लॉकडाउन की वजह से देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए एंटी कोरोना टॉस्क फोर्स की ओर से शुरू की गई डीजिटल मुहिम चलो घर चलें अभियान का ही असर है कि लोग अपने घरों तक पहुंच सके हैं।
इस मुहिम की शुरुआत करते हुए देश के जाने माने राजनीतिक रणनीतिकार व एसीटीएफ के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. कृष्ण कुमार झा ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों, पर्यटकों व छात्र-छात्राओं की परेशानी से अवगत कराया था और उन्हें अपने अपने राज्यों में भेजने की व्यवस्था करने का आग्रह किया था। एसीटीएफ ने इस संबंध में क्रमशः 19, 24 और 26 अप्रैल को पत्रांक संख्या 432, 621 और 654 में अन्य राज्यों में फंसे श्रमिकों, पर्यटकों व छात्र-छात्राओं की परेशानियों को रेखांकित करते हुए भारत सरकार को तीन पत्र लिखे थे। जिस पर संज्ञान लेते हुए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में गृहमंत्री अमित शाह ने दूसरे राज्यों में फंसे अपने लोगों को वापस लाने के लिए सभी राज्य सरकारों को छूट दे दी थी।
भारत सरकार के इस फैसले से लॉकडाउन के चलते विभिन्न राज्यों में फंसे हजारों मजदूर, सैलानी और छात्र-छात्राएं उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार व झारखंड में अपने गंतव्य तक जा सके हैं। बाकी बचे लोगों के लिए भी रेलवे की ओर से लगातार श्रमिक ट्रेनें चलाई जा रही हैं। एक सवाल के जवाब में डॉ. कृष्ण कुमार ने केंद्र सरकार के बिपक्ष को घेरा और भाड़ा वाले उस आरोप को बिल्कुल निराधार बताया जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य की सरकारें मजदूरों से रेलवे किराया वसूल रही है। उन्होंने कहा कि इनका किराया 85 फीसदी केंद्र सरकार दे रही है और बाकी 15 फीसदी राज्य सरकारों को देना है। कृष्ण झा ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित करार देते हुए कहा कि यह वक्त सियासत करने का नहीं बल्कि लोगों की मदद करने का है। ज्ञात हो कि एसीटीएफ प्रवासियों की मुश्किलें आसान करने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का काम भी कर रही है। इसके लिए एक ऑनलाइन फार्म भरना होता है। इन फार्मों की जांच करने के बाद इन्हें विभिन्न राज्य सरकारों के पास भेजा जा रहा है। इससे राज्य सरकारों को यह तय करने में आसानी हो रही है कि कितनी ट्रेनों की आवश्यकता है। कृष्ण कुमार ने बताया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनें जिस स्टेशन से चलेंगी और जहां तक इनका रूट तय किया गया है उनके बीच पड़ने वाले स्टेशनों में ये कहीं नहीं रुकेंगी और इनमें सवार यात्री को वहां की राज्य सरकारें 14 से 21 दिन तक क्वारंटाइन में रखेंगी क्योंकि इन यात्रियों में से अगर कोई भी कोरोना संक्रमित निकला तो वह बड़ा खतरा बन सकता है।