गदर का जीते अब जीनियस….अनिल शर्मा

-प्रेमबाबू शर्मा 

अनिल शर्मा ने यूं तो सफल निर्देशक के रूप में मात्र 21 साल की उम्र में अपनी पहली फ़िल्म “श्रद्धांजलि” से भारतीय सिनेमा में अपनी सफलता का बिगुल बजा दिया था ।उसके बाद वीडियो तकनीक के चलन में भी “हुकूमत’बना कर दर्शक दीर्घा में बिग सिनेमा का बिग फिल्मकार का जो तमगा हांसिल किया, उसकी चमक और अपनी इमेज को बदस्तूर बनाये रखा….गदर एक प्रेम कथा ने तो वर्ल्ड सिनेमा में उनका कद इतना ऊंचा कर दिया कि हर कोई उनसे बड़ी उम्मीद और बेहतर सिनेमा की अपेक्षा करने लगा। अनिल शर्मा ने दर्शकों से सीधा जोड़ने वाली और असाधारण संवेदनशील फ़िल्म ‘अपने ‘ बनाई।धर्मेंद्र, सनी देओल और बॉबी अभिनीत ‘अपने’ के बाद वह सिनेमाई जगत का सफल मुहावरा बन गए । उनकी यह फ़िल्म आज भी प्रेक्षकों का अपना अहम हिस्सा बनी हुई है। गदर जैसे तेवर के साथ अनिल शर्मा एक विराम के बाद अपने होनहार पुत्र और गदर के जीते बनाम उत्कर्ष शर्मा को मुख्य भूमिका(नायक)में लेकर एक्शन रोमांटिक लव स्टोरी बेस्ड हाईटेक फ़िल्म “जीनियस” बना रहे हैं ।22मई को 2017 में होटल होराइजन के फोर्थ फ्लोर पर लगे भव्य सेट्स पर भव्य मुहूर्त के साथ वह “जीनियस” की शानदार शुरुआत कर रहे है।” जीनियस’उनके कैरियर का बहुत महत्वपूर्ण पड़ाव है,एक बार फिर उनके निर्देशन शिल्प की परीक्षा है और उनके एक्टर पुत्र उत्कर्ष का बतौर हीरो पहला कदम… अनिल शर्मा की इस फ़िल्म की क्या क्या विशेषताएं होंगी,कलेवर क्या होगा नायक के रूप में उत्कर्ष का मैनरिज्म कैसा होगा ,इस फ़िल्म को लेकर बतौर निर्दशक उनकी सिनेमेटिक एप्रोच क्या होगी ।आज के आधुनिक सिनेमा से इसका कितना इन्वोल्वमेन्ट होगा इन्ही सवालों को लेकर अनिल शर्मा से औपचारिक बातचीत हुई।

*सुना है कि आपका भी ड्रीम एक एक्टर बनने का रहा है और अब आपका बेटा हीरो के तौर पर स्क्रीन पर आ रहा है ।क्या उसके शख्शियत में आप अपने आपको देखते हैं?
-“हां यह सच है कि जब मैंने अपने कैरियर की शुरुआत की तो उस वक़्त मैं एक्टर बनने की सोचा करता था,सूरत शक्ल भी सही थी,मग़र बहुत जल्दी एहसास हो गया कि होरो के रूप की जगह मेरी आइडेंटी निर्देशक तौर पर थोड़ी बहुत बन पाएगी।बस एक्टर बनने का रुझान रचनात्मकता की और मोड़ दिया।हां यह ज़रूर है कि उत्कर्ष मेंअपने अंतर्मन में अपने एक्टर को देखता हूँ और उसे अपने टिप्स भी देता हूँ ।”

*गदर आपकी ज़िन्दगी का टर्निग पॉइंट रहा ।इस फ़िल्म को वर्ल्ड सिनेमा की कैटेगरी की 10 फिल्मों में आकलन किया जाता है।अब आपने उसी तेवर और जोशो खरोश के साथ “जीनियस “बनाने का बीड़ा उठा लिया है ।इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
-“वाकई गदर एक प्रेमकथा मेरी लाइफ और कैरियर का टर्निंग पॉइंट रहा है।आज भी लोग इसे याद करते हैऔर मुझसे यह उम्मीद करते हैं कि मैं उनके लिए वैसी फ़िल्म बनाऊं।गदर जैसी फ़िल्म बनाना एक इतिहास को रचना जैसा है। फिर भी मैं बड़ी शिद्दत और भरपूर हौंसले के साथ” जीनियस” बना रहा हूँ । यह फ़िल्म किस सौपान पर जाएगी अभी यह कहना मुश्किल है…मगर जिन मौक़ादस्तूर में इसकी शुरुआत हो रही है और जो तत्व इसके साथ जुड़ रहे हैं उनसे एक अच्छी उम्मीद तो बंधती है।’


*सनी और आप में एक गज़ब की कैमिस्ट्री रही है,आप दोनों ने बीसियों बार एक दूसरे का पर्याय सिद्घ भी किया है।गदर, हीरो,अपने इसका उदाहरण है। क्या वैसी ही कैमिस्ट्री आपके पुत्र उत्कर्ष के बीच है क्योंकि बिना ट्यूनिंग के बिना उम्दा प्रोडक्ट नहीं बन पाते हैं?

-“मैंने उत्कर्ष को ग्रो होते हुए देखा है।जब मैंने पहली बार गदर में स्क्रीन टेस्ट लिया था उस समय ही उसमें एक्टिंग पुटेंशल देख लिया था ।उसके बाद जब उसने अमिताभ बच्चन सरीखे कलाकार के साथ जिस आत्म विश्वास के साथ काम किया उसने उसके प्रति उसके बढ़िया एक्टर होने की संभावनाओं को और पुख्ता किया ।हम पिता-पुत्र होने के साथ अच्छे फ्रेंड्स हैं उसके प्रति मैं बहुत कॉन्फिडेंट हूं ।हममें कितनी कैमिस्ट्री यह आप सबको बहुत जल्दी नज़र आ जायेगी।”

 “जीनियस “में आपने एक अर्से के बाद लेखन किया है इसकी कोई खास वजह?
– ” मैं तो बुनियादी तौर पर लेखक हूं।14 साल की उम्र में कई कहानियां लिख ली थी,भागवत से जुड़े कई प्रसंग तो मुझे कंठस्थ याद हो गए थे।अपनी पहली फ़िल्म”श्रद्धांजलि”से लेकर “हुकूमत” तक मैं लेखक रहा हूँ बाद की फिल्मों में व्यस्तता के कारण फुल टाइम राइटिंग को नहीं दे पाया।हां हर फिल्मकी कहानी में इन्वोल्वमेंट अवश्य बना रहा। जहां तक ‘जीनियस” की बात है,यह बहुत मॉर्डन हाईटेक रिसर्च वाला सब्जेक्ट वाली फिल्म है इस में हमने पूरे तीन साल का वक़्त दिया छोटी से छोटी कहानी से सम्बद्ध तथ्यों की बड़ी बारीकी से स्टडी की।पिछले 19महीनों में कंप्टलीट स्क्रिप्ट तैयार हो पाई हैं।मेरे साथ सुनील सिरवैया और अमजद अली जैसे होनहार लेखक जुड़े हैं उनका बहुत कंट्रीब्यूशन है। यह राइटिंग के लिहाज से हम सबके लिए चुनौती है।”

आपके खाते में हुकूमत,एलाने जंग,मां, फरिश्ते,हीरो,अपने और गदर जैसी भव्य फिल्में दर्ज हैं।क्या जीनियस भी लेविस फ़िल्महै?
-सब्जेक्ट और ट्रीटमेंट की दृष्टि से जीनियस हाईटेक फ़िल्महै, तो भव्यता तो होगी।इस फ़िल्म के पहले शूटिंग स्पेल में ही बहुत बड़ी लागत से तीन बड़े सेट्स लगाए हैं।सेट्स का अंदाज़ा आपको इस बात से ही हो जाएगा।मेरे सेट्स के प्रोडक्शन डिज़ाइनर हैं बिजोनदास गुप्ता हैं,जिन्होंने कई बड़ी फिल्मों कै सेट्स लगाए हैं।’

जीनियस की कहानी क्या है उसे किस जॉनर की फ़िल्म कहा जा सकता है?
-जीनियस की कहानी के बारे में बात करने का यह सही वक्त नहीं है। हां इतना कह पाऊंगा कि जीनियस का सार है दिल की लड़ाई दिमाग से …कई जीवन के मरहलों से गुज़ती हुई यह एक्शन लव स्टोरी जॉनर की फ़िल्म है ।”

उत्कर्ष अब गदर के जीते से जीनियस बनने जा रहे हैं उनके रोलमॉडल और विशेषताओं के बारे में बताइये?-उत्कर्ष ने यूएस में एक्टिंग,डायरेक्शन,प्रोडक्शन में 4साल की ट्रेनिंग ली ।कुछेक शार्ट फिल्में भी ट्रेनिंग के दौरान बनाई।उसे मेकर के रूप में सराहना भी मिली। यूं तो उत्कर्ष ने सनी देओल,अमिताभ सहित कई कलाकारों के साथ काम किया है।मगर वह अपना रोल मॉडल एक्टिंग एम्पायर दिलीपकुमार साहब को मानते हैं ।”

 गदर का गीत-संगीत उसकी सफलता का परचम बना। जीनियस के म्यूजिक को लेकर आपकी क्या तैयारी है?-,मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जीनियस का म्युजिक मीठा और जुबाँ पे चढ़ने वाला होगा।अभी तो मैं गदर के जीते को जीनियस बनाने में लगा हूँ ।