स्त्रियों का उत्थान हुए बिना क्या समाज की उन्नत्ति सम्भव है? – राजकुमार जैन

भारत विकास परिषद् दिल्ली प्रदेश उत्तर की शालीमार बाग शाखा द्वारा स्वामी विवेकानंद जी के उत्तर जन्म शताब्दी वर्ष के अंतर्गत चल रहे कार्यक्रमों की कड़ी में एक कार्यक्रम का आयोजन शालीमार बाग में स्थित फुलवारी नर्सरी स्कूल के प्रांगण में किया गया। इस कार्यक्रम में भारत विकास  परिषद् के राष्ट्रीय महामंत्री श्री सुरेन्द्र कुमार वधवा, भा.वि.प.दिल्ली प्रदेश उत्तर के मुख्य संरक्षक श्री महेश चन्द्र शर्मा, सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् एवं अध्यक्ष श्री राजकुमार जैन, वरिष्ट उपाध्यक्षा श्रीमती रश्मि गोयला, महिला सहभागिता संयोजिका श्रीमती कविता अग्रवाल, स्थानीय निगम पार्षद श्रीमती ममता नागपाल के अलावा  शालीमार बाग शाखा के सचिव श्री रजनीश कपिला, कोषाध्यक्षा श्रीमती रेणुका अग्रवाल आदि ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।


महिला सहभागिता के इस आयोजन में समाज के सभी स्तरों पर महिला सशक्तिकरण की भूमिका पर चर्चा की गई जिसमें भा.वि.प.दिल्ली प्रदेश उत्तर के मुख्य संरक्षक श्री महेष चन्द्र शर्मा ने जहाँ स्वामी विवेकानन्द का जीवन परिचय दिया वहीं महिलाओं को उनके विचारों को जीवन में अपनाने का आह्वान किया। सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् एवं भा.वि.प.दिल्ली प्रदेश उत्तर के अध्यक्ष श्री राजकुमार जैन ने स्वामी विवेकानन्द के उत्तर जन्म शताब्दी वर्ष के अंतर्गत आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों में महिलाओं के हितार्थ बोले गए स्वामी विवेकानन्द के विचारों परिप्रेक्ष्य में कहा कि – ‘‘मैं समझता हूँ कि हमारा सबसे बड़ा राष्ट्रीय पाप जनसमुदाय की उपेक्षा है और वह भी हमारे पतन का एक कारण है। भारत में दो बड़ी बुरी बाते हैं, एक स्त्रियों का तिरस्कार और दूसरा गरीबों को जाति-भेद द्वारा पीसना।’’

उन्होंने स्वामी विवेकानन्द के स्त्री वर्ग की दशा पर चिन्ता को व्यक्त करते हुए पुनः आगे कहा – ‘‘पहले वर्तमान दशा से स्त्रियों का उद्धार होगा। सर्वसाधारण को जगाना होगा, तभी तो भारत का कल्याण होगा। इस देश में पुरुष और स्त्रियों में इतना अन्तर क्यों समझा जाता है, यह समझना कठिन है। वेदान्त शास्त्र में कहा है कि एक ही चित् – सत्ता सर्वभूतों में विद्यमान है। तुम लोग स्त्रियों की निन्दा ही करते हो। उनकी उन्नत्ति के लिए तुमने क्या किया, बोलो तो! स्त्रियों की पूजा करके सभी जातियाँ बड़ी बनी हैं। जिस देश में, जिस जाति में स्त्रियों की पूजा नहीं, वह देश, वह जाति न कभी बड़ी बन सकी और न कभी बन ही सकेगी। महामाया की साक्षात् मूर्ति-इन स्त्रियों का उत्थान हुए बिना क्या समाज की उन्नत्ति सम्भव है?’’ उन्होंने अपनी बात को समाप्त करने से पूर्व कहा कि मात्र उपदेश सुनने से हम कुछ नहीं कर पाएंगे, हमारा जीवन तभी सार्थक बनेगा जब हम महापुरुशों के उपदेशों पर अपने जीवन में आचरण करेंगे।

भा.वि.प. के राष्ट्रीय महामंत्री श्री सुरेन्द्र कुमार वधवा ने स्वामी विवेकानन्द जी का स्मरण करते हुए कहा कि स्वामी जी ने सदा स्त्री वर्ग को मातृशक्ति के रूप में उद्दृत किया और भारत विकास परिषद्  यदि आज अपने लक्ष्यों की ओर भली-भांति अग्रसर है तो उसमें महिलाओं के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि आज के समय में इस बात की महत्ती आवश्यकता है कि महिलाएँ अपनी कार्य क्षमता को समाजहित में और भी आगे बढ़ाएँ। निगम पार्शद् श्रीमती ममता नागपाल ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए। महिलाओं की भव्य उपस्थिति के बीच सम्पन्न हुए इस कार्यक्रम में कुछ अन्य वक्ताओं ने भी अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए।