“दर्द से ख़ुशी तक कामयाबी का सफर”

(लेखक: गुरु भाई)

एक बात हम सभी अच्छे से जानते है कि कोई भी दीपक जब तक खुद को नहीं जलाता वो उस समय तक दुनिया को रौशनी नहीं दे सकता! इसी तरह एक अध्यापक सारी उम्र मेहनत करने के बाद ही नई पीढ़ी के भविष्य को सवांर पाता है ! इतिहास गवाह है कि हर दौर में कुछ ऐसे लोग होते है, जो सारे ज़माने को खुशियां देने के साथ जिंदगी जीने के गुर भी सिखाते रहते है ! ऐसी किसी भी शख्सियत को करीब से जानने के बाद यही महसूस होता है कि इस इन्सान ने या तो जीवन के बहुत से उतार चढ़ावो को करीब से देखा है या फिर इसके दिल में कोई गहरा दर्द छिपा हुआ है ! उन्ही लोगों की लिस्ट में से आज एक ऐसे ही इन्सान के बारे में मैं अपना लेख लिख रहा हूँ ! एक बात मैं दावे से कह सकता हूँ कि अगर आपने इस लेख को दिल से पूरा पढ़ लिया, तो आप भी उस शख्स और उनकी सोच से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाएंगे ! मेरा हीरो भी आम लोगों की तरह ही अपनी ज़िन्दगी को अच्छे तरीके से जी रहा था! जैसा की आमतौर पर सभी लोगो के साथ होता है की जिंदगी के सफ़र में आगे बढ़ते हुए आदमी खुद को भी भूल जाता है! अपने परिवार की सुख- सुविधाओं को पूरा करते हुए वो दिन- रात अपनी भूख-प्यास और दुःख-दर्द को भी अनदेखा कर देता है! ठीक उसी प्रकार मेरे इस लेख का हीरो भी है!

एक दिन अचानक जब उसको ये पता चलता है कि उसकी पत्नी को एक ब्लड कैंसर जैसी घातक बीमारी हो गयी है! जिसका ठीक होना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है! इतना ही नहीं कुछ समय बाद मालूम चलता है की पत्नी की बीमारी का इलाज कराते हुए, वो खुद भी एक अजीबो-गरीब बीमारी की चपेट में आ चुका है ! यह एक ऐसी परेशानी थी जो उत्तरी भारत में सिर्फ एक ही व्यक्ति को हुई है! यह बात भारत के सभी बड़े अस्पतालों के डॉक्टर्स ने उनके परिवार को बताई ! ज़रा सोच कर देखो की खुदा ने पहले जिसकी पत्नी को एक ऐसी लाइलाज बीमारी दी हो जिसका इलाज सम्भव नहीं था ! उसके बाद उस इन्सान को ऐसी बीमारी दे दी जिसका इलाज भारत के अस्पतालों में नहीं था! ऐसे में एक आम इन्सान की क्या हालत क्या होगी? इस तरह की कल्पना मात्र से ही रूह कांपने लगती है ! सारे घर में उदासी और निराशा का माहौल बनने लगा था! उस वक्त अपने बच्चों की देखभाल करे या अपनी और अपनी पत्नी की बीमारी से लड़े ! लेकिन उस ऊपर वाले का हर खेल निराला ही होता है, उसने इस इन्सान के लिए कुछ और ही सोच रखा था!

बीमारी की वजह से सारा दिन घर में खाली अकेले बैठ कर बिताना बहुत मुश्किल होता जा रहा था! डॉक्टर्स ने उन्हें चलने-फिरने के लिए मना कर दिया था ! सिर्फ वॉकर या व्हील चेयर को हमेशा के लिए उनका सहारा बना दिया था ! उसका मन टूट सा गया था! बीमारी और अकेलेपन से घबरा कर उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करे? पहाड़ जैसी जिंदगी कैसे कटेगी! ऊपर से रिश्तेदारों, मिलने- जुलने वाले और पड़ोसियों की बेवजह की उल्टी सीधी, नीम –हकीम बाबाओ की सलाहें ! जो लोग बीमारी का नाम तक नहीं बोल पाते थे वही उसका इलाज बता रहे थे! उस भयानक और गंभीर माहौल से बाहर निकलने के लिए प्रभु ने उसको एक अनूठी उम्मीद की किरण दिखाई! जिसने रेगिस्तान की कड़ी धुप में प्यासे को पानी दिखा देने का काम किया ! ज़िन्दगी के उस मोड़ पर मेरे हीरो ने वो ही फैसला लिया जो एक बहादुर इन्सान ही ले सकता है! वो फैसला था सकरात्मक सोच से बदलाव का ! परिवार और समाज की भलाई के लिए नकारात्मक सोच से खुद को निकालकर सकारात्मक सोच में लगाना! उस समय यह सब कुछ करना बहुत ही मुश्किल था! लेकिन हालत से मुकाबला करने के लिए अपनी सोच को बदलना पड़ा! उसने अपने दर्द, अपने हर गम को ख़ुशी में बदलने का निर्णय लिया! अब उसने अपने खाली समय का सदुपयोग करना शुरू कर दिया! कलम-पेपर को अपना दोस्त बना लिया ! उसको लगा जैसे वो खुद इस बुरे दौर से गुजर रहा है ऐसे ही दुनिया में बहुत से लोग है जो ऐसे ही दौर से गुजर रहे होगे! ऐसे लोग नकारात्मक सोच के चलते या तो अपना जीवन नरक बना लेते है या उसे ख़त्म कर लेते है! ऐसे लोगो को सही मार्गदर्शन की बहुत ज़रूरत है! उस समय उसने आम लोगो की तरह नहीं ख़ास लोगो की तरह सोचा! हाथ में खुदा ने कलम- पेपर शायद इसीलिए दिया था कि जब वो लिखना शुरू करे तो अपनी परेशानी भूल जाये और जो लिख रहा है वो ऐसा लिखे की उसके लेख को पढ़कर लोग अपने हर गम और दर्द को भुला दे!

कुछ ही समय में इसके सकरात्मक परिणाम दिखाई देने लगे! उसके लेखो ने सिर्फ लोगो के दर्द ही कम नहीं किये बल्कि लोगो का नजरिया ही बदलना शुरू कर दिया! हमारे हीरो पर भगवान् की ऐसी कृपा हुई कि उसने एक-दो नहीं बल्कि 33 मोटिवेशनल किताबो का तोहफा समाज को दिया! देश-विदेशो के अलग-अलग प्रसिद्ध अखबारों और मेगज़ीन में उनके लगभग 900 से ज़्यादा आर्टिकल भी छपे! मोटिवेशनल किताबो और इन आर्टिकलों के ज़रिये देश-विदेश के काफी लोगो ने अपनी ज़िन्दगी में उनके द्वारा बताये व सुझाये विचारो को अपना कर, कहानियो को पढ़ कर ऐसे परिवर्तन किये जो लफ्जों में बयां नहीं किये जा सकते! उन पुस्तकों और लेखो को हर वर्ग के लोगो का भरपूर प्यार मिलना शुरू हो गया! मेरे हीरो की कलम ने हर वर्ग के लोगो के चेहरे पर ख़ुशी ला दी ! उसके बदले में भगवान् ने लेखक को पता भी नहीं लगने दिया कि कब उसके बच्चे बड़े हुए और कब उनकी शादियां भी हो गयी! बीमारी से लड़ते हुए आज 24 साल बाद भी उनकी कामयाबी का अनूठा सफर ज़ारी है ! आज भी अपनी उसी बीमारी से जूझते हुए उन्होंने लिखना नहीं छोड़ा! अपने परिवार के साथ अपने जीवन का हर दिन ख़ुशी- ख़ुशी जी रहे है! अब तो आप लोगो को लग रहा होगा की मैं किस हीरो की बात कर रहा हूँ! दोस्तों, आपको अब जानने का पूरा हक़ है! वो कोई और नहीं भारत के प्रसिद्ध मोटिवेशनल लेखक , मोटिवेशनल गुरु, भारत के ज़्यादातर मोटिवेशनल स्पीकर्स जिन्हे अपना गुरु मानते है! हमारे देश के बड़े-बड़े प्रकाशक उनकी लेखनी के कायल है! यहाँ तक की गूगल में भी वे नंबर वन पर रहते है! वो कोई और नहीं हम सभी के प्यारे जॉली अंकल है ! जिन्होंने अपनी हर तकलीफ और दर्द को भुला कर सिर्फ दूसरो की ख़ुशी के बारे में सोचा! इसीलिए मैंने अपने आर्टिकल का टाइटल दिया है “दर्द से ख़ुशी तक कामयाबी का सफर” !

अगर मेरा लेख आप सभी को पसंद आया हो तो उनके बारे में और अधिक जानकारी के लिए गूगल में जाकर जॉली अंकल को एक बार ज़रूर सर्च करे! एक बात और आप उनकी बहुत सारी प्रेरणादायक विडियो भी यू ट्यूब पर देख सकते है! उनकी सफलता के लिए उन्हें अपनी शुभकामनाएं देना मत भूलना! हम सभी की यही दुआ है कि प्रभु, जौली अंकल को इतनी अच्छी सेहत दे ताकि उनकी जिंदगी का सफ़र आगे भी इसी तरह से ख़ुशी ख़ुशी चलता रहे!

“मैं ज़िन्दगी से हार नहीं मानूंगा,
मरने से पहले नहीं मरूंगा !”
(जॉली अंकल)