*सुना है कि आपका भी ड्रीम एक एक्टर बनने का रहा है और अब आपका बेटा हीरो के तौर पर स्क्रीन पर आ रहा है ।क्या उसके शख्शियत में आप अपने आपको देखते हैं?
-“हां यह सच है कि जब मैंने अपने कैरियर की शुरुआत की तो उस वक़्त मैं एक्टर बनने की सोचा करता था,सूरत शक्ल भी सही थी,मग़र बहुत जल्दी एहसास हो गया कि होरो के रूप की जगह मेरी आइडेंटी निर्देशक तौर पर थोड़ी बहुत बन पाएगी।बस एक्टर बनने का रुझान रचनात्मकता की और मोड़ दिया।हां यह ज़रूर है कि उत्कर्ष मेंअपने अंतर्मन में अपने एक्टर को देखता हूँ और उसे अपने टिप्स भी देता हूँ ।”
*गदर आपकी ज़िन्दगी का टर्निग पॉइंट रहा ।इस फ़िल्म को वर्ल्ड सिनेमा की कैटेगरी की 10 फिल्मों में आकलन किया जाता है।अब आपने उसी तेवर और जोशो खरोश के साथ “जीनियस “बनाने का बीड़ा उठा लिया है ।इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
-“वाकई गदर एक प्रेमकथा मेरी लाइफ और कैरियर का टर्निंग पॉइंट रहा है।आज भी लोग इसे याद करते हैऔर मुझसे यह उम्मीद करते हैं कि मैं उनके लिए वैसी फ़िल्म बनाऊं।गदर जैसी फ़िल्म बनाना एक इतिहास को रचना जैसा है। फिर भी मैं बड़ी शिद्दत और भरपूर हौंसले के साथ” जीनियस” बना रहा हूँ । यह फ़िल्म किस सौपान पर जाएगी अभी यह कहना मुश्किल है…मगर जिन मौक़ादस्तूर में इसकी शुरुआत हो रही है और जो तत्व इसके साथ जुड़ रहे हैं उनसे एक अच्छी उम्मीद तो बंधती है।’
“जीनियस “में आपने एक अर्से के बाद लेखन किया है इसकी कोई खास वजह?
– ” मैं तो बुनियादी तौर पर लेखक हूं।14 साल की उम्र में कई कहानियां लिख ली थी,भागवत से जुड़े कई प्रसंग तो मुझे कंठस्थ याद हो गए थे।अपनी पहली फ़िल्म”श्रद्धांजलि”से लेकर “हुकूमत” तक मैं लेखक रहा हूँ बाद की फिल्मों में व्यस्तता के कारण फुल टाइम राइटिंग को नहीं दे पाया।हां हर फिल्मकी कहानी में इन्वोल्वमेंट अवश्य बना रहा। जहां तक ‘जीनियस” की बात है,यह बहुत मॉर्डन हाईटेक रिसर्च वाला सब्जेक्ट वाली फिल्म है इस में हमने पूरे तीन साल का वक़्त दिया छोटी से छोटी कहानी से सम्बद्ध तथ्यों की बड़ी बारीकी से स्टडी की।पिछले 19महीनों में कंप्टलीट स्क्रिप्ट तैयार हो पाई हैं।मेरे साथ सुनील सिरवैया और अमजद अली जैसे होनहार लेखक जुड़े हैं उनका बहुत कंट्रीब्यूशन है। यह राइटिंग के लिहाज से हम सबके लिए चुनौती है।”
आपके खाते में हुकूमत,एलाने जंग,मां, फरिश्ते,हीरो,अपने और गदर जैसी भव्य फिल्में दर्ज हैं।क्या जीनियस भी लेविस फ़िल्महै?
-सब्जेक्ट और ट्रीटमेंट की दृष्टि से जीनियस हाईटेक फ़िल्महै, तो भव्यता तो होगी।इस फ़िल्म के पहले शूटिंग स्पेल में ही बहुत बड़ी लागत से तीन बड़े सेट्स लगाए हैं।सेट्स का अंदाज़ा आपको इस बात से ही हो जाएगा।मेरे सेट्स के प्रोडक्शन डिज़ाइनर हैं बिजोनदास गुप्ता हैं,जिन्होंने कई बड़ी फिल्मों कै सेट्स लगाए हैं।’
उत्कर्ष अब गदर के जीते से जीनियस बनने जा रहे हैं उनके रोलमॉडल और विशेषताओं के बारे में बताइये?-उत्कर्ष ने यूएस में एक्टिंग,डायरेक्शन,प्रोडक्शन में 4साल की ट्रेनिंग ली ।कुछेक शार्ट फिल्में भी ट्रेनिंग के दौरान बनाई।उसे मेकर के रूप में सराहना भी मिली। यूं तो उत्कर्ष ने सनी देओल,अमिताभ सहित कई कलाकारों के साथ काम किया है।मगर वह अपना रोल मॉडल एक्टिंग एम्पायर दिलीपकुमार साहब को मानते हैं ।”
गदर का गीत-संगीत उसकी सफलता का परचम बना। जीनियस के म्यूजिक को लेकर आपकी क्या तैयारी है?-,मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जीनियस का म्युजिक मीठा और जुबाँ पे चढ़ने वाला होगा।अभी तो मैं गदर के जीते को जीनियस बनाने में लगा हूँ ।