भोपाल के रईस सिद्दीक़ी को साहित्य अकादमी अवार्ड-२०१८

२२ जून २०१८ को जारी प्रेस वीज्ञाप्ति के अनुसार , साहित्य अकादेमी नई दिल्ली ने उर्दू के नामवर बाल लेखक श्री रईस सिद्दीकी को उनके उर्दू बाल साहित्य में योगदान के लिए , उनकी किताब बातूनी लड़की को साहित्य अकादेमी बाल पुरस्कार २०१८ देने का एलान किया है।
बातूनी लड़की बाल कहानियों का संग्रह है जो २०१५ में प्रकाशित हुआ था जिस में २४ बाल कहानियाँ और एक बाल नाटक है। पुरस्कार १४ नवम्बर २०१८ को दिल्ली में प्रदान किया जाये गा । पुरस्कार में ५० हज़ार की राशि और तांबे का स्मृति चिन्ह आदि शामिल है जिसे आस्कर अवार्ड विजेता सत्यजीत रे ने डिज़ाइन किया है।


पूर्व में , शेरों की रानी ( बाल कथा संग्रह -१९८४ ) को सुहैल अज़ीमाबादी शिखर साहित्य पुरस्कार पटना से सम्मानित किया जा चूका चुका है । दिल्ली उर्दू अकादमी पुरस्कार २००४ और मध्य प्रदेश राष्ट्र भाष प्रचार समिति ,हिंदी भवन भोपाल-२०१७ के अलावा , रईस सिद्दीक़ी अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं.

श्री रईस सिद्दीक़ी बच्चों के लिए अनेक पुस्तकें लिख चुके हैं जिन में नन्हा बहादुर ( बाल कहानी आग्रह-२० ११) शीराज़ी कहानियां ( बाल कथा संग्रह-२०१४ ), जान पहचान ( उर्दू शायरों और लेखकों के साक्षात्कार -२००७ ),अच्छा खत कैसे लिखें ( १९९७) उर्दू लर्निंग कोर्स ( हिंदी से उर्दू सीखने की सम्पूर्ण गाइड ( १९९०, हर वर्ष रीप्रिंट होता है ), ज़बान-ए -उर्दू , क़ायदा ,भाग-१, भाग-२ (२००२, २००३, २००४ ) में प्रकाशित हो चुकी हैं.


विज्ञान प्रसार ( मानव विकास संसाधन मंत्रालय ) की २ बाल पुस्तकें ‘ चमत्कार का रहस्य और आयोडीन के सिपाही , साहित्य अकादेमी दिल्ली की अंग्रेजी पुस्तक टाँग लिंग एक्सप्रेस का उर्दू अनुवाद कर चुके हैं। रईस सिद्दीक़ी के शोध प्रक और ज्ञान वर्धक ४० आलेखों का संग्रह ‘ जो मैं ने जाना’ और उर्दू ग़ज़लों का संग्रह ‘ला-हासिल’ भी प्रकाशित हो चुके हैं.

रईस सिद्दीकी ने कार्यक्रम निष्पादक ( हिंदी ) की हैसियत से आकाशवाणी भोपाल में १९९१ में पदभार संभाला था , १९९३ में दिल्ली तबादला हो गया , वहां विदेश सेवा की अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू सेवा में कार्यरत रहे, २००७ में दूरदर्शन तबादला हो गया , वहां दूरदर्शन समाचार और डी डी उर्दू में २०१४ तक भारतीय प्रसारण सेवा अधिकारी की हैसियत से ज़िम्मेदारी का निर्वहन किया और दिसम्बर २०१७ को आकाशवाणी भोपाल के प्रमुख की हैसियत से काम करते हुए सेवा निवृत हुए और खूबसूरत शहर भोपाल में बस गए।