“कबीरा खड़ा बाजार में, मांगे सबकी खैर, ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर”. राम-जानकी संस्थान पाॅजिटिव ब्राॅडकास्टिंग हाउस और आरजेएस पॉजिटिव मीडिया के संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने सद्गुरु कबीर साहेब की “वाणी और साहित्य” पर 392 वां कार्यक्रम 17 जुलाई 2025को आयोजित किया।
कार्यक्रम को देवास मध्य के प्रसिद्ध कबीर लोक गायक दयाराम सरोलिया ने अपने दिवंगत पिता स्व० बाबूलाल सारोलिया और माता स्वर्गीय गंगा देवी सारोलिया व अपने ममेरे भाई स्व० डॉ. महेश यादव की स्मृति में को-ऑर्गेनाइज किया. इस अवसर पर दयाराम सारोलिया ने साथियों सहित अन्य कबीर भजन प्रस्तुत किए। दयाराम सारोलिया ने मुख्य गायन और हारमोनियम वादन किया।
वहीं पंडित कुमार गंधर्व की नगरी देवास, मध्य प्रदेश से तंबूरे पर तेजू लाल यादव साहब, ढोलक पर देवीदास बैरागी, टीमकी पर सज्जन परमार, मंजीरा पर जगदीश चौहान व समंदर सिंह सारोलिया शामिल थे।
इसमें सहयोग कुलदीप सिंह सारोलिया एवं डॉक्टर प्रदीप सिंह सारोलिया का रहा। दयाराम सारोलिया ने कबीर के ज्ञान और पारंपरिक मालवा लोकगीतों को एक पुस्तक में संकट करने के प्रयासों के बारे में बात की।
मुख्य अतिथि नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली के महामंत्री डॉ हरि सिंह पाल ने कबीर के निडर और शुद्ध सत्य कथन की सराहना की जो उनके युग की कम साक्षरता को देखते हुए विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उनकी शिक्षाएं भाषण और क्षेत्रीय सीमाओं को पार कर गई और लोक परंपराओं में गहराई से समाहित हो गई उन्होंने यह भी बताया कि कबीर का संदेश साहित्य ज्ञान से दूर लोगों तक भी पहुंचा जैसे त्रिनिदाद ,सूरीनाम, गुयाना, फिजी मॉरीशस और दक्षिण अफ्रीका में भारतीय प्रवासियों द्वारा ले जाया गया। डॉक्टर पाल ने बाहरी अनुष्ठानों या धार्मिक विभाजनों पर आंतरिक पवित्रता और आध्यात्मिक भक्ति के कबीर के केंद्रीय संदेश पर जोर दिया।
मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के आचार्य और प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि कबीर समाज सुधारक थे और आम लोगों से गहराई से जुड़े थे और पाखंड के उन्मूलन की वकालत करते थे। कबीर सच्ची भक्ति और प्रेम को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने आगे कहा कि प्रेम विनम्रता और एकता का कबीर का संदेश आज भी विभाजित दुनिया में गंभीर रूप से आवश्यक है जहां युद्ध, हिंसा और अलगाव तीसरे विश्व युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर रहे हैं। प्रोफेसर शर्मा ने कबीर के व्यापक वैश्विक प्रभाव का भी उल्लेख किया जहां उनकी शिक्षाएं लगभग 100 देश में गूंज रही हैं जहां साढे तीन करोड़ लोगों तक पहुंच रही हैं ।वहां कोई कबीर को सुन रहा है।
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के वरिष्ठ कार्यक्रम निदेशक सुनील कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि कबीर की शिक्षाएं सकारात्मक जीवन और मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शन है।
उन्होंने 18 जुलाई को आरजेएस पीबीएच के मंच पर प्रसिद्ध कवि गोपाल दास नीरज और अपने माता-पिता की स्मृति में कार्यक्रम भारतीय भाषाओं और संस्कृति का वैश्विक योगदान विषय पर आयोजित करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि आईसीसीआर का मिशन भी भारत और अन्य देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों और आपसी समझ को बढ़ावा देकर मजबूत करना है।
इस कार्यक्रम में नागपुर की चंद्रकला भरतीया , हैदराबाद की निशा चतुर्वेदी और उज्जैन के संगीतकार और नाटककार सुंदरलाल मालवीय ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम के अंत में श्री मन्ना ने आरजेएस पीबीएच परिवार के सह-आयोजकों के आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की और लोगों को आमंत्रित किया। 20 जुलाई -निशा चतुर्वेदी, 22 जुलाई सुदीप साहू , 26जुलाई साधक ओमप्रकाश ,27 जुलाई को दिल्ली में प्रेस वार्ता – दीप माथुर , 28 जुलाई, सरिता कपूर 29जुलाई , राजेंद्र सिंह कुशवाहा विभिन्न सकारात्मक विषयों पर कार्यक्रम को-ऑरगेनाइज करेंगे। जुलाई माह में 400 कार्यक्रमों के बाद 1 अगस्त से 15 अगस्त तक 78वें आजादी पर्व पर अंतर्राष्ट्रीय सकारात्मक चिंतन महोत्सव के अंतर्गत रविवार 10 अगस्त 2025 को शारदा ऑडिटोरियम, रामकृष्ण मिशन, कनाॅट प्लेस,नई दिल्ली में भव्य अंतर्राष्ट्रीय सम्मान, सांस्कृतिक और ग्रंथ 05 पुस्तक का लोकार्पण होगा। इस अवसर पर देश-विदेश से आए पति-पत्नी को सम्मानित किया जाएगा।