अशोक कुमार निर्भय
कृषि प्रधान देश का 80 फीसदी इलाका पिछले हफ्ते भर से दिन से पश्चिमी चक्रवात की चपेट में है । चक्रवात की वजह से लगातार तेज बारिश हुई और आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है । बेमौसम की इस बरसात ने शहरी आबादी की तकलीफें तो बढ़ाई हैं,वहीं इससे गांवों में ये पूरी तरह तबाह हो चुके है बारिश इनके लिए आफत बनकर आई है । खड़ी फसलें बारिश और हवाओं के कारण चौपट हो गईं है । आसमान से ऐसी आफत बरसी कि छोटे किसानों के लिए जीविका का संकट पैदाहो गया है और अब आने वाले कुछ दिनों में अर्थव्यवस्था भी अब इसके असर से बच नहीं पाएगी।
चक्रवात से एकाएक बिगड़े मौसम के चलते बड़े पैमाने पर गेहूं की खड़ी फसल चौपट हो चुकी है।खासकर दालों और फलों,सब्जियों की फसलों को भी बारिश ने भारी नुकसान पहुंचाया है।फाल्गुन में मार्च महीने की शुरुआत यानी कटाई का मौसम, ऐसा मौसम जब लहलहाते हुए खेतों से खुशी घर आती है और होलिका दहन में अन्न के पहले दाने समर्पित किए जाते हैं। लेकिन बिन मौसम हुई बारिश की मार ने फसल बर्बाद कर किसानों का सब कुछ बर्बाद कर दिया है। उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से में खड़ी हुई फसल चौपट हो चुकी है। जो फसलें बर्बाद हुईं उनमें गेहूं, सरसों, अरहर, आम, लीची, टमाटर,मटर,गोभी शामिल हैं। कई प्रदेशों में इस बरसात ने किसानों को रोने पर मजबूर कर दिया है। गुजरात में गेहूं समेत धनिया और जीरा,सोयाबीन,सूरजमुखी को बड़ा नुकसान पहुंचा है।
महाराष्ट्र में पिछले 48 घंटे में हुई बारिश ने ऐसा कहर बरपाया कि रबी की फसल तो चौपट हुई ही, साथ ही दलहन तथा अंगूर और संतरा जैसे फल भी बर्बाद हो गए हैं। महीनों तक जमीन सींचकर अपने खून पसीने से फसल तैयार करने वाले किसानों के लिए ये वक्तसबसे अधिक मुश्किल भरा है।जन्हा तक बात है की महाराष्ट्र में किसानों की खुदकुशी की खबरें सबसे ज्यादा आती हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने हालात की गंभीरता को देखते हुए तमाम जिला प्रशासनों और तहसीलदारों को फसलों के नुकसान का सर्वे करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
चक्रवाती बरसात ने जो तबाही मचाई है उसमें उत्तर प्रदेश का एक बड़ा हिस्सा खासकर पश्चिमी क्षेत्र भी चपेट में है। गेहूं की खड़ी फसल बर्बाद होने का दर्द किसानों के चेहरे बूझ गए हैं । जो फसल चंद दिन बाद बाजारों में पहुंचने वाली थी। अब खेतों में बर्बाद पड़ी है।और किसान अपनी बर्बादी पर अपनी किस्मत को कोस रहा है
हरियाणा में भी बड़ी संख्या में लोग खेती के भरोसे हीजीवन यापन करते हैं। लेकिन यहां भी बारिश ने तबाही और बर्बादी की कहानी दोहराई है। तेज बारिश से गेहूं की फसल और सब्जियों को भारी नुकसान पहुंचा है। दो वक्त की रोटी के लिए अपनी पूरी पूंजी फसल में झोंक देने वाले किसानों के लिए बारिश बेहद बुरी खबर लाई है। बरसात ने किसानों के लिए त्योहार को भी फीका कर दिया है। अब किसान सरकार से मुआवजे की गुहार लगा रहे हैं ताकि जिंदगी की गाड़ी वापस पटरी पर लौट सके।
मौसम विभाग के अनुसार कहा गया है कि कि पश्चिमी चक्रवात अब कमजोर हो चला है। फिलहाल इसका असर उत्तरी पश्चिमी भारत पर है। इस समय दिल्ली, यूपी, बिहार, मध्य भारत में धूप होने की वजह से मौसम ठीक है। फिलहाल बारिश की संभावना नहीं है। हालांकि उत्तरी पश्चिमी भारत के पंजाब, हरियाणा, हिमाचल के कुछ भागों में हल्की बारिश हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार चक्रवात की स्थिति में काफी पहले से पूर्वानुमान लगाना थोड़ा कठिन होता है। फिर भी अगले 3-4 दिन तक बारिश की संभावना नहीं है।
विशेषज्ञों के अनुसार एक अनुमान के मुताबिक इस 2-3 दिन की बारिश से छोटे किसान लगभग बर्बाद हो चुके हैं। बारिश की वजह से 25-30 फीसदी फसलें पूरी तरह से चौपट हो गई हैं। अगर मौसम अगले 3-4 दिन तक पूरी तरह साफ रहा और खूब धूप खिले, तब भी लगभग 20 प्रतिशत का भारी नुकसान हो चुका है। ऐसे में जो छोटे किसान सिर्फ खेती पर ही निर्भर हैं, उनके लिए भुखमरी की स्थिति आ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है सरकार को ऐसे किसानों की मदद करनी चाहिए, ताकि वो अपना परिवार पाल सकें। उन्होंने कहा कि किसानों को नकद मदद मिलनी चाहिए, क्योंकि कर्जमाफी या ब्याज की माफी की स्थिति में वो ऐसी हालत में नहीं होंगे कि अपना और परिवार का पेट पाल सकें।
विशेषज्ञों के मुताबिक इस साल पश्चिमी चक्रवात से जो नुकसान पहुंचा, वो अभूतपूर्व है। ऐसी बारिश हालिया समय में नहीं हुई थी और न ही इतनी बर्बादी आई थी। इस बारिश का हमारी पटरी पर लौटती दिख रही अर्थव्यवस्था पर खासा असर पड़ेगा। क्योंकि अब सरकार की प्राथमिकता किसानों की मदद की होगी, ऐसे में बाकी काम पीछे छूट सकते हैं।
महाराष्ट्र में पिछले 48 घंटे में हुई बारिश ने ऐसा कहर बरपाया कि रबी की फसल तो चौपट हुई ही, साथ ही दलहन तथा अंगूर और संतरा जैसे फल भी बर्बाद हो गए हैं। महीनों तक जमीन सींचकर अपने खून पसीने से फसल तैयार करने वाले किसानों के लिए ये वक्तसबसे अधिक मुश्किल भरा है।जन्हा तक बात है की महाराष्ट्र में किसानों की खुदकुशी की खबरें सबसे ज्यादा आती हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने हालात की गंभीरता को देखते हुए तमाम जिला प्रशासनों और तहसीलदारों को फसलों के नुकसान का सर्वे करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
चक्रवाती बरसात ने जो तबाही मचाई है उसमें उत्तर प्रदेश का एक बड़ा हिस्सा खासकर पश्चिमी क्षेत्र भी चपेट में है। गेहूं की खड़ी फसल बर्बाद होने का दर्द किसानों के चेहरे बूझ गए हैं । जो फसल चंद दिन बाद बाजारों में पहुंचने वाली थी। अब खेतों में बर्बाद पड़ी है।और किसान अपनी बर्बादी पर अपनी किस्मत को कोस रहा है
हरियाणा में भी बड़ी संख्या में लोग खेती के भरोसे हीजीवन यापन करते हैं। लेकिन यहां भी बारिश ने तबाही और बर्बादी की कहानी दोहराई है। तेज बारिश से गेहूं की फसल और सब्जियों को भारी नुकसान पहुंचा है। दो वक्त की रोटी के लिए अपनी पूरी पूंजी फसल में झोंक देने वाले किसानों के लिए बारिश बेहद बुरी खबर लाई है। बरसात ने किसानों के लिए त्योहार को भी फीका कर दिया है। अब किसान सरकार से मुआवजे की गुहार लगा रहे हैं ताकि जिंदगी की गाड़ी वापस पटरी पर लौट सके।
मौसम विभाग के अनुसार कहा गया है कि कि पश्चिमी चक्रवात अब कमजोर हो चला है। फिलहाल इसका असर उत्तरी पश्चिमी भारत पर है। इस समय दिल्ली, यूपी, बिहार, मध्य भारत में धूप होने की वजह से मौसम ठीक है। फिलहाल बारिश की संभावना नहीं है। हालांकि उत्तरी पश्चिमी भारत के पंजाब, हरियाणा, हिमाचल के कुछ भागों में हल्की बारिश हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार चक्रवात की स्थिति में काफी पहले से पूर्वानुमान लगाना थोड़ा कठिन होता है। फिर भी अगले 3-4 दिन तक बारिश की संभावना नहीं है।
विशेषज्ञों के अनुसार एक अनुमान के मुताबिक इस 2-3 दिन की बारिश से छोटे किसान लगभग बर्बाद हो चुके हैं। बारिश की वजह से 25-30 फीसदी फसलें पूरी तरह से चौपट हो गई हैं। अगर मौसम अगले 3-4 दिन तक पूरी तरह साफ रहा और खूब धूप खिले, तब भी लगभग 20 प्रतिशत का भारी नुकसान हो चुका है। ऐसे में जो छोटे किसान सिर्फ खेती पर ही निर्भर हैं, उनके लिए भुखमरी की स्थिति आ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है सरकार को ऐसे किसानों की मदद करनी चाहिए, ताकि वो अपना परिवार पाल सकें। उन्होंने कहा कि किसानों को नकद मदद मिलनी चाहिए, क्योंकि कर्जमाफी या ब्याज की माफी की स्थिति में वो ऐसी हालत में नहीं होंगे कि अपना और परिवार का पेट पाल सकें।
विशेषज्ञों के मुताबिक इस साल पश्चिमी चक्रवात से जो नुकसान पहुंचा, वो अभूतपूर्व है। ऐसी बारिश हालिया समय में नहीं हुई थी और न ही इतनी बर्बादी आई थी। इस बारिश का हमारी पटरी पर लौटती दिख रही अर्थव्यवस्था पर खासा असर पड़ेगा। क्योंकि अब सरकार की प्राथमिकता किसानों की मदद की होगी, ऐसे में बाकी काम पीछे छूट सकते हैं।