महात्मा फुले जयंती पर राष्ट्रीय सम्मान का लोकार्पण और भारत की प्रथम शिक्षिका साबित्री बाई जयंती पर शिक्षिका दिवस मनाने का आह्वान

राम-जानकी संस्थान ,आरजेएस द्वारा आजादी की 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में राष्ट्रव्यापी श्रृंखलाबद्ध बैठकें जारी हैं। 11 अप्रैल को सिल्वर ऑक पब्लिक स्कूल, स्वरूपनगर,दिल्ली में 149 वीं आरजेएस सकारात्मक बैठक , सह आयोजक समाजसेवी चौधरी इंद्रराज सिंह सैनी की अध्यक्षता में संपन्न हुई।।

इसका शुभारंभ महात्मा ज्योतिबा राव फुले और साबित्रीबाई फुले की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके हुआ।इस अवसर पर मुख्य वक्ता शहीद सम्मान अभियान के संयोजक हरपाल सिंह राणा ने कहा कि  महात्मा ज्योतिबा राव फुले और साबित्री बाई फुले वाली  शिक्षा मिले तो नई पीढी में संस्कार, सहनशीलता और मानवता के गुण आ जाए। उन्होंने भारत की प्रथम महिला शिक्षिका साबित्रीबाई की जयंती पर शिक्षिका दिवस मनाने का आह्वान किया जिसे बैठक में आए गणमान्य अतिथियों  डॉ कृष्ण कुमार सैनी ,महावीर सैनी ,खेमचंद सैनी,हरीश कुमार शर्मा ,सत्यपाल सैनी,डॉक्टर ईश्वर सिंह बिजेंदर सैनी,सुबे सिंह सैनी,आजाद सिंह सैनी, कमला कांत, जय राम मोरिया, गौरव शर्मा ,डीसी सैनी, और नितीश सैनी ने समर्थन दिया और सभी ने आरजेएस की इस बैठक को सार्थक प्रयास माना। 

मंच संचालन कर रहे आरजेएस राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने कहा कि शिक्षिका दिवस पर आरजेएस फैमिली भी विचार करेगी ।अतिथि वक्ता डा.के के सैनी ने अपने स्कूल में कुछ मेधावी बच्चों को नि: शुल्क शिक्षा देने की संभावना जताई।मुख्य वक्ता श्री राणा ने कहा कि समाज सुधारकों और महापुरुषों की जीवनियों से युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए। जिम्मेदारी और कर्तव्यबोध से ही आजाद सोच का निर्माण होगा।बैठक में आरजेएस राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना की उपस्थिति में महान फुले दम्पत्ति के नाम का चौधरी इंद्रराज सिंह सैनी के माता पिता स्व० हीरालाल सैनी-स्व० भरतो देवी की स्मृति में  आरजेएस राष्ट्रीय सम्मान 2021 का लोकार्पण हुआ।बैठक की अध्यक्षता करते हुए चौधरी इंद्रराज सिंह सैनी ने कहा कि आज जहां समाज में लोग-बाग अपने लिए सुख सुविधाएं जुटाने में मशगुल  हैं वहीं 19वीं सदी के संत महात्मा फुले दंपत्ति ने अपनी सुख सुविधाओं की चिंता किए बगैर समाज में शिक्षा क्रांति लाकर बड़े-बड़े सुधार किए। सती प्रथा और मृत्यु भोज का उन्होंने विरोध किया।आज समाज को एकजुट होकर सकारात्मक सोच के साथ राष्ट्र प्रथम भारत एक परिवार को मजबूत करने की आवश्यकता है।