भाजपा नेता श्री राजेश गहलोत हमेशा जीवित रहेंगे

[प्रो. एस.एस. डोगरा]

गुरुवार, 14 अगस्त 2025, हमारे दिलों में हमेशा दुःख और चिंतन के दिन के रूप में अंकित रहेगा। इस दिन हमने केवल एक सामाजिक-राजनीतिक नेता को ही नहीं खोया ; हमने एक अद्वितीय मानव को खो दिया —जो एक मित्र, मार्गदर्शक, भाई और गर्मजोशी तथा विनम्रता का प्रतीक रहे । श्री राजेश गहलोत केवल राजनीति में एक नाम नहीं थे; वह एक ऐसी आत्मा थे जिसकी उपस्थिति ने जीवन को रोशन किया, जिसके शब्दों ने सभी को प्रेरित किया, और जिसके हृदय ने सभी को भेदभाव रहित अपनाया।

मुझे याद है कि कुछ साल पहले उनके जन्मदिन पर मैंने उन्हें एक रचनात्मक फोटो फ्रेम भेंट किया था। उनके नाम के प्रत्येक अक्षर में एक अर्थ निहित था, जो उनके असाधारण व्यक्तित्व को दर्शाता था: वे विश्वसनीय, अद्भुत, खुशमिज़ाज, उत्कृष्ट, चमकदार, विनम्र… सज्जन, सक्षम, उच्च कोटि, वफादार, स्व-निर्मित, सर्वोच्च गुणवाले व्यक्ति थे। प्रत्येक शब्द उस व्यक्ति की झलक था जो हर दिन इन्हें सहजता से जीते थे। वह फ्रेम केवल एक उपहार नहीं था — यह एक जीवन के सम्मान का प्रतीक था जिसने मेरे अलावा कई लोगों को प्रेरित किया।

2 अक्टूबर को जन्मे राजेश जी का जन्मदिन महात्मा गांधी जी के साथ साझा था — और बापू की तरह, उन्होंने सरलता, विनम्रता और निस्वार्थ सेवा का जीवन अपनाया। वे सत्य के मार्ग पर चलने, दूसरों को उन्नत करने और उदाहरण प्रस्तुत करने में विश्वास रखते थे। उनका जीवन उन मूल्यों का जीवंत प्रतिबिंब था जिनकी उन्होंने कदर की, और उनके कर्म किसी भी शब्द से अधिक गूंजते थे।

मेरा उनसे पहला परिचय 1997-98 में हुआ, जब मुझे श्री साहिब सिंह वर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री दिल्ली, के माध्यम से उनसे मिलवाया गया। उस दिन से एक मित्रता विकसित हुई — जो राजनीति, पद-प्रतिष्ठा से परे थी। वे मेरे लिए बड़े भाई की तरह थे। उनके राजनीतिक सफर में, उन्होंने निगम पार्षद से लेकर उपमहापौर और फिर दिल्ली विधानसभा में विधायक तक का मार्ग तय किया, और भारत भर में राजनीतिक नेताओं और आरएसएस कार्यकर्ताओं से सम्मान और प्रशंसा प्राप्त की। तमाम उपलब्धियों के बावजूद, वे विनम्र, मिलनसार और अत्यंत मानवीय बने रहे।

हमारा रिश्ता व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों ही स्तर पर गहरा था। 25 वर्षों में उन्होंने मुझे अपने परिवार, समारोहों और जीवन में अपने स्नेह के साथ शामिल किया। मैंने पहली बार उनका साक्षात्कार 2001 में हरिभूमि हिंदी दैनिक समाचार पत्र के लिए लिया। 2014 में, डॉ. अशोक यादव की सिफारिश पर, उन्होंने मुझे द्वारका श्री रामलीला सोसाइटी की कार्यकारी समिति के मीडिया सलाहकार के रूप में नियुक्त किया। राजेश जी का भगवान राम के प्रति समर्पण गहरा था; उन्होंने अपने आस-पास के सभी लोगों — परिवार, मित्र, गांववासी और पार्टी कार्यकर्ताओं — को धर्म, सेवा और समर्पण के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। उनके नेतृत्व में, द्वारका श्री रामलीला सोसाइटी भारत की सबसे प्रसिद्ध रामलीलाओं में से एक बन गई, जिसे दो बार माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति और सम्मान के साथ देखा, जो राजेश जी के असाधारण योगदान का प्रतीक था।

मेरे लिए, राजेश जी सिर्फ मित्र नहीं थे — वे परिवार थे। उनका मार्गदर्शन एवं स्नेह मेरे जीवन के अनगिनत पलों को आकार देता रहा। पिछले साल नवंबर में, उन्होंने मेरे पुत्र अक्षांश सिंह डोगरा की शादी में पंकज सिंह जी के साथ व्यक्तिगत रूप से अपनी गरिमापूर्ण उपस्थिति, आशीर्वाद और हार्दिक शुभकामनाएं दीं, जिसे मैं हमेशा संजो कर रखूंगा। उनका समर्थन केवल व्यक्तिगत संबंधों तक सीमित नहीं था। वे सामाजिक उत्थान के भी हिमायती थे, जैसे द्वारका टॉपर्स अकादमिक अवार्ड्स और दृष्टिहीन व्यक्तियों के संघ का समर्थन, हमेशा दूसरों को सशक्त बनाने और समुदाय को बढ़ावा देने में विश्वास रखते थे।

जब मुझे परसों यानि 14 अगस्त को उनके अचानक निधन की खबर मिली, तो विश्वास करना कठिन था। संजय मिश्रा जी, सजीव गोयल जी और उनके भतीजे दीपक गहलोत से दुखद समाचार की पुष्टि करने पर, मैंने उस खालीपन को महसूस किया जिसे शब्द व्यक्त नहीं कर सकते। नेपाल में होने के कारण, मैं उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका, लेकिन उनकी मासूम, मुस्कुराती हुई सूरत, बुद्धिमत्ता और स्नेह की याद जीवंत बनी हुई है।

श्री राजेश गहलोत का जीवन ईमानदारी, समर्पण और करुणा का प्रतीक था। उनके कर्मों ने सम्मान अर्जित किया, उनके शब्दों ने साहस बढ़ाया, और उनकी उपस्थिति ने सभी को सुकून दिया। भले ही अब वे हमारे बीच शारीरिक रूप से नहीं हैं, लेकिन उनकी आत्मा उन अनगिनत जीवनों में जीवित है जिन्हें उन्होंने स्पर्श किया। उनकी लोकप्रियता का प्रमाण यह था कि उनके अनगिनत प्रशंसकों ने अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दी, “राजेश भाई अमर रहेंगे” का नारा लगाते हुए उनका शरीर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया।

उनकी विरासत स्मारकों या पुरस्कारों में नहीं बल्कि उस प्रेम, मार्गदर्शन और प्रेरणा में है जो उन्होंने पीछे छोड़ी — एक खजाना जो पीढ़ियों तक बना रहेगा।

हम, उनके सभी मित्र, शुभचिंतक और परिवार, उनकी स्मृति का सम्मान उनके सपनों और आदर्शों को आगे बढ़ाकर कर सकते हैं। ईश्वर श्री राजेश गहलोत की आत्मा को शांति प्रदान करें, और उनका जीवन समर्पण, विनम्रता और मानवता का चमकता हुआ उदाहरण बना रहे। भले ही वे अब हमारे सामने नहीं हैं, लेकिन वे हमेशा हमारे दिलों, हमारी यादों और उन जीवनों में जीवित रहेंगे जिनमें उन्होंने अपनी असाधारण उपस्थिति से बखूबी जिया।

[ प्रो. एस.एस. डोगरा वरिष्ठ पत्रकार-लेखक-मीडिया शिक्षाविद हैं वे इन- दिनों, नेपाल में बतौर अतिथि-शिक्षक अध्यापन कार्य में जुटे हुए हैं ]