ANURAG THAKUR IS THE BEST CHOICE FOR BCCI PRESIDENT


अनुराग ठाकुर बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए सही हकदार हैं

एस. एस. डोगरा

बीसीसीआई के अध्यक्ष श्रीनिवासन ने कुर्सी की लालसा व लालची क्रिकेट खिलाड़ियों में अनाप शनाप ढंग से पैसा कमाने की हौड़ ने आज क्रिकेट प्रेमियों को गहरा जख्म दिया है। पैसा एक जरूरत तो है लेकिन क्या उसे पेनाह कमाने के लिए कोई आत्मा को भी बेच देने को तैयार हो जाता है। उसी का जीता जागता उदाहरण पेश कर रहा है हाल ही में आयोजित हुआ आईपीएल-6 का स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण। कितने गैरत की बात है कि विदू दारा सिंह की स्पॉट फिक्सिंग में लिप्तता ने अपने पिता विश्व प्रसिद्ध पहलवान व स्वर्गीय अभिनेता दारा सिंह का नाम मिट्टी में मिला दिया। पहले आईपीएल के अध्यक्ष ललित मोदी और अब राजीव शुक्ला को भी शक के दायरे से गुजरने के कारण इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

पैसे की चकाचौंध से भरपूर आईपीएल ने क्रिकेट के मैदान में अश्लील रूप से नाचती चीयर गर्ल्स व युवा क्रिकेट खिलाड़ियों को गरम गोस्त चखाने, सट्टाबज़ारी के शिवाय क्या दिया है। हालांकि पहले क्रिकेट प्रेमियों को टेस्ट मैच सीरीज के अलावा इंग्लैण्ड में प्रतेयक वर्ष आयोजित होने वाली काउन्टी क्रिकेट बेहद लोकप्रिय हुआ करती थी। आज आईपीएल ने सभी देशों को पछाड़ते हुए विश्व में अपनी उम्दा पहचान तो बना डाली है। परिणामस्वरूप, बीसीसीआई पर भी खूब धन वर्षा हुई और आज यह विश्व में सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बन गया है।

लेकिन आज प्रसाशकों का गैर जिम्मेदारान रवैया, स्पॉट फिक्सिंग, चरित्रहीनता व मैचों के बाद होटलों में खिलाड़ियों व फिक्सरों द्वारा सेक्स भोगने जैसी अमानुष व घिनोनी हरकतों ने “जेंटल गेम” से मशहूर क्रिकेट के खेल को बदनाम करने में अहम भूमिका अदा की है। भारतीय क्रिकेट के योद्धा/आईसीएल के जनक पूर्व क्रिकेट कप्तान कपिल देव ने 1983 में, विश्व कप जीतकर पूरे भारत वर्ष में क्रिकेट को अनोखी पहचान दिलाई। लेकिन बीसीसीआई ने इस महान खिलाड़ी के साथ कितनी बेसलूकी की थी वह किसी भी क्रिकेट प्रेमी से छुपी नहीं है। इन सब की पीछे क्या वजह रही होगी इसकी तय में जाने की जरूरत है, वास्तव में खेल संघो में ज़्यादातर राजनीतिज्ञों व व्यवसायियों ने सर्वोच्च पद कब्जाए हुए हैं। जिन्होने अपने पूरे जीवन में खेल के मैदान के दर्शन तक नहीं किए उन्हे खेल व खिलाड़ी की भावना से कोई सरोकार नहीं। वे तो अपने राजनैतिक व धन के प्रभाव मात्र से मुखिया बने बैठे हैं उन्हे यह भी पता है कि वे अपने खेल संघों व खेल/खिलाड़ियों विशेष का कुछ उद्धार करे या ना करें उन्हे कोई पूछने वाला हैं ही नहीं। कल ही माननीय प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह जी ने भी खेलों में राजनीतिज्ञों की दखलंदाज़ी की निंदा की है। विश्व के सर्वकालीन महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने भी आईपीएल-6 में स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण पर गहरा दुख प्रकट किया।

अब प्रश्न उठता है कि बीसीसीआई की बागडौर किसके हाथ में पकड़ाई जाए। अध्यक्ष पद के लिए शिवलाल यादव और अनुराग ठाकुर पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाना चाहिए। गौरतलब है शिवलाल यादव पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी हैं उन्हे न केवल मैदान में खेलने का अनुभव बल्कि वे वर्तमान समय में भी बीसीसीआई में बतौर उपाध्यक्ष के पद पर निर्विवाद सेवाएँ भी दे रहें हैं। इसी तरह अनुराग ठाकुर भी बचपन से क्रिकेट खिलाड़ी रहें हैं डीएवी स्कूल में क्रिकेट खेलने के अलावा पंजाब क्रिकेट U -14 के कप्तान भी रह चुके हैं। हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ में 2001 से संस्थापक अध्यक्ष के अलावा बीसीसीआई में बतौर सह सचिव के पद पर कुशलतापूर्वक योगदान दे रहें। अनुराग एक ईमानदार, शिक्षित व समाज सेवी परिवार से संबंध रखते हैं। इनके पिता प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने बतौर राज्य के मुख्यमंत्री कार्यकाल में अनेकों विकास कार्यों को सुखद अंजाम दिया। अनुराग ठाकुर ने भी हिमाचल प्रदेश में खेलों के विकास के लिए प्रतेयक जिले में बड़े-बड़े स्टेडियम की स्थापना की है। 2009 में वे भले ही सांसद जरूर बन गए हो लेकिन खेलों व खिलाड़ियों विशेष सुविधाएं जुटाने व प्रोत्साहन देने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। उनके क्रिकेट प्रेम का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होने धर्मशाला में स्थित क्रिकेट स्टेडियम के खेल परिसर में सचिन के नाम को समर्पित किया है। और 20 मई, 2013 को, धर्मशाला में स्थित क्रिकेट स्टेडियम में सांसद क्रिकेटर व बॉलीवुड के सितारों के मैच कराकर, क्रिकेट प्रेम व खेल विकास कार्य का उम्दा उदाहरण पेश किया। आज हमें ऐसे ही युवा एवं प्रतिभाशाली खेल प्रेमी को ही देश के प्रमुख व गौरवशाली संघ के नेत्रत्व की बागडोर थमा देनी चाहिए। जो खेल व खिलाड़ी की भावना को मद्देनजर रखते हुए देश के खेलों के विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं।