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जब एक दरवाज़ा बंद होता है तो हज़ार दरवाज़े खुलते हैं

हम सब जानते हैं कि कोरोना महामारी के चलते सभी विद्यालय शिक्षार्थियों की सुरक्षा हेतु बंद किए गए हैं। क्या हुआ जो विद्यालय का एक द्वार बंद हुआ ,हमने …

अध्यात्मिकता र पुस्तकमा प्रेमशाश्त्र

अन्जना पौडेल अनुश्रुति प्रेम एउटा यस्तो अमृत हो, जस्मा भावनाको मीठास घोलीएको हुन्छ । भावना वीनाको प्रेम मृत प्राय हुन्छ । जून कुरा केवल महसुस गर्न सकिन्छ, देख्न, छुन …

प्रकृतिको खुसी शाश्त्र

अन्जना पौडेल ‘अनुश्रुति‘ ओ झरी, नझरी देउ यसरी । नविन भट्टराइको यो गीतले मनमा झंकार पैदा गरिरहेको छ । कोरोनाले दिएको सुविधा उपयोग गर्दे बन्द कोठा भित्र कोरोना बन्दी …

सूझबूझ और सलीका !

माता पिता हमेशा अपने बच्चों को अपने समर्था से बढ़कर ही सुख, सहूलतें और सुविधाएँ देने का प्रयास करते हैं , वह चाहते हैं कि उनका बच्चा अपनी जिन्दगी  में  उस मुकाम …

पितृसत्तात्मक संरचना से उपर कि सोच “ मानवता ”

नितू अग्रहरीरामग्राम, परासी विश्वभर फैला हुवा कोरोना भाइरस (कोभिड–१९) का संक्रमण से मानव जाति को पहुँचा क्षति का कारण प्रश्न उठा है कि आधा विश्व लकडाउन में रख्ने के …

यात्रा – कविता “शोभा न्यौपाने”

धेरै थाकीसकें म,मैले विश्राम लिनैं पर्छधेरै हिडिसकें म, अव यात्रा टुंग्याउनु पर्छमैले निश्चय गरिसकेको थिएँत्यसबेलाको मेरो सोचाइ, दृष्टिकोणबिलकुल फरक थियो ।स्वयं म पनि फरक थिएंमेरो यात्रा पनि बेग्लै थियोहो,म …

पेड़ की शरण में, एक रात !

पाँच दिन पहले पूरे देश ने एक बहुत बड़े विद्वान, समाज सुधारक, आरबीआई के संस्थापक, अर्थ शास्त्री, मज़दूरों और महिलाओं की जिन्दगियों को नए आयाम पर पहुँचाने वाले, उच्चकोटी के राजनीतिक विश्र्लेषक, …

कोरोना योद्धा बने पत्रकारों को अविलंब आर्थिक सहायता दे दिल्ली सरकार : के पी मलिक

अशोक कुमार निर्भय दिल्ली पत्रकार संघ (रजि.).ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को पत्र लिखकर कोरोना महामारी में भी रिपर्टिंग करने वाले पत्रकारों के लिए आर्थिक सहायता देने व बीमा योजना …

कविता -अदृश्य शत्रु

अशोक लव सैकड़ों वर्ष पूर्वविश्व विजय का संकल्प लिएनगरों को रौंदता आया था सिकंदर।भारत की सीमा पर ही थम गया थाउसका विश्व-विजय-अभियान।आज फिर विश्व को रौंदता आ गया हैअदृश्य …

याचना नहीं – अब रण होगा !!!

 प्रो. सरोज व्यास रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कालजयी रचना ‘कृष्ण की चेतावनी’ का यह अंशः “जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है” | आज की परिस्थितियों मेंतबलीगी जमात के धर्मांध मौलानाओं, ज़ाहिल अनुयाईयों और उनके गँवार …

संवेदनहीन शासन में सिसकती मानवता

प्रो. (डॉ.) सरोज व्यास स्तब्ध हूँ, नि:शब्द हूँ, किन्तु अन्तर्मन की पीड़ा के ज्वार को रोकने में असमर्थ हूँ | 14 अप्रैल को लॉकडाउन बढ़ा, अपेक्षित था और अनिवार्य भी | लॉकडाउन बढ़ने की घोषणा के …