संत कबीर की 625 वीं जयंती व पर्यावरण दिवस पर आरजेएस पीबीएच वेबिनार संपन्न

“डाली छेड़ूं ना पता छेड़ूं, न कोई जीव सताऊं , पात-पात में प्रभु बसत है वाही को शीश नवाऊं- कबीर।”  संत कबीर की 625 वीं जयंती और  विश्व पर्यावरण दिवस पर रामजानकी संस्थान के आरजेएस पीबीएच का छठा संस्करण आयोजित किया गया ।इसमें बागवानी और फूलों की खेती को बढ़ावा देने तथा प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण के संभावित समाधान पर ध्यान दिया गया।  वेबिनार का संचालन आरजेएस राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने किया और कहा सकारात्मक भारत -उदय आंदोलन की कड़ी में विश्व प्रत्यायन दिवस के उपलक्ष्य में रविवार 11जून को आजादी की‌ अमृत गाथा का एक सौ सैंतालीसवां संस्करण होगा और 24 जुलाई को सकारात्मक दिवस मनाया जाएगा . धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आरजेएस ऑब्जर्वर दीपचंद माथुर ने कहा कि 6 अगस्त 2023 को दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में सकारात्मक भारत-उदय आंदोलन की पुस्तक का लोकार्पण होगा और आरजेएस पीबीएच स्टूडियो फ्लोर पर उतार दिया जाएगा।  वेबिनार की मेजबानी श्री अशोक कुमार मलिक, कवि और सुश्री प्रतिभा दीक्षित संस्थापक अध्यक्ष, ममता सागर फाउंडेशन ने की । ओपनिंग रिमार्क्स में अशोक कुमार मलिक, कवि ने वेदों के पृथ्वी सूक्त और आर्यनी सूक्त की ओर ध्यान आकर्षित किया जिसमें पृथ्वी और हरित वन को वैदिक ऋषियों ने प्रेमपूर्वक और दार्शनिक रूप से संबोधित किया है।

   प्रतिभा दीक्षित ने सभी का स्वागत करते हुए पर्यावरण दिवस पर दो सुंदर कविताएं सुनाई और पौधारोपण के लिए जागरूकता अभियान चलाने की बात की।

 आमंत्रित विशेषज्ञों में डा.अलका सिंह, प्रिंसिपल और डीन एएसईई कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर नवसारी एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी गुजरात  और‌ पत्रकार व लेखक  टिल्लन रिछारिया ने संबोधन दिया।

टिल्लन रिछारिया ने कहा कि पौधारोपण का आदर्श समय वर्षा ऋतु  है । हरेली पर जो कि श्रावण अमावस्या 17 जुलाई के दिन होगा इस वक्त पौधारोपण विशेष लाभदायक होगा। बृक्षारोपण करनेवालों को ट्री गार्ड पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। वेबिनार के दौरान हरेली, वन महोत्सव जैसे त्योहारों और सर जे.सी. बोस जैसे व्यक्तियों का उल्लेख किया गया जिन्होंने हमें पौधों की संवेदनशीलता से अवगत कराया।

अतिथि वक्ता डॉ. अलका सिंह ने कहा कि पौधे न केवल पर्यावरण को सुधारते हैं बल्कि हमें खुशी भी देते हैं और अच्छे हार्मोन रिलीज करने में मदद करते हैं जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।  उन्होंने विडियो में प्रदर्शित किया कि खाद कैसे तैयार की जाती है और  बर्तन में मिश्रित की जाती है, कैसे मिट्टी, पत्ती मोल्ड, और वर्नीकम्पोस्ट के मिश्रण को भरने से पहले बर्तन के तल पर छेद को मिट्टी के टुकड़े से ढक दिया जाता है, कितना पानी छिड़का जाता है और फिर कैसे  अधिक पानी से बचने के लिए अक्सर पानी का ध्यान रखें।  उनके छात्रों ने जो बीज बोए थे, वे खूबसूरत पेड़ पिंक कैसिया के थे, जो खूबसूरत एवेन्यू ट्री है।उन्होंने घर के अंदर मनी प्लांट, फिलोडेंड्रोन, क्लोरोफाइटम, स्नेक प्लांट और सेडम जैसे रसीले पौधे उगाने का भी सुझाव दिया।  जिनके फ्लैट की बालकनी में धूप है वे चमेली, मोगरा, गुड़हल उगा सकते हैं।  

अन्य प्रतिभागियों ने भी पर्यावरण दिवस पर अपने विचार व्यक्त किए और विशेषज्ञों से बातचीत की। इनमें सुरजीत सिंह जी दीदेवार, ओम प्रकाश झुनझुनवाला, आरएस कुशवाहा,आरके  बिश्नोई,इसहाक खान ,सोनू कुमार, धनपति सिंह कुशवाहा आदि शामिल रहे।

सबसे दिलचस्प वीडियो में बड़ोदा गुजरात की  रंजन बेन सेठ ने घर में लगे गमलों में कई फूल-पौधे दिखाए  और उनके आस-पास का हरा-भरा वातावरण ऐसा है कि पक्षी चहचहाते हैं और वहां पर मंडराते हैं जिससे देखने वालों को खुशी होती है.

आशीष रंजन ने अपने जन्मदिन 5 जून के उपलक्ष्य में गमले में पौधे लगाए । विनोद स्वामी कवि की विडियो दिखाई गई जिसमें वो अपनी मां की याद में खेत में बृक्षारोपण किये।

डा अलका सिंह ने प्रतिभागियों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि कि स्नेक प्लांट रात में कार्बन डाइऑक्साइड को सोख लेता है।  उन्होंने यह भी बताया कि गुड़हल के फूल एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं और चाय में इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।  उनके द्वारा सुझाई गई एक और खूबसूरत  प्रसिद्ध मधु मालती है जिसे हर गौरी के नाम से भी जाना जाता है।

अलामंता और पोर्टुलाका के अलावा  फूल उगाने के बारे में पूछे जाने पर, डॉ अलका सिंह ने सुझाव दिया कि चूंकि फूल आसानी से खराब हो जाते हैं, इसलिए उन्हें धार्मिक या अन्य समारोहों की मांग से कुछ महीने पहले और इच्छित बाजार की निकटता को ध्यान में रखते हुए उगाया जाना चाहिए।

   गांवों में किसान कुल्हड़ में गमले में लगाए गए पौधों के साथ एक छोटी नर्सरी भी उगाकर अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं, जिसकी अच्छी कीमत मिलती है।

 अगर पानी जमा न होने दिया जाए तो मच्छर जैसे कीड़ों से बचा जा सकता है।  डॉ अलका सिंह का सभी के लिए संदेश: “हर किसी को कम से कम 5 पौधे अवश्य लगाने चाहिए”।