तीस हज़ारी में सौन्दर्यकरण के नाम पर बन रहे फव्वारे के खिलाफ जनहित याचिका पर HC में सुनवाई



अशोक कुमार निर्भय 

दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार और पी डब्लू डी को नोटिस जारी करके तीस हज़ारी न्यायालय परिसर में सौंदर्यकरण के नाम पर बनाएं जा रहे फव्वारे की उपयोगिता और खर्च के बारे में पूछा है। पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता पंकज यादव ने अपने अधिवक्ता संजीव सागर के माध्यम से याचिका दायर की थी की जब तीस हज़ारी कोर्ट परिसर में जनसुविधाएं जैसे पेशाबघर,स्वच्छ शौचालयों और विकलांगों के लिए शौचालय और रैम्प,लिफ्ट,पीने का स्वच्छ जल आदि की सुविधाएं अधिक नहीं है और जो है उनकी स्थिति भी ठीक नहीं है। फिर कैसे 50 लाख से लेकर एक करोड़ रुपए की लागत से फव्वारा बनाने की क्या आवशयकता है। दिल्ली उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी रोहिणी ने इस याचिका को किसी अन्य बैंच में भेजते हुए कहा कि दूसरी बैंच इस पर व्यापक सुनवाई करे। इसके बाद यह मामला जस्टिस बी डी एहमद और जस्टिस संजीव सचदेवा की खंडपीठ में इस याचिका की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान न्यायालयने कहा की जितनी सुविधाएं होनी चाहिए उतनी भी नहीं है स्थिति बहुत दयनीय है। इस याचिका का दायरा और बढ़ते हुए न्यायालय ने पूछा है कि पटियाला हाउस कोर्ट,कड़कड़ूमा कोर्ट,रोहिणी और साकेत समेत सभी जिला न्यायालयों में जनसुविधाऐं कितनी हैं और अगली सुनवाई में सारी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। ताकि उनमें भी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें। याचिकाकर्ता पत्रकार पंकज यादव ने जानकारी देते हुए कहा कि हमने जनहित याचिका इसीलिए डाली की पैसे का इस्तेमाल बेजा न हो और सही काम में सरकारी पैसा लगे लोगों की सुविधाएं बढे इन फव्वारों का कोई औचित्य ही नहीं है फिर भी पी डब्लू डी इस कार्य को कर रहा है जो गलत है जिसकी प्लानिंग से लेकर अभी तक हुआ काम सब जनता के लिए बेकार जैसा है। भला फव्वारे से किसको लाभ होगा ? तीस हज़ारी कोर्ट परिसर 50 वर्ष से भी पूराना है इसका सेनिटेशन सिस्टम भी वही पुराना है ऐसे में जनसुविधाएं सही होनी चाहिए बिल्डिंग की मरम्मत हो,स्वच्छ शौचालय सभी वर्गों महिलाओं और विकलागों के लिए पर्याप्त मात्र में हो,स्वच्छ पीने का पानी मिले,साफ़ सफाई हो इसीलिए हमने माननीय न्यायालय से गुहार लगाई है। अब न्यायालय को देखना है की क्या सही है क्या गलत।