औलाद की तड़प !

सर्दियों के दिन थे और रात के नौ बज चुके थे, कपिल देव, उम्र लगभग पैंतालीस वर्ष, अपने काम से छुट्टी के बाद घर वापिस आ रहा था , वैसे उसकी छुटी तो तीन घंटे पहले की हो चुकी थी, लेकिन अपने दोस्तों के साथ पीने खाने की आदत की वजह से वह अक्सर आठ नौ बजे ही घर आया करता था, उस दिन भी गिरता पड़ता, लडख़ड़ाता हुआ जैसे तैसे अपने गाँव  पहुँचने ही वाला था, शराब के नशे में अपने घर की तरफ जाने वाली गली से झूमता हुआ जा रहा था, वह कुछ भूलना चाहता था और सोच भी रहा था, कि आज घर जाकर कौनसा बहाना बनाया जाये कि  उसकी पत्नी गरिमा ज़्यादा चीखे चिल्लाये बिना उसे घर में आने दे ! ऐसे चलते – २ वह एक चौक में बिजली के खंम्बे का सहारा लेने के लिए धीरे – २ आगे बढ़ रहा था कि अचानक उसे किसी के भागते हुए आने की पैरों की थप २ की आवाज़ सुनाई दी, वह भागते हुए व्यक्ति को और हालात को समझने की कोशिश कर ही रहा था, कि इतने में एक लड़की भागती हुई आई और आकर उसे चिपक गई और कहने लगी , “अंकल प्लीज ! मुझे बचा लो ! मुझे बचा लो ! यह दो लड़के कब से मेरा पीछा कर रहे हैं !”

कपिल ने एक नज़र लड़की को गौर से देखा और फिर उन दो लड़कों को, जो उससे थोड़ी दूरी पर आकर रुक गए और कपिल  की प्रतिक्रिया का इन्तज़ार करने लगे ! इधर डरी हुई, सहमी हुई लड़की ने उसे कस के कमर से पकड़ लिया था, जैसे किसी डूबते हुए बन्दे को अचानक बचने का कोई सहारा मिल गया हो ! स्तिथि को भांपकर कपिल ने लड़की के कंधे पर हाथ रखते हुए उसे हौंसला देने की मुद्रा में  हाथ ऊपर उठाया और फिर लड़कों से जोरदार आवाज़ में बोला, “तुम्हें शर्म नहीं आती, अकेली लड़की देखकर उसे परेशान कर रहे हो ? कौन हो तुम ? इस गाँव  के दिखते नहीं हो ?” दोनों लड़के भी उसकी दमदार आवाज़ सुनकर थोड़ा घबरा गए और फ़िर एक दूसरे को देखने लगे ! कपिल उसी लहजे में  उनको धमकाते हुए फिर बोला, “क्या नाम है तुम्हारा ? आवारागर्द कहीं के ? मैं अभी पुलिस को बुलाता हूँ ?”  इतना कहते ही उसने अपनी जेब से मोबाइल फ़ोन निकाला, शराब के नशे में  होने की वजह से वह फ़ोन अभी ऑन भी नहीं कर पाया था , लेकिन पुलिस का नाम सुनकर दोनों लड़के पीछे मुड़कर जल्दी २ चल दिए ! कपिल ने फ़ोन वापिस अपनी जेब में रख लिया और लड़की से पूछने लगा, “बेटा ! तुम कौन हो ? कहाँ  रहती हो और इतनी रात को तुम बाहर  कैसे घूम रही हो ?” लड़की ने भी धीरे से उत्तर दिया , “सुजाता !” क्या ? “जी मेरा नाम सुजाता है और मैं अपने घर से भाग आई हूँ !” लड़की ने आँखों से आँसू पोंछते हुए उत्तर दिया ! “घर से क्यों भागी हो?” “जी , मेरे माँ बाप नहीं हैं, इसलिए भाग आई हूँ !” 

कपिल ने लड़की को फ़िर से ध्यान से देखा , उसकी उम्र लगभग 15/16 वर्ष लग रही थी ! अब लड़की ने भी कपिल को गौर से देखा कि यह आदमी तो शराबी है, कहीं ऐसा ना  हो कि वह किसी का सहारा लेने के चक्र में  किसी और बड़ी मुसीबत में फंस जाए ? यही सोचकर वह भी दूसरी तरफ़ घूम गई और अभी धीरे २ तीन चार कदम ही गई थी और फिर रूककर सोचने लगी – अगर कहीं वोह लफंगे लड़के गली के दूसरे मोड़ पर खड़े हों , तो फिर वह कहां जाएगी और सहायता के लिए किसको बुलाएगी ? यही सोचकर वह फिर से वहीं खड़ी रहकर अंकल की तरफ़  देखने लगी ! उधर कपिल देव भी उसकी परेशानी भाँपते  हुए उसे विश्वास दिलाते हुए बोला, “देखो ! रात हो रही है, चलना चाहो तो तुम मेरे साथ, मेरे घर आ सकती हो, वैसे भी इस वक़्त तुम और कहाँ जायोगी ? चिंता मत करो , मैं तुम्हारे बाप की उम्र का हूँ !”  कपिल देव की जुबान से “बाप” लफ़्ज़  सुनकर उसे थोड़ा यकीन हो गया और वह धीरे २ चलते हुए उसके साथ , उसके घर चलने का उसने मन बना लिया ! 

अपने घर पहुँचकर कपिल देव ने दरवाज़ा खटखटाया, अंदर से भो जोर से आवाज़ आई, “आती हूँ , शराबी कहीं के ?” इतना कहते हुए उसकी पत्नी गरिमा ने दरवाज़ा खोला और एक तरफ़ होकर उसे अंदर आने को इशारा किया ! कपिल देव के पीछे – २ जब वह लड़की भी अंदर आ गई, तो उसकी पत्नी ने पूछा, “यह लड़की कौन है, और तुम्हारे साथ यह कैसे है ?” कपिल ने बड़े ठहराव से उत्तर दिया , “बेटी है, उसे घर आने दो, पानी पिलायो , फ़िर मैं तुम्हें सारी बात बता देता हूँ !”  गरिमा भी बड़ी हैरान परेशान थी , ख़ैर वह दोनों के लिए पानी लाई और दोनों को पानी का गिलास देते हुए लड़की को बड़े गौर से देखने लगी, और लड़की भी आंटी को चोरी २ देखने लगी ! अबतक कपिल देव की दारू काफ़ी हद तक उत्तर चुकी थी और वह पत्नी को समझाने की कोशिश करने लगा, “देखो ! यह लड़की सुजाता है , और यह बड़ी परेशान गली में  घूम रही थी और लफंगे किस्म के दो लड़के इसे परेशान करने की फ़िराक़ में थे , इसने मेरे से सहायता मांगी और मैं इसे अपनी बेटी मानकर घर ले आया, और अब तुम कोई हंगामा मत करना ! चलो खाना लगा दो, खाना खाने के बाद जो इससे जो पूछना हो , पूछ लेना , लेकिन घर से हरगिज़ नहीं निकालना !” गरिमा खाना गर्म करने के लिए रसोई में चली गई और कपिल ने सुजाता से कहा, “बेटा ! तुम वहाँ वाशबेसिन पे जाकर हाथ मुँह धो लो , फ़िर खाना खाएंगे !” 

खाना खाने के बाद गरिमा ने सुजाता को दूसरा कमरे दिखाया और उसे समझाते हुए बोली, “बेटा ! अब तुम यहाँ आराम से सो जायो , बाकी बातें सुबह करेंगे !” अगले दिन की नई सुबह, सुजाता के साथ – २ कपिल और गरिमा के लिए भी नया दिन लेकर आई ! चाय पीने के बाद गरिमा ने कपिल और सुजाता को सुनाकर बोला, “देखो ! हम किसी की बेटी को ऐसे ही अपने घर नहीं रख सकते, आप सरपंच के घर जायो और उनको पूरी कहानी बताकर बात करो और पूछो – कि इसके आगे हमें क्या करना चाहिए ? ऐसा न हो कि कल को लोग हम पर ही ऊँगली उठाने लग जाएं !” पत्नी की बात मानकर कपिल उठा और सरपंच के घर जाने से पहले उसने भी सुजाता को समझाया , “देखो बेटा ! तुम हमारे लिए बेटी जैसी ही हो, इस घर में तुम्हें कोई परेशान नहीं करेगा, लेकिन हम भी तुम्हें ज़्यादा  दिन ऐसे अपने घर रख नहीं सकते, गाँव की पँचायत से बात तो करनी ही पड़ेगी !” इतना बोलकर कपिल सरपंच के घर की ओर चल दिया !   

थोड़ी ही देर बाद कपिल अपने गाँव के सरपंच गुलशन कुमार के घर पहुँच गया और उसे पिछले रात की सारी घटना सुनाई, पास ही खड़ी सरपंच की पत्नी भी कहानी सुनकर दंग रह गई ! पूरी बात सुनकर सरपंच गुलशन कुमार अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बोला , “कपिल ! यह तो वाक़्या ही बड़ा गंभीर मामला है, इसके लिए तो हमें पंचायत बुलानी पड़ेगी ! ऐसा करो, आज शुक्रवार है, आप दो दिन और उस लड़की को अपने घर रखो , आने वाले रविवार को सुबह ग्यारा बजे पंचायत की बैठक बुलाते हैं ! सरपंच की बात मानकर कपिल देव अपने घर आ गया और उसने अपनी पत्नी और सुजाता को समझा दिया कि अभी तो यह लड़की हमारे ही घर रहेगी, इतवार को पंचायत की सभा में इस मामले पर विचार विमर्श किया जायेगा! दोनों को यह बात समझाकर कपिल अपने काम पर चला गया, लेकिन जाने से पहले उसने पत्नी को बोल दिया कि लड़की को एक जोड़ी कपडे ले देना ! कल दोपहर जब से वह अपने घर से भागी थी, सारा दिन इधर उधर भटकती रही और तब से पूरे घटनाक्रम पर सोचने के बाद अब इस घर की सारी बातों से सुजाता को भी आभास हो रहा था कि इस घर वाले अच्छे लोग ही जान पड़ते हैं और इनके घर में  कोई और बच्चा भी नहीं है !

निश्चित की गई तारीख को कपिल देव अपनी पत्नी और सुजाता को लेकर पंचायत की बैठक के लिए पहुँच गया ! गाँव के चौकीदार मेवा राम ने सभी पंचायत सदस्यों को बुला रखा था और साथ में गाँव के आठ दस और लोग भी वहाँ पहुँच गए ! पंचायत घर में सरपंच गुलशन कुमार ने  कपिल से सबके सामने पूरी बात बताने के लिए बोला ! कपिल ने संक्षेप में  तीन दिन पहले की घटी पूरी कहानी सुना दी ! फिर सरपंच साहेब ने लड़की सुजाता से पूछा, “बेटा सुजाता ! आप अपने बारे में बताओ , तुम कौन हो और तुम्हारे माँ बाप कौन हैं और इससे पहले तुम कहाँ रहती थी ?” सरपंच के सवाल पर सुजाता थोड़ी डरी हुई, पंचायत से घबराई हुई सी, बताने लगी , “अंकल ! मेरा गाँव यहाँ से दस किलोमीटर की दूरी पर है , मेरे माता पिता दोनों इस दुनियाँ  में  नहीं हैं, एक दुर्घटना में उनकी मौत गई थी, तब से मैं अपने चाचा चाची के पास रहती थी , लेकिन मम्मी पापा के जाने के दो वर्षों के बाद ही मेरी चाची का रवैया मेरे लिए खराब होना शुरू हो गया, वह मेरे से घर के सारे काम करवाती है, उसने साफ़ लफ़्ज़ों में  बोल दिया है कि वह दसवीं के बाद मुझे स्कूल से भी हटा लेंगी, उसके अपने बच्चे पढ़ते हैं , लेकिन मुझे पढ़ने नहीं देती , मैं उससे बहुत परेशान होकर ही घर से भागी हूँ , वापिस वहाँ नहीं जाना चाहती !” गाँव  के दूसरे पंच ने पूछा , “अगर आप अपने चाचा के पास नहीं जाना चाहते , तो कहाँ रहोगी ?” सुजाता ने कपिल देव और उसकी पत्नी की तरफ़ इशारा करके उत्तर दिया , “मैं इन अंकल आंटी के पास रह लूंगी !” लड़की की बातें सुनकर वहाँ  मौजूद सभी लोग एक दूसरे की तरफ़ सवालिया दृष्टि से देखने लग गए ! फिर कुछ और सवाल जवाब भी हुए , लेकिन अंत में सरपंच ने सुजाता से पूछा, “बेटा ! अगर हम तुम्हारे गाँव जाकर तुम्हारे चाचा चाची से बात करें ?” “उनसे बात करने से भी कुछ नहीं होगा, वह लोग आपके सामने मुझे बेटी २ करते रहेंगे, लेकिन बाद में चाची फ़िर मेरी पिटाई करेगी और घर के काम में लगा देगी, इसी वजह से मैं एक वर्ष पहले भी घर से भागकर एक रिश्तेदार के घर चली गई थी, उन्होंने ने भी मुझे तीन दिन बाद फिर चाचा के घर छोड़ दिया था, वह मुझे ढंग से नहीं रखते और मैं भी वहाँ नहीं रहना चाहती !” 

सुजाता की बातें सुनकर सरपंच ने अपनी राय दी, यह मामला तो बहुत पेचीदा लग रहा हैं, मेरा ख्याल है कि इस मामले में अपने आप कोई फैसला करने की बजाये हमें पुलिस की सहायता भी लेनी चाहिए ! इतना बोलकर पंचायत की बैठक समाप्त हो गई और सरपंच ने बाकी पंचों से मशवरा  करके बोला, “ऐसा करते हैं, मैं इंस्पेक्टर रतन लाल को भी बुला लेता हूँ , उसके बाद हम लोग परसों शाम को इसी जगह बैठेंगे ! दूसरे दिन सरपंच गुलशन कुमार ने इंसपेक्टर रतन लाल भी मीटिंग में आने के लिए अनुरोध किया और बाकी पंचों को भी मंगलवार को वहाँ हाज़िर रहने के लिए बोल दिया ! इंस्पेक्टर रतन लाल अपने एक सहायक हवलदार तरसेम लाल के साथ बैठक में  पहुँच गया और कपिल देव , उसकी पत्नी गरिमा और लड़की सुजाता भी वहाँ पहुँच गए ! सरपंच गुलशन कुमार ने पुलिस को इस मामले की जानकारी देते हुए कपिल देव और उसके परिवार का परिचय दिया और बैठक की कार्यवाही शुरू हो गई ! सबसे पहले कपिल देव से पुलिस ने सवाल किया , “यह लड़की कौन है और आपको कहाँ  से और कैसे मिली ?” कपिल देव ने उसकी संक्षेप पिछले सप्ताह की घटना बता दी और फिर इंस्पेक्टर रतन लाल ने सुजाता से सवाल किया, “कपिल देव ने जो कुछ पंचायत को बताया है , क्या यह सही है !” लड़की ने “हाँ ” में  सिर हिलाया , लेकिन इंस्पेक्टर ने जोर से पूछा , “देखो ! यह पंचायत की कार्यवाही है , और तुम इनके घर की बेटी नहीं हो, अपनी जुबान से बताओ कि अगर हम तुम्हारे चाचा चाची के घर छोड़ आएं , तो तुम्हें मंजूर है ?” सुजाता ने उत्तर दिया , “नहीं सर ! मैं वहाँ  नहीं जाऊँगी !”  “क्यों नहीं जाना चाहती उनके घर, वह तो तेरे अपने सके रिश्तेदार हैं ?” “वो मेरे चाचा चाची तो हैं , लेकिन पिछले तीन चार वर्षों से मुझे अपनी बेटी नहीं , घर की नौकरानी ही समझने लग गए हैं, चाची मेरे से घर के सारे काम करवाती है, नहीं करने पे पिटाई करती है, पढ़ने को बैठूँ तो किताबें छीन लेती है ! मुझे खाना भी ढंग से नहीं देती, ना  ही मुझे अच्छे कपड़े पहनने को देती है,  मैं वहां नहीं जाना चाहती !” उसकी बात सुनकर वहाँ उपस्थित लोगों में धीमी आवाज़ में घुसर फ़ुसर शुरू हो गई और इतने में गाँव  का एक आदमी ने पूरे हालात पे टिप्पणी कर दी , “अगर तेरे चाचा चाची अच्छे नहीं हैं, तो यह कपिल कौनसा बढ़िया आदमी है ? यह भी तो अक्सर शराब पीता है, ऐसा आदमी एक बेटी को कैसे पालेगा ?” उसकी बात सुनकर कपिल को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसकी किसी ने दुखती रग पे हाथ रख दिया हो और उसने भरी पंचायत में अपना दर्द ब्यान कर दिया, “इंस्पेक्टर साहेब ! केवल यह बंदा ही नहीं , गाँव के कुछ और लोग भी मुझे शराबी ही समझते हैं, किसी ने आजतक मेरे अन्दर का दर्द समझने की कभी कोशिश नहीं की ?”  उसकी रोने जैसी आवाज़ सुनकर इंस्पेक्टर बोला , “हाँ ! आज तुम्हें इस पूरी पंचायत में बोलने का अवसर देते हैं , बताओ , क्या तुम अक्सर शराब पीते हो, अगर हाँ , तो क्यों ?” 

कपिल देव ने उत्तर दिया , “इंस्पेक्टर साहेब ! इस गाँव  के सरपंच , पंचों के साथ २ पूरा गाँव जानता है कि हमारी शादी तकरीबन 18 वर्ष पहले हुई थी, लेकिन आजतक मेरे घर कोई बच्चा नहीं हुआ, बाकी लोगों की तरह हम भी माता पिता बनना चाहते हैं , लेकिन भगवान  की मर्जी के सामने किसी की नहीं चलती, हमने तो यथासंभव अपना इलाज भी करवाया है, लेकिन हमें अपने बच्चे का मुँह देखना नसीब नहीं हुआ , मैं जानता हूँ , इस कमी वजह से मेरी पत्नी मेरे से ज्यादा परेशान रहती है, लेकिन इस समस्या के सामने किसी की नहीं चलती ! हम तबसे बच्चे के लिए तरस रहे हैं, तड़प रहे हैं, और बस इसी ग़म को भुलाने के लिए मैं दारू पीने लग गया !” इतना कहते २ कपिल देव रोने लग गया और उसकी पत्नी भी ! “जब यह लड़की उन लफंगों से बचने के लिए मेरे गले लगी थी, मैंने तब से इसको लेकर अपनी बेटी का ही तस्सुवर किया है ! अगर यह लड़की – सुजाता मेरे घर रहना चाहती है, तो मैं वादा करता हूँ , कि मैं शराब पीना छोड़ दूँगा ! वैसे भी अगर शादी के दो तीन वर्ष बाद हमारे घर भी बच्चा आ जाता, तो वोह भी लगभग इतना ही बड़ा होता जितनी बड़ी यह लड़की है !” उसका रोना और अंदर का दर्द सुनकर वहाँ उपस्थित बहुत से लोग द्रवित हो गए , लेकिन फिर किसी और आदमी ने अपना तर्क पेश किया, “सरपंच साहेब ! आप ही बताओ, क्या शराबी भी कभी दारू छोड़ता है ? इसके घर की तलाशी ली जाये तो आज भी घर से एक दो दारू की बोतलें मिल जाएंगी ?” इंस्पेक्टर ने कपिल से सवाल किया , “वैसे तो अभी यह कह पाना थोड़ी जल्दबाज़ी होगी कि यह लड़की तुम्हारी बेटी बन पायेगी या नहीं, लेकिन तुम्हारी शराब पीने की आदत का क्या भरोसा? याद रखना, बेटी को पढ़ाना लिखाना और पालना बड़ी जिम्मेवारी का काम होता है !” कपिल देव ने हाथ जोड़कर भरी पंचायत के सामने वचन दिया, “पिछले सप्ताह जब यह लड़की अचानक उन लफंगे लड़कों से बचने के लिए मेरे पास आई थी, मुझे अंकल बोलकर मेरे से लिपट गई थी, मैंने तो उसी क्षण इसे अपनी बेटी मान लिया था और तब से दारू की तरफ़ मेरा ध्यान भी नहीं गया, आप इस लड़की से भी पूछ सकते हैं, मेरे दिल में एहसास जाग गया था कि जब कोई बच्चा आपको अपना समझ के गले मिलता है, तो दिल में जो ममता का अहसास पनपता है, मैंने भी वही अनुभव किया है ! अब मैं पूरे गाँव के सामने वचन देता हूँ कि मैं इसे अपनी बेटी मानकर अपने घर रखूँगा और इसका पूरा – २ ध्यान रखूँगा ? इसके आने से हमें भी अपनी औलाद होने का एक विचित्र सा सुख और सुकून मिल जायेगा और हमारी ज़िन्दगी की बहुत बड़ी कमी दूर हो जाएगी !”  उसकी भावुकता के सामने सरपंच और इन्स्पेक्टर रतन लाल के दिल में भी सहानुभूति जग गई और वह पिघल गए , लेकिन इंस्पेक्टर ने सुजाता से पूछा, “बेटा ! क्या तुम इनके घर इनकी बेटी बनकर रहना चाहोगी ? तुम्हारे मन में अगर कोई बात है, तो सबके सामने बोल दो ?”  सुजाता ने उत्तर दिया , “मैं इनके घर रहने को तैयार हूँ , मुझे भी एक ऐसा घर चाहिए जो मुझे अपना सा लगे, लेकिन मेरी एक शर्त भी है ?” सरपंच बोला, “वह क्या, खुलकर बताओ ?” सुजाता ने उत्तर दिया, “मुझे पढ़ना लिखना बहुत अच्छा लगता हैं, अगर यह अंकल आंटी मुझे पढ़ाने से मना नहीं करें तो मैं इनकी बेटी बनने को तैयार हूँ !” इससे पहले कि गाँव का सरपंच या पुलिस इंस्पेक्टर इसके बारे में सवाल करते , कपिल देव ने सुजाता के सिर पर हाथ रखते हुए खुद ही उत्तर दे दिया, “सुजाता जितना पढ़ना चाहती है, पढ़ सकती है , जब इसे बेटी माना है, तो इसकी इच्छा अनुसार मैं इसे पढ़ाऊँगा भी , यह मेरा वादा रहा !”      

सारी स्थिति पर बातचीत होने पर सरपंच गुलशन कुमार ने पुलिस इंस्पेक्टर रतन लाल से सवाल किया , “इंस्पेक्टर साहेब ! क्या केवल कपिल देव , उसकी पत्नी और यह लड़की सुजाता के भरोसा दिलाने से ही इस लड़की का इनके घर रहना उचित होगा?” रतन लाल ने थोड़ा सोचकर उत्तर दिया, मेरा ख्याल है, नहीं !” कोई फ़ैसला करने से पहले इनको दो काम करने जरुरी हैं, ताकि भविष्य में  यह तीनों लोग किसी क़ानूनी मुसीबत में  ना पड़ जायें ! मेरा एक सुझाव है कि आप दो बन्दों को इस लड़की के गाँव इसके चाचा के घर भेजकर उनको इस यहाँ  पंचायत में बुलाना चाहिए ! फिर पंचायत के सामने उनको हम सबको यकीन दिलाना होगा कि वो इस लड़की को ढंग से रखेंगे ! यह लड़की भी पूरी पंचायत के सामने अपने चाचा चाची के साथ चलने को तैयार हो, तो वह लोग इसे ले जा सकते हैं ! लेकिन यदि वह यहाँ पंचायत में आने के लिए तैयार ना हों, तब मैं आपको अख़बार में छापने के लिए एक इश्तिहार (जिस किसी को भी इस मामले से सरोकार हो) बनाकर दूँगा, वह इश्तिहार कपिल देव एक लोकल अख़बार में छपवाएगा , उस इश्तेहार में लड़की की फोटो भी देनी होगी और अगर उस इश्तिहार के अख़बार में  छपने के तीस दिन बाद भी इस लड़की का कोई रिश्तेदार इसे लेने नहीं आता , फिर कपिल देव और इसकी पत्नी को लड़की को गोद लेने की बाकी की रस्म पूरी करनी होगी , यह क़ानूनी कार्यवाही पूरी होने के बाद सुजाता , कपिल देव और इसकी पत्नी की कानूनन बेटी बन जाएगी !  फ़िर सरपंच ने कपिल देव और उसकी पत्नी गरिमा से पूछा, “क्या आप लोग यह सारी कार्यवाही करने के लिए तैयार हो?” दोनों ने “हाँ” में  सिर हिलाकर अपनी रजामंदी जाहिर कर दी ! 

पंचायत में सबके सामने और इंस्पेक्टर रतन लाल के दिखलाये गए रास्ते अनुसार बनाई गई योजना पर अमल करते हुए अगले दिन सरपंच गुलशन कुमार ने अपने गाँव  के दो आदमी सुजाता के गाँव  उसके चाचा के घर भेज दिए और उन्होंने उसके घर जाकर लड़की के बारे में  पूछताश की ! जब सुजाता के चाचा ने उसके बारे में लापता होने की बात बताई , तब पंचायत के उन दो नुमाइन्दों ने उसको अपने गाँव की पंचायत द्वारा पुलिस की उपस्तिथि में की गई सारी कार्यवाही से अवगत करवाया ! तब पूरी स्थिति पर भेद खुल जाने के बाद उनके होश उड़ गए , सुजाता का चाचा तो उनके साथ दूसरे गाँव जाने के लिए सोच रहा था , लेकिन सुजाता की चाची ने उसे रोक दिया, “तुम्हारा दिमाग तो नहीं ख़राब हो गया ? उस मनहूस लड़की की समस्या अब हमेशा के लिए हल हो रही है, और तुम फिर से उसे यहाँ लाने की सोच रहे हो? मैं ऐसा हरगिज़ नहीं होने दूँगी ! आज के महँगाई के ज़माने में अपने दो बच्चों को ही पालना, पढ़ाना लिखाना कितना मुश्किल हो रहा है, अच्छा हुआ वह मुसीबत हमेशा के लिए समाप्त हो रही है! इतना बोलकर उसने पंचायत के दोनों नुमाइन्दों को वापिस भेज दिया ! उन दोनों प्रतिनिधियों ने अपने गाँव आकर सरपंच को सुजाता के चाचा चाची की रिपोर्ट बता दी ! 

तत्पश्चात, सरपंच गुलशन कुमार ने कपिल देव को इंस्पेक्टर रतन लाल द्वारा दिए गए सुझाव अनुसार अख़बार में  इश्तेहार देने के लिए बोल दिया, जोकि उसने दूसरे ही दिन शहर जाकर बनवा लिया और साथ में सुजाता की फोटो लेकर एक स्थानीय समाचार पत्र – “अजीत समाचार” में छपने के लिए दे दी ! अगले इतवार को वह इश्तेहार अख़बार में छप गया जिसकी एक कॉपी लेकर कपिल देव ने अपने पास सम्भाल के रख ली ताकि आगे की कार्यवाही करने में  कोई कठिनाई ना हो ! अब शुरू हो गया इश्तेहार छपने से तीस दिन की अवधि पूरी होने का इन्तज़ार, ताकि इसके बाद किसी एडवोकेट की सहायता लेकर बाकी की अदालती / सरकारी कार्यवाही भी निभाई जा सके ! इश्तेहार में  दी गई अवधि के दौरान लड़की के चाचा चाची या उसके किसी और रिश्तेदार की तरफ़ से सुजाता के लिए कोई भी दावा पेश नहीं किया गया ! इसके पश्चात कपिल देव और पत्नी अपनी बेटी सुजाता को लेकर एक एडवोकेट से मिले और उससे अदालती कार्यवाही आरम्भ करवा दी ! एडवोकेट ने उनको बताया की इस पूरे काम को लगभग दो महीने लग जाएंगे, फिर अदालत में भी बच्ची को लेकर हाज़िर होना पड़ेगा ! न्यायधीश सबसे सवाल जवाब करेगा, अगर उसको अपनी जाँच पड़ताल के बाद यकीन हो गया कि कपिल देव और उसकी पत्नी गरिमा, लड़की सुजाता की जिम्मेवारी उठाने के लिए वित्तीय और मानसिक रूप से सक्षम हैं, तब ही वह सुजाता के गोद लेने का ऑर्डर पास कर देगा ! तो ऐसे सब प्रकार की कार्यवाहियाँ होने के बाद दस सितम्बर को न्यायाधीश ने सबको अदालत में हाज़िर होने के लिए बुलाया ! कपिल देव के वकील के साथ २ बाकी तीनों से भी सवाल किये गए और आख़िर में अपनी पूरी तस्सली होने पर न्यायाधीश ने सुजाता को गोद लेने का अपना फ़ैसला सुना दिया, “इसके साथ ही अदालत की कार्यवाही पूरी हो जाती है, आप अगले सोमवार को आकर अपना ऑर्डर अदालत से प्राप्त कर सकते हो !” 

तो ऐसे अगले सप्ताह अदालत से सुजाता को गोद लेने का ऑर्डर हासिल करके कपिल देव और उसकी पत्नी फूले नहीं समा रहे थे , और उनके साथ २ सुजाता की खुशी का भी कोई ठिकाना नहीं था, क्योंकि उसके अपने माता पिता के जाने के बाद आज उसे एक घर मिल गया जो उसे दिल से प्यार करेंगे और उसकी ज़िन्दगी की इतनी बड़ी कमी भी पूरी होने जा रही थी ! शाम को सुजाता को लेकर जब वह घर पहुँचे तो थोड़ी ही देर में  उनके घर बधाई देने वालों का ताँता लग गया ! लोग उनसे पार्टी मांगने लगे, कपिल देव ने सबको सुनाकर बड़ी ख़ुशी से घोषणा कर दी , “शादी के 18 वर्षों बाद हमारे घर हमारा बच्चा, हमारी बेटी आई है, यह अवसर हम दोनों के लिए और सुजाता के लिए बड़ा ही सौभाग्यशाली दिन है, इसकी ख़ुशी हम लोग आप सबके साथ और अपने रिश्तेदारों के साथ मनाएँगे, इसी महीने के आख़िरी रविवार को हमारे घर इस ख़ुशी के उपलक्ष में गुरुग्रन्थ साहेब का पाठ होगा और फिर उसके बाद सबके लिए लंगर ! आखिर हमें इतने वर्षो बाद एक बच्चा मिला है !” उसकी घोषणा सुनकर उसके गाँव वालों ने तालियाँ  बजाई, और एक कोने से किसी ने आवाज़ दी – “यह लम्हा तो वाक़्या ही बहुत बड़ी प्रसन्नता का है, आज कपिल देव और गरिमा का घर भी बच्चे वाला हो गया ! इतने में पीछे खड़ी कपिल की पत्नी गरिमा भी बोली, “इस ख़ुशी में  घर में गुरुग्रन्थ साहेब का पाठ होगा और लंगर भी होगा , लेकिन आज के बाद यहाँ दारू किसी को नहीं मिलेगी, क्योंकि सुजाता के पापा ना तो अब दारू पीएंगे और ना ही किसी को दारू पिलाएँगे !”

इस बात पर महिलाएँ बड़ी खुश हो गईं और उन्होंने ऊँचे स्वर में  “हो ! हो” करते हुए तालियाँ बजाकर इस जज़बात का स्वागत किया ! 

रचना : आर डी  भारद्वाज “नूरपुरी”