जब इंसान अपनी विवेक शक्ति खो बैठता है तो वह क्रोधित कहलाता है. उस समय वह बिना बात पे झगडा करता है, उलटी सीधी बातें बोलता है. उसका व्यवहार दैत्य का सा बन जाता है, मार पीट करता है. काम, क्रोध, मोह, लोभ सब सगे भाई हैं जो इंसान के विनाश का कारण बनते हैं, और माया रुपी माता से उत्पन्न हुए हैं.
अमेरिका में कोई क्रोध कर रहा है – उसका असर हमपर नहीं होता है. यह ऐसी चीज़ नहीं है जो हवा में हो. कोई उसको सुनने वाला हो ये जरूरी है. यह किसी से भी हो सकता है, खुद, जड़, चेतन, पत्थर, नदी, पहाड़ व जानवर भी हो सकता है. वैसे तो इसकी नींव पैदा होते ही पड़ जाती है, भूख लगती है तो बच्चा रोकर क्रोध का इजहार करता है.
अपने उपर क्रोध हो सकता है, किसी को सुना नहीं पा रहे , कैसी जिंदगी हो रही है. अनजाने पर भी आता है, किसी जान पहचान वाले पर भी आता है.
साथ बीस साल से रह रहे जीवन साथी पर भी क्रोध करते हैं. आजकल शादी शुदा जिंदगी के बिखरने टूटने का मुख्य कारण क्रोध ही है.
बचपन से ही इसकी आदत बन जाती है. अपने भाई बहन पर, दोस्तों पर, माँ बाप पर क्रोध करते करते अभ्यास में आ जाने पर वो नियति बन जाती है, जिससे छुटकारा पान असंभव सा लगता है.
यूँ तो बच्चों को क्रोध करके हम सुधारने की भरसक कोशिश करते हैं. हम तत्व की व्याख्या, गौतम बुद्ध की अंगुली माल डाकू वाली, या फिर महाभारत के विभिन्न पात्रों के क्रोध से जुडी दुष्परिणामों वाली कहानियां सुना कर बच्चों को क्रोध न करने की शिक्षा देने की कोशिश करते हैं, पर हमें असफलता ही मिलती है.
क्या हम इन नियमों का पालन करने में सक्षम हैं, हम तो खुद ही बात बात पर गुस्सा होते रहतें हैं. कभी पडोसी से लड़ते हैं, कभी माता- पिता व पत्नी सभी का निरादर करते हैं, झगड़ते हैं.
बच्चों के कोमल मानसिक पटल पर जो छवि बड़ों की बनती है, वो उसी अनुरूप व्यवहार करते हैं.
इसका प्रभाव हमारे शरीर पर भी पड़ता है. मेडिकल साइंस के हिसाब से मस्तिष्क की तांत्रिक कोशिकाओं को आधिक कार्य करना पड़ता है. जिससे वे दुर्बल होती जाती हैं और पैरालेटिक अटैक जैसी बीमारियों को जनम देती हैं.
क्रोध को हम रोक सकतें हैं लेकिन इसमें हमारी मदद कोई नहीं कर सकता. इसके लिए हमें खुद से आत्मविश्लेषण करना होगा. क्रोध न करने का संकल्प लेना होगा.
कभी क्रोध में अपना मुख आईने में देख लेंगे तो आपको अपने से घृणा अवश्य होगी. आशा है, फिर कभी भी इस रंग को अपने ऊपर न चढ़ने दें तभी इस लेख की सार्थकता होगी.