मेहनत रंग ला रही है: जारा शेख

 प्रेमबाबू शर्मा 

अब मेरी किस्तम रंग ला रही है यह कहना है जारा शेख का । जो इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय स्तर की फिल्म आनर किलिंग में  काम कर रही है। यह फिल्म  हिंदी,  पंजाबी, अंगे्रजी और उर्दू में भाषा में बन रही है। जिसका  निर्माण एक ओमकार फिल्म्स प्रायवेट लिमिटेड’ (लंदन) के बैनर तले हो रहा है।

बहुरंगीय प्रतिभा की धनी जारा ने अपने अब तक के करियर में माडलिंग के अलावा अनेक विज्ञापन फिल्मों में काम कर चुकी है। इसके समानातंर एक लोकप्रिय म्यूजिकल वीडियो अलबम में जारा अपने ही गीत को गाते हुए नजर आयी थी। बालीवुड में फिल्म ‘‘तेरे प्यार में’’ से दस्तक देने वाली जारा ने  इस फिल्म में एक सिख लड़की का किरदार निभाया था। जो एक पाकिस्तानी बैंकर के साथ शादी  कर लेती है। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए जारा को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार का भी सम्मान मिला। ‘चलो इश्क  लड़ाएं’ जिसमें उन्होंने  हिंदू लड़की राम खोरी का किरदार निभाया था, फिर उन्होंने ‘लाज’,  ‘सलाखें’,  ‘पहला पहला प्यार’, ‘कभी प्यार न करना’ जैसी अनेक फिल्मों में काम करते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर   की फिल्म ‘ आनर  किलिंग’में काम करने का मौका मिला। जारा कहती है कि ‘इस फिल्म का कथानक इंग्लैंड  में ‘ आनर किलिंग’के नाम पर हो रही हत्याऐं है। यह फिल्म एक रियलस्टोरी बेसड जिसमें एक खूबसूरत प्रेम कहानी को भी पिरोया गया है और फिल्म की शूटिग लोकेशन  लंदन और पंजाब  है।

‘आनर  किलिंग’ फिल्म में चरित्र अभिनेता प्रेम चोपड़ा ने भी एक महत्वपूर्ण किरदार को निभा रहे  हैं। फिल्म के संगीतकार उत्तम सिंह, गीतकार देव कोहली, तथा इन गीतों को स्वरबद्ध करने वाले गायक हैं-श्रेया घोषाल, रूप कुमार राठौड़,  कुणाल गांजावाला, लखविंदर सिंह वडेली, रवींद्र, जावेद।

फिल्म के निर्देषक है अवतार भोगल । इस फिल्म से पूर्व में वे ‘जख्मी औरत’ और ‘आज की औरत’ जैसी समसामायिक फिल्मों का  कर चुके है।  सभ्य समाज में ‘आनर  किलिंग’को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता और ना ही इसका कोई स्थानं हो सकता।  एशियाई उपमहाद्वीप से आकर विदेशो  में बसने वाले लोग अपने साथ अपनी संस्कृति व तहजीब को भी लेकर आते हैं।  उनमें धार्मिकता के साथ साथ प्यार भी होता हैं, पर अफसोस की बात यह हैं कि इसी के साथ वह कुछ ऐसी मानवीय आदतों को भी लेकर आते हैं, जिनका सभ्य समाज में कोई स्थान नही होता हैं। वह अपने साथ गुस्सा, असहनशीलता  व हिंसात्मक व्यवहार भी लेकर आते हैं, जो कि गलत है। यह उनके धर्म, उनकी संस्कृति व सभ्यता के भी खिलाफ है। यही नहीं खुलेपन सभ्य और सहनशील  ब्रिटिश  समाज में उनका यह व्यवहार एकदम विरोधास्पद है। शांति  और समृद्धि की तलाश  में अपने मुख्य वतन, अपनी जन्मभूमि को छोड़ कर विदेशॉ में बसने के लिए आने वाले यह लोग अपने साथ उसी एटीट्यूड को लेकर आते हैं, जिससे वह सबसे पहले छुटकारा पाना चाहते हैं। हमने लोगों के बीच इस जघन्य अपराध के खिलाफ जागृति लाने के मकसद से यह फिल्म बनायी हैं।’’