आईटी एजुकेशन और शिक्षा की सकारात्मक सोच से लैंगिक समानता संभव पर कार्यक्रम

राम जानकी संस्थान पाॅजिटिव ब्राॅडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) द्वारा उज्जवल वीमेंस एसोसिएशन के सहयोग से हर रविवार वेबिनार के अन्तर्गत लैंगिक समानता में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका पर चर्चा आयोजित की गयी । वेबिनार का आरंभ सकारात्मक गीत और आरजेएस पीबीएच प्रमुख उदय मन्ना द्वारा  सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता “बुंदेले हरबोलों के मुंह‌ हमने सुनी कहानी थी, खुब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी”।

  कार्यक्रम के  सह-आयोजक उज्जवल वीमेंस एसोसिएशन की अध्यक्षा बीना जैन  ने वेबीनार में मेजबानी की और सभी का स्वागत किया।

 मुख्य अतिथि अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता नीति विशेषज्ञ डा. बिजॉन कुमार मिश्रा  ने कहा कि भेदभाव की शुरुआत घर से होती है, उसे सकारात्मक सोच से दूर करना होगा । उन्होंने प्रत्येक डेलीगेशन में , मैनेजमेंट बोर्ड में पचास प्रतिशत महिला सदस्य होने की वकालत की है। उन्होंने अपने अनुभव शेयर किये । दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर यूतिका मिश्रा ने कहा कि आर्थिक विकास को आईटी ने बढ़ाया है । अधिकतर वेबसाइट अंग्रेजी में हैं तथा इंटरनेट यूजर्स का बेस हर साल बढ़ना चाहिए । एनएचआरसी की पूर्व सदस्या ज्योतिका कालरा जो कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की पूर्व सदस्य हैं, उनका कहना था कि इन्फोरमेशन टेक्नोलॉजी ने महिलाओं को ताकत दी है । आज वो पेमेंट फोन से भी कर रही हैं । उन्होंने आगाह किया कि डेटा सिक्योरिटी भी होनी चाहिए । कोलकाता से सोमेन कोले भी जुड़े जो सकारात्मक भारत-उदय आंदोलन के संस्थापकों में से एक हैं। इंदौर से प्रेम प्रभा झा ने कोमल है कमजोर नहीं गीत सुनाया और  कहा कि अवसर की समानता मिलनी और प्रगति के लिये स्त्री पुरुष की समानता भारतीय सनातन संस्कृति का हिस्सा रही हैं। प्रफुल्ल डी सेठ ने कार्यक्रम का समापन किया तथा सभी भागीदारों को धन्यवाद दिया । कार्यक्रम में  अशोक कुमार मलिक, आरएस कुशवाहा, दुर्गा दास आजाद, इसहाक खान,दीपा शुक्ला, कुलजीत कौर , रेहाना बेगम, डा. पुष्करबाला,  सुदीप साहू,डा.मुन्नी कुमारी,डा.ओम प्रकाश झुनझुनवाला, डा.नरेंद्र टटेसर आदि  लगभग साठ साथी जुड़े रहे। अंत में प्रश्नकर्ताओं के सवालों का अतिथियों ने जवाब दिया।