्रदान किया गया हुआ। भरतनाट्यम की बाल नृत्यांगना सुश्री याना सुरेश को पॉजिटिव मीडिया आर्टिस्ट अवार्ड 2024-25 से सम्मानित किया गया। पाॅजिटिव मीडिया अवार्ड प्रखर वार्ष्णेय, मयंक राज, आकांक्षा मन्ना, खुश्बू झा, प्रशांत यादव शकीर फारूकी ,विकास थापा ,गगनदीप सिंह, जान्ह्वी भाटिया आदि को प्रदान किया गया।
कार्यक्रम का समापन एक इंटरैक्टिव साझाकरण सत्र के साथ हुआ, जहाँ आरजेएस के 2047 तक के मीडिया इंचार्ज और डेली डायरी न्यूज़ से प्रखर वार्ष्णेय ने उपस्थित लोगों से संक्षिप्त टिप्पणियाँ प्रस्तुत करने की सुविधा प्रदान की। उनका पदनाम आरजेएस सकारात्मक मीडिया आंदोलन के दीर्घकालिक दृष्टिकोण और निरंतरता को दर्शाता है, जो 2047 तक सकारात्मक मीडिया और सामाजिक परिवर्तन के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए नेतृत्व की नई पीढ़ी में संक्रमण पर जोर देता है।
आरजेएस सकारात्मक मीडिया आंदोलन का हालिया सम्मेलन भारत के भविष्य के लिए उसके समग्र और महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण का एक शक्तिशाली प्रमाण था। अपने पांचवें “महाग्रंथ” का विमोचन करके, “समाधानपरक पत्रकारिता” की वकालत करके, और आम लोगों के “महान भारतीय सपने” को दस्तावेजित करने के लिए प्रतिबद्ध होकर, आरजेएस सक्रिय रूप से एक स्थायी विरासत का निर्माण कर रहा है। आध्यात्मिक मूल्यों, परिवार की भागीदारी और एक वैश्विक दृष्टिकोण के मिश्रण से प्रेरित यह स्व-वित्तपोषित आंदोलन, नकारात्मक मीडिया की यथास्थिति की केवल आलोचना नहीं कर रहा है, बल्कि सक्रिय रूप से एक विश्वसनीय, सकारात्मक आख्यान का निर्माण कर रहा है। इस आयोजन ने आरजेएस के लचीलेपन, उसकी बढ़ती स्वीकृति और 2047 तक सकारात्मकता, एकता और रोजमर्रा की उपलब्धियों के उत्सव से परिभाषित भविष्य की ओर एक राष्ट्र को प्रेरित करने के उसके अटूट संकल्प को रेखांकित किया।