कन्या निरीक्षण- ए सेकेंडरी फीमेल foeticide

वन्दना 

विवाह से पूर्व किसी शादी योग्य लड़की का अवलोकन करना कन्या-निरिक्षण कहलाता हैं.पिछले महीने हमारे भारतीय समाज के Life- Science में PhD करने वाले एक लड़के ने विवाह के संदर्भ में,एक ही दिन में अपने परिवार के साथ 5 लडकियों का निरिक्षण किया, और उन सभी को रिजेक्ट कर दिया.

लड़की के ऊपर कन्या निरिक्षण का प्रभाव:

1. प्रत्येक कन्या निरिक्षण के साथ जुड़े अस्वीकार के साथ किसी भी लड़की का confidence level 10 % गिर जाता हैं. जैसे प्रथम निरिक्षण के rejection बाद ही लड़की का confidence level 100 % से घट कर 90 % हो जाताहैं जो दूसरे कन्या निरिक्षण तक 81%, तीसरे तक 73 % और चौथे निरिक्षण तक 66 % हो जाता हैं. इसलिए अक्सर विवाह होने तक वो एक बेज़ान वस्तु में तब्दील हो चुकी होती हैं.

2. कन्या निरिक्षण के समय उसे बहुत से आपत्तिजनक और अपमानजनक स्थितियों से गुजरना पड़ता हैं.Quality control और inspection के समतुल्य अत्यंत कठिन परीक्षाओं से गुजरने के बाद भी उसे अंत में पता नहीं चलता हैं की उसका rejection किन तथ्यों पर हुआ हैं.

3. ऐसी अमानवीय और तमाशबीन प्रक्रिया, किसी भी लड़की के मन में गहरी नकारात्मक छाप छोडती हैं, और वो समाज के प्रति आक्रोश से भर जाती हैं.

कन्या निरिक्षण -वधु पक्ष:

अक्सर लड़की के परिवार वाले लड़की की शादी के लिए अपने को इतना असहाय समझ लेते हैं ,की प्रत्येक लड़के वालों से वो खुद कन्या निरिक्षण करने का दबाब बनाते हैं.

कन्या निरिक्षण -वर पक्ष:

1. आज कल लड़के वालों के लिए कन्या निरिक्षण fashion -statement बन चूका हैं.अक्सर लड़के वाले बड़ी शान से कहते हैं हमने अपने काबिल लड़के के लिए इतनी लडकियों का निरिक्षण/rejection किया.

2. कन्या निरिक्षण के समय लड़के वालो की तरफ से आने वाली महिलाएं अधिक आतंक मचाती हैं. उनके ऊपर यह कहावत सटीक बैठती हैं की औरत ही औरत की दुश्मन होती हैं.लड़की के घुटने तक कपडे उठा कर उसके पैरों का निरिक्षण करना,पानी से मुहँ धुला कर उसका वास्तविक रंग देखना,उसे चलवा कर उसकी चाल देखना, विभिन्न परिधानों में उसके शरीर की बनावट देखना, अनर्गल सवाल पूछ कर उसकी संस्कृति और परवरिश का पता लगाना, उन महिलाओ की विकृत मानसिकता का प्रतीक हैं.

3. कन्या निरिक्षण अगर लड़की के घर पर ही हो रहा हो तो चाय- पानी के लुफ़्त के साथ उसके घर की आर्थिक स्थति का पता लगाने के लिए बाथरूम , किचन समेत घर का कोना -कोना देखा जाता हैं.

4. लड़की की सुन्दरता, क़ाबलियत ,शिक्षा,परवरिश कोई मायने नहीं रखती हैं.लड़के वाले बार -बार अपने होनहार लड़के की market – value का जिक्र करते हैं.

5. हमारे समाज के पढ़े – लिखे, तथा- कथित उच्च पदों पर बैठे काबिल लड़के भी कहाँ कम रहने वाले हैं,इनमे से बहुत मौका मिलाने पर लडकियों से बेहूदी,शर्मनाक,आपत्तिजनक बातें करते हैं, और अपने को Supreme Court के ज़ज से भी ज्यादा काबिल समझ कर लड़की का evaluation अपने हिसाब से कर देते हैं .

6. वर पक्ष वालों के लिए अधिकतर कन्या निरिक्षण एक संवेदना- रहित टाइमपास, चाय – कॉफ़ी – नास्ता करने का एक माध्यम हैं.

7. अधिकतर लड़के वाले टालने के लिए लड़की वालों को बोलते हैं की वो दो दिनों में जबाब देंगे.ये दो दिन ब्रह्मा के दो कल्प के बराबर होते हैं, और आखिर कर लड़की वालों को ही संपर्क करके ना का फरमान सुनना पड़ता हैं.

संभावित समाधान:

1. नारी अद्या शक्ति का स्वरुप हैं .उसकी अस्मिता की सभी को इज्ज़त करनी चाहिए.कन्या निरिक्षण एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा हैं.किसी भी लड़की का तभी निरिक्षण करना चाहिए जब वहां विवाह करने की संभावना 80% से अधिक हो.

2. अगर किसी भी लड़की में हमें शक्ति का दर्शन नहीं भी होता हैं, तो कम से कम उसे देखने से पहले अपनी घर की माँ,बहन बेटी को जरुर याद कर लेना चाहिए .

3. बेटी घर की लक्ष्मी हैं,लड़की के पिता को प्रत्येक लड़के वाले को अपनी लड़की का निरिक्षण करने का निमंत्रण नहीं देना चाहिए.

4. किस भी लड़की को अपने को प्रदर्शन की वस्तु बना कर प्रस्तुत नहीं करना चाहिए. आखिर वो भी आत्मवान हैं.ऐसी किसी भी प्रक्रिया का विरोध करना चाहिए जो उसकी नारी होने की अस्मिता को कलंकित करती हैं.

टाइमपास, चाय -काफी पीने के लिए बहुत सारे cafeteria, hotel और restaurant हैं. किसी भी लड़की को चिड़ियाघर का प्राणी समझ कर उसका अवलोकन करना उसका उपहास उड़ना अमानवीय और घृणित हैं. मेरे अनुसार यह एक प्रकार का secondary female feoticide इसके लिए हमें प्रकृति से कभी भी माफ़ी नहीं मिलेगी.