त्यौहारों का सीजन अपने पूरे चरम पर है। नवरात्र,दशहरा,धनतेरस,दीपावली,गोवर्धन पूजा,विश्वकर्मा जयंती,रक्षाबंधन होने कारण मिठाई की अत्यधिक मांग है। इस मांग को देश में उत्पादित दूध से पूरा नहीं किया जा सकता। फिर भी हर मोहल्ले,नुक्कड़,गांव,शहर की मिठाई की दुकानों पर मिठाइयां सजी हैं। इतना मावा,दूध,घी की आखिर आपूर्ति कैसे हो रही है कभी सोचा है अपने ? रोज़ाना दूध और मिठाइयों की मांग जोर पकड़ रही है।जाहिर है दूध और मिठाई की मांग को पूरा करने के लिए मिलावटखोर मौके का पूरा फायदा उठा रहे हैं। इन नकली मिठाई और सिंथेटिक दूध से गंभीर बीमारियां होने का खतरा है।इसीलिए आपको सावधानी बरतनी चाहिए। आगे आपको बताते हैं की कैसे बनती हैं यह नकली चीजें जो आपको दंग कर देंगीं।
क्यों और कैसे बनता है नकली मावा –
एक किलो दूध से सिर्फ दो सौ ग्राम मावा ही निकलता है। जाहिर है इससे मावा बनाने वालों और व्यापारियों को ज्यादा फायदा नहीं हो पाता। लिहाजा मिलावटी मावा बनाया जाता है। इसे बनाने में अक्सर
– शकरकंदी, सिंघाडे़ का आटा, आलू और मैदे का इस्तेमाल होता है।
– नकली मावा बनाने में स्टार्च, आयोडीन और आलू इसलिए मिलाया जाता है ताकि मावे का वजन बढ़े।
– वजन बढ़ाने के लिए मावा में आटा भी मिलाया जाता है।
– नकली मावा असली मावा की तरह दिखे इसके लिए इसमें कुछ केमिकल भी मिलाया जाता है।
– कुछ दुकानदार मिल्क पाउडर में वनस्पति घी मिलाकर मावे को तैयार करते हैं।
कैसे बनता है सिंथेटिक दूध-
त्यौहारों से पहले बाजार में सिंथेटिक दूध यानी जहरीले दूध का भी आतंक होता है।दूध की जाँच अवश्य करें।
– सिंथेटिक दूध बनाने के लिए सबसे पहले उसमें यूरिया डालकर उसे हल्की आंच पर उबाला जाता है।
– इसके बाद इसमें कपड़े धोने वाला डिटर्जेंट,सोडा स्टार्च, फॉरेमैलिन और वाशिंग पाउडर मिलाया जाता है।
– इसके बाद इसमें थोड़ा असली दूध भी मिलाया जाता है
मिलावटी मावा और सिंथेटिक दूध के नुकसान-
मिलावटी मावा और सिंथेटिक दूध पीने से आपको
– फूड पॉयजनिंग हो सकती है।
– उल्टी और दस्त की शिकायत हो सकती है।
– किडनी और लिवर पर भी बेहद बुरा असर पड़ता है।
– स्किन से जुड़ी बीमारी भी हो सकती है।
– अधिक मात्रा में नकली मावे से बनी मिठाइ खाने से लीवर को भी नुकसान पहुंच सकता है।
– इससे कैंसर तक हो सकता है।
कैसे करें असली दूध और नकली दूध में फर्क-
जहां तक दूध का सवाल है तो आप थोड़ा सजग रहकर असली और नकली दूध में फर्क कर सकते हैं
– सिंथेटिक दूध में साबुन जैसी गंध आती है, जबकि असली दूध में कुछ खास गंध नहीं आती।
– असली दूध का स्वाद हल्का मीठा होता है, नकली दूध का स्वाद डिटर्जेंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा हो जाता है।
– असली दूध स्टोर करने पर अपना रंग नहीं बदलता, नकली दूध कुछ वक्त के बाद पीला पड़ने लगता है।
– अगर असली दूध में यूरिया भी हो तो ये हल्के पीले रंग का ही होता है, वहीं अगर सिंथेटिक दूध में यूरिया मिलाया जाए तो ये गाढ़े पीले रंग का दिखने लगता है।
– अगर हम असली दूध को उबालें तो इसका रंग नहीं बदलता, वहीं नकली दूध उबालने पर पीले रंग का हो जाता है।
– असली दूध को हाथों के बीच रग़ड़ने पर कोई चिकनाहट महसूस नहीं होती। वहीं, नकली दूध को अगर आप अपने हाथों के बीच रगड़ेंगे तो आपको डिटर्जेंट जैसी चिकनाहट महसूस होगी।
मिलावट का ये महाजाल त्यौहारों के मौसम में खासतौर से रचा जाता है। इस जाल में आपसे मिठाई, मावा, दूध पनीर और घी के पूरे पैसे तो लिए जाते हैं लेकिन इसके बदले आपको मिलती है बीमारी। इसलिए होशियार रहिए।
दूध और दूध से बने पदार्थों में मिलावट
1 . घातक यूरिआ की पहचान दूध में :
मिलावट का स्रोत और उदेश्य: यूरिया आसानी से एग्रीकल्चर स्टोर पर मिल जाता हैं। दुध के प्रोटीन की मात्रा टेस्टिंग में अधिक आये इसलिए उसमें यूरिआ मिलते हैं।क्युकि प्रोटीन की मात्रा जिस विधि से निकलते हैं उसमें नाइट्रोजन की मात्रा निकाल के कैलकुलेट करते हैं । यूरिया में नाइट्रोजन होता हैं जो टेस्टिंग में प्रोटीन की गलत कैलकुलेशन करवाता है।
स्वास्थ पर दुस्प्रभाव: फेफड़े पर दुष्प्रभाव , हृदय रोग , लिवर रोग.
एक पूरा चम्मच (लगभग 2 मिली० ) दुध एक परखनली में ले।
उसमें आधा चम्मच सोयाबीन या अरहर का पाउडर मिलाये।
हिला के उन्हें अच्छे से मिलाये।
5 मिनट के बाद लाल लिटमस पेपर उससे भिगोये और 30 सेकंड के बाद लिटमस पेपर को निकल कर देख.
यदि लिटमस पेपर लाल से नीला हो जाये तो उसमें यूरिया मिला हुआ है।
2. मिलावटी स्टार्च की पहचान (Adulteration of Starch in Milk) :
मिलावट का स्रोत और उदेश्य: स्टार्च आसानी से किराना स्टोर पर मिल जाता है/ स्टार्च के मिलावट से दुध गाढ़ा हो जाता हैं जिससे गलत फ़हमी हों जाती है की दुध अच्छी क्वालिटी का हैं।
स्वास्थ पर दुस्प्रभाव : दाँतो को नुक्सान , ज्यादा स्टार्च खाने से मोटापा , धन का नुकसान।
एक पूरा चम्मच (लगभग 2 मिली० ) दुध एक परखनली में ले।
उसमें 2 -5 बूंद आयोडीन का घोल डाले।
कुछ ही छड़ में यदि नीला रंग दिखाई दे तो उसमें स्टार्च मिला हुआ हैं।
आयोडीन आप के नजदीकि मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिल जाता हैं।
3 . दूध में ज्यादा पानी की पहचान
नुकसान / स्वास्थ्य पर प्रभाव : धन का नुक़सान , गंदे पानी द्वरा बीमारी मिलावटी तत्व से बीमारियां
पानी जाँच प्रक्रिया:
एक बूँद दुग्ध एक झुकें हुए सतह पर गिराये जैसा कि चित्र में दिखाया गया है
दुग्ध कि बूंद निचे ढलते हुये यदि धिरे धिरे ढलती है और एक सफ़ेद चिन्ह छोड़ती है तो दुग्ध शुद्ध है
अगर उसमे पानी मिला होगा तो बहूत तेजी से ढलेगी और कम सफ़ेद चिन्ह छोडेगी।
4 . वनस्पति तेल की पहचान दूध में और उसका स्वास्थ पर प्रभाव
स्वास्थ हानि : कोलेस्ट्रोल बढ़ना, मधूमेह, धमनी रोग , धन कि हानि।
मिलावट का श्रोत और कारण : वनस्पति तेल / वनस्पति तेल मिलाने से वसा की मात्रा बढ़ जाती जिससे दूध अच्छी क्वालिटी का प्रतित होता हैं।
लगभग 3 मिली० दूध एक परखनली में ले।
उसमें 10 बून्द हीड्रोक्लोरिक एसिड मिलाए और उसमें एक चम्मच चीनी घोले।
5 मिनट के बाद देखें।
यदि लाल रंग दिखें तो उसमे वनस्पति का तेल मिला हुआ हैं।
देशी घी में मिलावट
1 . कोलतार डाई की जांच देशी घी और मक्खन में
स्वास्थ हानि : कैंसर, मस्तिष्क की बीमारी
जाँच प्रक्रिया :
5 मिली लीटर अम्ल (H2SO4 or HCL acid) एक चम्मच घी में डाले
अच्छे से हिलाये
यदि H2SO4 के साथ गुलाबी रंग (Pink color) और HCL के साथ चटक लाल कलर आए तो देसी घी में कोल् तार डाई मिला हुआ है
2 . उबला हुए आलू की जांच देशी घी में
एक चम्मच देशी घी ले कर उसमे 4 -5 बून्द आयोडीन डाले।
यदि नीला रंग आये तो उसमे उबला हुआ आलू ( mashed potato ) मिला हुआ है
3 मिलावटी देशी घी
देशी घी में वनस्पति घी की मिलावट की जांच :
एक परखनली या शीशे के पतले गिलास में एक चम्मच घी डाले
फिर उसमे उतना ही HCl (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल ) डाले
एक चुटकी चीनी डालें और एक मिनट तक हिलाये
यदि क्रिमसन कलर (कटक लाल रंग ) दिखाई दे तो उसमे वनस्पति घी या मार्जरीन की मिलावट है