सिद्देश राय
तेरे शहर को छोड़ कर जाना यूँ मुमकीन नही ,
तेरा ख्याल न लाना यूँ मुमकिन नहीं ,
जाऊं चाहे कहीं भी, मगर चैन आना मुमकिन नही ,
यूँ तो ढूँढना कुछ भी मुमकिन, पर ढूँढ पाना तुझे, मुमकिन नहीं ,
ठोकरें हर दर पे मुमकिन बेशक, जिंदगी बिन तेरे मुमकिन नहीं ,
दे देना दुश्मन का जहर बड़ा आसान, तुम बिन मौत मुमकिन नहीं.