चौंकाएंगे सिंहासन बत्तीसी के थ्रीडी इफेक्ट्स : धीरज कुमार

चन्द्रकांत शर्मा  

दर्शकों को खुश करना आसान नहीं होता। फिल्म हो या टीवी सीरियल, हर पक्ष को मज़बूत रखना पड़ता है, जिसके लिए एक अच्छा टीमवर्क होना जरूरी है। जिस शख्स ने 1984 में धारावाहिक ‘कहां गए वो लोग’ के जरिए टीवी की दुनिया में कदम रखा था, 2014 तक उसने करोड़ों दर्शकों का दिल जीतते हुए क्रिएटिव आई के रूप में एक बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दिया है, जहां दर्जनों प्रतिभाशाली लोगों की टीम ने एक से बढ़कर एक धारावाहिक दिए हैं। मनोरंजन की दुनिया की वह कद्दावर हस्ती हैं धीरज कुमार, जिनका टीवी सीरियल सिंहासन बत्तीसी इन दिनों सोनी पल के दर्शकों को विक्रम और बेताल की कहानियां दिखा रहा है जो माइथोलोजिकल कम फैंटेसी शो है। बेताल शो का सबसे प्यारा और दिलचस्प किरदार है। यह कैरेक्टर राजेश खेरा ने प्ले किया है। धीरज कुमार कहते हैं कि सिंहासन बत्तीसी का सबसे खास आकर्षण इसकी भव्यता है जिसमें थ्रीडी इफेक्ट्स यूज़ किए गए हैं। वह कहते हैं कि चिराग ने सीरियल का ग्राफिक्स किया है और कम से कम अस्सी लोगों की टीम दिन-रात धारावाहिक को तकनीकी भव्यता देने में जुटी है। धीरज कुमार कहते हैं कि सोनी पल में टेलीकास्ट हो रहा हमारा धारावाहिक काफी कम समय में लोकप्रिय हो चला है।

दर्शकों के टेस्ट और वक्त के हिसाब से हमें बदलना पड़ा है। दर्शक हर बार कुछ नया चाहता है और हमने हर बार नया ही दिया। हालांकि इससे पहले कई धारावाहिकों में ग्राफिक्स यूज़ हुए हैं लेकिन इसके खास थ्रीडी इफेक्ट्स चौंकाने वाले होंगे और मुझे लगता है कि इस तरह की टैक्नोलॉजी अब तक किसी धारावाहिक में इस्तेमाल नहीं की गई। जिस दिन हमें अहसास होने लगेगा कि सीरियल अपना आकर्षण खो रहा है, हम इसे बंद कर देंगे। सिंहासन बत्तीसी के हर एपिसोड में काफी मेहनत की गई है। जैसे कि एक बार राजा विक्रमादित्य स्वर्ग जाने के लिए इंद्र से गुज़ारिश करते हैं। स्पेशल इफेक्ट्स के जरिए समुद्र और स्वर्ग के बीच एक पुल बनाया गया जहां घोड़ा दौड़ता हुआ अपने लक्ष्य तक पहुंचता है।

Kajal Jain, Karan Suchak, Sayantani Ghosh,
Dheeraj Kumar, Siddharth Arora & Cheshtha Mehta
इन दिनों आप दूरदर्शन से दूर हैं और आपके ज्यादातर धारावाहिक विभिन्न चैनलों पर टेलीकास्ट होते रहे हैं? इस सवाल पर धीरज कुमार कहते हैं कि दूरदर्शन से मैंने बहुत कुछ सीखा है और इस माध्यम ने हमें दिया भी बहुत कुछ है। दूरदर्शन की पहुंच आज भी काफी ज्यादा है। कम एपिसोड के धारावाहिक अब ज्यादा क्यों नहीं दिखाए जा रहे? इस सवाल पर धीरज कहते हैं कि किसी भी धारावाहिक का सेट लगाने के लिए अगर दो करोड़ का खर्चा आता है, तो कम एपिसोड में हम धारावाहिक पर होने वाले खर्चे को सहन नहीं कर सकते। लंबे धारावाहिक से ही लाभ की उम्मीद की जा सकती है क्योंकि इससे उस सेट पर खर्च की गई रकम का पैसा वसूल हो जाता है इसलिए हमारे अधिकांश धारावाहिक लंबे समय तक चलते हैं। इन दिनों स्तरीय धारावाहिक नहीं दिखाए जा रहे? इस पर धीरज कहते हैं कि अच्छे और बुरे दोनों तरह के धारावाहिक दिखाए जा रहे हैं। जहां टीम और उनका वर्क अच्छा है, वह सीरियल पोपुलर है। दरअसल, अच्छे राइटर्स, एक्टर्स और क्रिएटिव लोगों की कमी महसूस की जा रही है। जब दूरदर्शन था, तब काफी अच्छे सीरियल दिखाए जाते थे क्योंकि उनके कन्टेन्ट की आत्मा स्ट्रॉन्ग थी। अब हम जग्लरी हो गए हैं। क्या आप अपने धरावाहिक देखते हैं? मैं अपने ही स्टाफ से रिस्पॉन्स लेता रहता हूं कि उनका परिवार किस सीरियल को ज्यादा पसंद कर रहा है और क्यों! जब भी किसी चैनल पर नया धारावाहिक शुरू होता है, तो मैं पहले पांच एपिसोड जरूर देखता हूं जिससे मुझे उसके स्तर का अंदाज़ा हो जाता है। धीरज कहते हैं कि उनका क्रिएटिव आई बहुत जल्द दो सीरियल लेकर आ रहा है जिसमें एक माइथोलोजिकल है। ऐसा धारावाहिक अब तक किसी ने नहीं देखा होगा। इसका खुलासा भी हम कर देंगे लेकिन पहले दर्शक सिंहासन बत्तीसी का लुत्फ उठाएं।