हमे हमारी भारतीय संस्कृति व सभ्यता पर बहुत गर्व होना चाहिये- रूबी फोगाट यादव

भारत के 73 वें स्वतंत्रता दिवस पर रूबी फोगाट यादव, अध्यक्षा सांस्कृतिक प्रकोष्ठ भारतीय जनता पार्टी दिल्ली प्रदेश ने किशनगढ़ पार्क, महरौली वाल्मीकि मंदिर ग्राउंड, वार्ड नंबर दो महरौली, लिटिल किंगडम स्कूल, महरौली, बेरसराय गाँव, रजौकरी गॉंव, घिटोरनी, कापसहेडा गॉंव आदि स्थानों पर ध्वजारोहण किया। अर्चना, ज्योतेंद्र, तमन्ना, शिवजी शाह, शैलेंद्र सौलंकी, धर्मवीर, शरद, सोनू, चंचल, रोहित यादव, राहुल, रोबिन व स्थानीय लोगो द्वारा सभी स्थान पर कार्यक्रम आयोजित किये गये। क्षेत्रवासियो को संबोधित करते हुए रूबी यादव ने कहा कि हमें 72 वर्षों में बाद सही मायनों में आज आज़ादी मिली है, जब कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरा भारत एक है और पूरे देश में ख़ुशियाँ का माहौल है। आज भारत देश नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में उनके साथ प्रगति की राह पर तेज़ गती से आगे बढ़ रहा है। किसी भी निर्णय को लेने के लिए इच्छाशक्ति होनी अत्यंत आवश्यक है। 70 सालों में पिछली सरकारो ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35A हटाने के लिए कभी मन बनाया ही नहीं था। लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति व साहस रखने वाले भारत के गृह मंत्री अमित शाह जी ने देश हित में और जम्मू कश्मीर की आवाम के हित में यह फ़ैसला लिया कि अब अनुच्छेद 370 व 35A हटाए जाने चाहिए और कश्मीर को भी, जो कि भारत का अभिन्न अंग है प्रगति की राह पर तेज़ रफ़्तार के साथ लेकर चलना चाहिए ताकि कश्मीर की आवाम को भी शिक्षा स्वास्थ्य रोज़गार की सभी सुविधाएँ मिले जिसके वो हक़दार है।

रूबी यादव ने कहा कि हमें बहुत गर्व है कि हमारा जन्म भारत की पवित्र भूमि पर हुआ है, क्योंकि भारत ने विश्व को देना सीखा है और सदैव दिया है। भारतीय संस्कृति व भारतीय सभ्यता 10-20 हज़ार वर्षों पुरानी नहीं बल्कि आदिकाल से चली आ रही है और विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति है। भारत देश की संस्कृत भाषा आज कंप्यूटर के लिए सबसे अच्छी व सरल एल्गोरिथम वाली भाषा है, जो कि आने वाले समय में बहुत तेज़ी से उपयोग में लाई जाएगी। हमारी लिपि देवनागरी लिपि हैं, मगर इससे भी प्राचीन लिपी भारत की ब्राह्मी लिपि है, जिसने पूरे विश्व को लिखना सिखाया है। इसलिये सही मायनों में कहा जाए तो भारत ने ही पूरे विश्व को संस्कृत भाषा के माध्यम से बोलना और ब्राह्मी लिपि के माध्यम से लिखना सिखाया है। फ्रान्स जर्मनी डेनमार्क पुर्तगाल स्पेन जैसे देशों की मूल भाषाएं फ्रैंच जर्मन डेनिश पॉर्तूगीज़ स्पेनिश जैसी भाषाएँ संस्कृत भाषा की ही देन है। रूबी यादव ने बताया कि भारत के बाहर के देशों मे जर्मन एक ऐसा देश है जहाँ संस्कृत साहित्य के लिए एक पूरा विश्वविद्यालय हैं और वो हमारी संस्कृत भाषा पर शोध भी कर रहे हैं इसलिए हमें अपने राष्ट्र पर गर्व होना चाहिए और राष्ट्रहित में जनहित में निरंतर कार्य करते रहना चाहिए।