राम जानकी संस्थान (आरजेएस) नई दिल्ली द्वारा कंज्यूमर ऑनलाइन फाउंडेशन के सहयोग से बाजारवाद के दौर में उपभोक्ताओं को बरगलाने वाले झूठे विज्ञापनों को रोकने के लिए आयोजित आजादी की छियानबेवीं आजादी की अमृत गाथा वेबिनार में सौ से ज्यादा देश-विदेश से जुड़े लोगों ने अतिथियों के विचारों का जोरदार स्वागत किया। आरजेएस राष्ट्रीय संयोजक उदय मन्ना ने अगले रविवार 23 अक्टूबर को पर्वों और त्यौहारों में सकारात्मक संस्कृति विषय पर सनताबेवां आजादी की अमृत गाथा पटना में फिजिकल और जूम पर वर्चुअल करने की घोषणा आरजेएस ऑब्जर्वर दीपचंद माथुर की उपस्थिति में की।
आरजेएस वेबिनार में ए.एस.सी.आई ने आरजेएस वेबिनार में अपना वाट्सएप नंबर 7710012345 भी जारी किया । भ्रामक विज्ञापन की शिकायत और सुझाव दर्ज कराया जा सकता है। भ्रामक विज्ञापन पर चर्चा का विषय पिछले वेबिनार में आरजेएस फैमिली से जुड़ी नागपुर की सरोज गर्ग ने सुझाया था,जिसे आरजेएस एडवाइजर प्रोफेसर बिजाॅन कुमार मिश्रा ने स्वीकृत कर लिया था।
फार्मासिस्ट व पेंशेंट सेफ्टी एंड एक्सेस इंडिया फाउंडेशन के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल डी सेठ व रंजन बेन सेठ ने वेबिनार में भ्रामक विज्ञापन की वस्तुस्थिति पर प्रकाश डाला । कंज्यूमर ऑनलाइन फाउंडेशन के संस्थापक निदेशक प्रो. बिजॉन कुमार मिश्रा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने जागो ग्राहक जागो की थीम को प्रतिभागियों तक पहुंचाने की सफल कोशिश की । उन्होंने उपभोक्ता संरक्षण के सरकारी संस्थान को और अधिक प्रभावी बनाने और उपयुक्त लोगों को पदभार देने की आवश्यकता बताई। लोगों की भ्रामक विज्ञापनों की शिकायतों पर अतिथियों से मार्गदर्शन मिला।मुख्य अतिथि परितोष जोशी सदस्य,एएससीआई बोर्ड ने अपनी संस्था के बारे में बताया। इस संस्था के सदस्य सलाहकार प्रो. बिजॉनकुमार मिश्रा रहे । परितोष जोशी ने बताया कि एएससीआईं अर्ध न्यायिक संस्था है संस्था का गठन धारा 25 कंपनी अधिनियम नॉट फॉर प्रोफिट के अंतर्गत हुआ है । यह संस्था 1985 में स्थापित हुई तथा स्वतः और शिकायत के बाद भी कार्यवाई करती है । एडवरटाइजिंग बॉडी इंडस्ट्री ने स्वयं इस संस्था का गठन किया है । यह भ्रामक विज्ञापन अश्लील विज्ञापन समाज के विपरीत विज्ञापन पर निगाह रखती है और कार्यवाई करती है । सीईआरसी के सीईओ उदय मवानी ने कन्ज्यूमर एजुकेशन रिसर्च सेंटर अहमदाबाद के विषय में बताया। कन्ज्यूमर एजुकेशन के क्षेत्र में 1986 से जब कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन अधिनियम आया उससे पहले कार्य कर रही है । रिसर्च ,एडवोकेसी , उपभोक्ताओं को जागरूक करने व ट्रेनिग देने का काम करती है । कन्ज्यूमर एजुकेशन व रिसर्च सेंटर की अनुषा अय्यर ने स्लाइड के माध्यम से संस्था व भ्रामक विज्ञापनों के बारे में बताया । उन्होंने बताया कि भ्रामक विज्ञापन की शिकायत सेंट्रल कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन अथारिटी में भी की जा सकती है । उन्होने बताया की ताबीज के विज्ञापन ,दवा के विज्ञापन गलत दावा करे तो ये भ्रामक विज्ञापन हैं । उन्होंने 31 सुझाव सेंट्रल कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी को भेजे व उन पर विचार किया गया । 2021 में 66% विज्ञापन थे । एक बाबा ने दावा किया कि हमारी दवा फलां बीमारी दूर करेगी , जबकि ऐसा नहीं होता तो यह भ्रामक विज्ञापन है । ग्राहक साथी के नाम से ई मैगजीन सी ई आर सी निकालती है । परितोष जोशी ने बताया कि जॉन एफ कैनेडी ने बिल ऑफ राइट में उपभोक्ताओं के अधिकार बनाया जैसे सूचना का अधिकार सुरक्षा का अधिकार चुनने का अधिकार सुने जाने का अधिकार आदि । बैंक से सेवानिवृत्त व कवयित्री सरोज गर्ग ने सबको धन्यवाद करते हुए अपनी कविताओं से भावविभोर कर दिया।