राम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) और आरजेएस पॉजिटिव मीडिया यूट्यूब चैनल ने 8 जून, 2025 को एक महत्वपूर्ण “ओरिएंटेशन वर्कशॉप एक्सटेंशन” का आयोजन किया, जो “पॉजिटिव भारत -उदय ग्लोबल मूवमेंट” की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। दो दिवसीय कार्यशाला के बाद का यह एक विस्तार सत्र था, जिसमें औपचारिक रूप से “पॉजिटिव मीडिया मिशन” का शुभारंभ किया गया और प्रतिभागियों को अगस्त 2025 में होने वाले एक बड़े वैश्विक कार्यक्रम के लिए सक्रिय सह-आयोजक बनने के लिए प्रेरित किया गया। वक्ताओं ने सकारात्मक सोच की परिवर्तनकारी शक्ति पर जोर दिया, जिसमें सार्वभौमिक खुशी और वैश्विक एकता को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका को उजागर किया गया, जो पारंपरिक भारतीय मूल्यों में निहित है। कार्यशाला का उद्देश्य व्यक्तियों को अपनी प्रतिभा और विचारों का योगदान करने के लिए सशक्त बनाना था, ताकि सकारात्मक सामग्री को व्यवस्थित रूप से प्रसारित करके दुनिया भर में बदलाव को प्रेरित किया जा सके और एक स्थायी विरासत स्थापित की जा सके।
आयोजक आरजेएस पीबीएच -आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया के संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने कार्यशाला के मुख्य उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि पाॅजिटिव मीडिया मिशन एक ऐसा मंच प्रदान करेगा जहां “प्रतिभाओं को एक मौका मिलेगा, और उनका प्रदर्शन पॉजिटिव मीडिया मिशन के हिस्से के रूप में यूट्यूब पर लाया जाएगा, अखबारों और आरजेएस पीबीएच के न्यूज़ लेटर में प्रसारित किया जाएगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि “पॉजिटिव भारत -उदय ग्लोबल मूवमेंट” दुनिया का पहला सकारात्मक आंदोलन है। इस कार्यक्रम में टीफा25 के सम्मानित सदस्य साधक ओमप्रकाश सुनील कुमार सिंह, चंद्रकला भारतीया, सरिता कपूर, आकांक्षा ,डीपी कुशवाहा, इसहाक खान, प्रेमलता भटियानी ,मयंक और सुदीप साहू शामिल हुए।
यह घोषणा करते हुए कि “इससे जुड़ना अपने आप में बहुत बड़े सौभाग्य की बात है,” क्योंकि यह “इतिहास का निर्माण कर रहा है।” श्री मन्ना ने कहा कि भले ही तत्काल प्रभाव स्पष्ट न हो, लेकिन आने वाले समय में वैश्विक पहचान इसकी महत्ता की पुष्टि करेगी, जिससे प्रतिभागी इस व्यापक मीडिया मंच के माध्यम से अपने संदेशों को दुनिया भर में पहुंचा सकेंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जैसे-जैसे व्यक्ति इस सकारात्मक आंदोलन में आगे बढ़ेंगे, स्वार्थ से ऊपर उठेंगे, आरजेएस पीबीएच उनके व्यक्तित्व को निखारने का पूरा प्रयास करेगा।
श्री मन्ना ने अगस्त 2025 में एक विशाल अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित करने के लिए विशेष रूप से “टीफा25” (टीम इंडिपेंडेंट डे फंक्शन अगस्त 2025) के गठन की घोषणा की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यदि प्रतिभागी इतने बड़े कार्यक्रम में “हितधारक” बन रहे हैं, तो उन्हें “जिम्मेदार भी बनना पड़ेगा” और “अपने कर्तव्यों और अधिकारों को समझना पड़ेगा,” क्योंकि उनके कर्तव्य और अधिकार एक साथ जुड़े हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आंदोलन से संबंधित आरजेएस पीबीएच की नई पुस्तक ग्रंथ 05 व चार पुस्तकें 25 देशों, केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रालयों और पुस्तकालयों में वितरित की जाएंगी। इन प्रकाशनों के माध्यम से, प्रतिभागी अपने विचारों को वहां तक पहुंचा सकते हैं और सह-आयोजक के रूप में अपनी तस्वीरें व विचार प्रदर्शित कर सकते हैं, जिससे उन्हें पहचान मिलेगी और उनके बौद्धिक योगदान स्थापित होंगे। श्रीमन्ना ने प्रतिभागियों को आगामी पांचवीं पुस्तक में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया, यह सुझाव देते हुए कि इसे उनके माता-पिता या पूर्वजों को एक अद्वितीय और अमूल्य श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित किया जाए, और बताया कि योगदानकर्ताओं को पुरस्कार भी दिए जाएंगे। उन्होंने केवल आजीविका से परे आंतरिक शांति और उद्देश्य खोजने के महत्व पर जोर दिया, “वसुधैव कुटुंबकम्” और “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की अवधारणाओं की वकालत की। उन्होंने 2047 तक विस्तारित आंदोलन के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को रेखांकित किया, इस बात पर जोर दिया कि टीफा 25 सदस्यों को अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ अपने स्थानीय नेटवर्क बनाने होंगे, क्योंकि उनकी सामूहिक शक्ति इन्हीं संबंधों में निहित है।
कार्यशाला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा वेबिनार में भागीदारी के लिए तकनीकी मार्गदर्शन को समर्पित था, जो “पॉजिटिव मीडिया मिशन” के लिए महत्वपूर्ण है। श्री मन्ना ने प्रतिभागियों को स्पष्ट ऑडियो के लिए इयरफ़ोन का उपयोग करने, उचित यूट्यूब प्रदर्शन के लिए मोबाइल को क्षैतिज स्थिति में रखने और पर्याप्त रोशनी सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक निर्देश दिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये कार्यक्रम केवल वेबिनार नहीं हैं, बल्कि “दस्तावेज़ीकरण” हैं जिन्हें वर्षों तक देखा जाएगा, जो “पॉजिटिव मीडिया मिशन” के पेशेवर और दीर्घकालिक दृष्टिकोण को उजागर करता है। यह वैश्विक प्रसारण के लिए लगातार तकनीकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने की ओर सार्थक कदम रहा।
उन्होंने समूह के भीतर सकारात्मक संचार की आवश्यकता को दोहराया, नकारात्मक सामग्री को हतोत्साहित करते हुए कहा, “नकारात्मक चीजें समूह में बिल्कुल नहीं भेजनी चाहिए। इससे आपकी छवि खराब होती है,” आंदोलन के मूल लोकाचार को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया।
बैंगलोर से टीफा 25 की सदस्या प्रेम लता भाटियानी पहली वक्ता थीं, जिन्होंने सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और आध्यात्मिक रूप से आधारित स्वर स्थापित किया। उन्होंने रामायण से मार्मिक छंदों का पाठ करके अपना संबोधन शुरू किया। उनका पाठ भगवान राम और माता कैकेयी के वनवास से पहले की बातचीत पर केंद्रित था, जिसमें राम के गहरे सम्मान और आज्ञाकारिता पर जोर दिया गया था, जिसे “जननी” शब्द के उनके बार-बार उपयोग से उजागर किया गया था। उन्होंने कैकेयी के बाद के पश्चाताप और राम के क्षमा के कार्य, और कैकेयी की भरत के मातृ पद को अक्षुण्ण रखने की इच्छा का भी उल्लेख किया। उनका योगदान कार्यशाला को पारंपरिक भारतीय मूल्यों में आधारित करने का काम करता है, जिसमें सम्मान, क्षमा और कर्तव्य के विषयों पर जोर दिया गया है, जिन्हें एक सकारात्मक समाज के लिए मूलभूत माना जाता है।
इसके बाद, विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने आरजेएस आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए अपना आभार व्यक्त किया उन्होंने 13 जून को आगामी वेबिनार के लिए अपनी सहयोगी भूमिका की घोषणा की, जो पूज्य समाज सुधारक, संत कबीर की जयंती के उपलक्ष्य में होगा।श्री सिंह ने सभी प्रतिभागियों को इस वेबिनार में शामिल होने और कबीर के जीवन और शिक्षाओं पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि पद्म श्री से सम्मानित लोक गायक भेरू सिंह चौहान , संत कबीर वाणी के गायक, इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे। श्रीसिंह ने आरजेएस कार्यक्रमों, जिसमें अगस्त का प्रमुख कार्यक्रम भी शामिल है, की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सभी सदस्यों से तन, मन, धन से पूरी तरह से योगदान करने की सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर दिया। उन्होंने दृढ़ता से विश्वास व्यक्त किया कि सकारात्मक सोच को बढ़ावा देना कई सामाजिक समस्याओं को हल करने और भारत और दुनिया की समग्र प्रगति के लिए सर्वोपरि है।
टीफा 25 की सदस्या और पूर्व गणित शिक्षिका और व्याख्याता सरिता कपूर ने समकालीन सामाजिक मुद्दों जैसे अवसाद और व्यापक भौतिक सुख-सुविधाओं के बावजूद आंतरिक शांति की कमी के समाधान के रूप में सकारात्मक सोच के महत्व की जोशीले ढंग से वकालत की। उन्होंने जोर देकर कहा कि सकारात्मक विचार व्यक्तिगत विकास और सामाजिक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिनमें विश्व स्तर पर फैलने की क्षमता है। सरिता सरिता कपूर ने इस बात पर जोर दिया कि अच्छे विचार सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं, जबकि नकारात्मक विचार प्रगति में बाधा डालते हैं। उन्होंने सभी कार्यों में ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और कर्तव्य की एक मजबूत भावना के मूलभूत महत्व पर प्रकाश डाला, यह कहते हुए कि “हम हर काम निष्ठा से, कर्तव्य समझकर, ईमानदारी से करते हैं।” अपनी शिक्षण दर्शन साझा करते हुए, उन्होंने समझाया कि शैक्षणिक विषयों से परे, उनका हमेशा अपने छात्रों में जीवन मूल्यों और नैतिकता को स्थापित करने का लक्ष्य रहा है, समग्र विकास में विश्वास करते हुए। सरिता कपूर ने घोषणा की कि उनका 15 जून (रविवार, सुबह 11 बजे) का कार्यक्रम “सकारात्मक सोच” और बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार रोकने के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित होगा, जिसका उद्देश्य अंतर-पीढ़ीगत समझ को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि प्रेम लता भाटियानी और डी. पी. कुशवाहा इस कार्यक्रम में उनके साथ शामिल होंगे। उन्होंने उदय कुमार मन्ना और उनकी पत्नी, श्रीमती बिंदा मन्ना के आंदोलन के प्रति अटूट समर्पण के लिए गहरा आभार व्यक्त किया। आरजेएस समुदाय के भीतर महसूस होने वाले परिवार और सकारात्मक संबंध की मजबूत भावना को व्यक्त किया, यह कहते हुए, “ऐसा लगता है जैसे हम अपने ही परिवार से जुड़ गए हैं।” श्रीमती सरिता कपूर ने आगामी आरजेएस पुस्तक ग्रंथ 05 में माता-पिता और पूर्वजों को श्रद्धांजलि के रूप में योगदान करने के गहरे महत्व पर भी प्रकाश डाला, इसे स्मरण और एक स्थायी विरासत बनाने का एक अनूठा और अमूल्य अवसर माना। उन्होंने सकारात्मक मूल्यों को समाहित करने वाला एक छोटा, उत्साहवर्धक गीत गाकर अपना संबोधन समाप्त किया।
पूर्व लेक्चर डी. पी. कुशवाहा ने उदय कुमार मन्ना के प्रति अपना हार्दिक आभार व्यक्त किया, उन्हें प्रेरणा का स्रोत स्वीकार किया और उनके अथक प्रयासों की सराहना की। उन्होंने जोर देकर कहा कि सच्ची प्रतिभा, एक बार उचित मंच मिलने पर, छिपी नहीं रह सकती, और आरजेएस ऐसा ही एक महत्वपूर्ण मंच है। डीपी कुशवाहा ने सकारात्मक सोच और सफलता प्राप्त करने में अटूट विश्वास के सर्वोपरि महत्व को दोहराया, यह दावा करते हुए कि जो लोग सक्रिय रूप से अपने लक्ष्यों के लिए प्रयास करते हैं, उन्हें दिव्य सहायता मिलती है। उन्होंने विकसित होती सामाजिक संरचना के बारे में बात की, जिसमें संयुक्त परिवारों से एकल परिवारों में बदलाव का उल्लेख किया, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर बच्चों के लिए कम समय मिलता है और “नीर-क्षीर विवेक” यानी अच्छे और बुरे के बीच अंतर करने की क्षमता की अत्यधिक आवश्यकता होती है। उन्होंने पारिवारिक मूल्यों और अच्छे व्यवहार की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता से सीखते हैं और बाद में अपने परिवार और संस्थानों का प्रतिनिधित्व करते हैं। नकारात्मक प्रभावों की व्यापक प्रकृति को स्वीकार करते हुए,श्री कुशवाहा ने चुनौतियों को दूर करने के लिए सकारात्मक पहलुओं पर लगातार ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया, इस बात पर जोर दिया कि एक मजबूत मानसिकता आधुनिक सामाजिक जटिलताओं को नेविगेट करने की कुंजी है।
मुंबई से टीफा 25 की सदस्या चंद्रकला भारतीया ने आरजेएस और उसके सकारात्मक आंदोलन से जुड़े होने के लिए अपनी गहरी प्रशंसा व्यक्त की। उनका दृढ़ विश्वास है कि जो व्यक्ति सकारात्मकता को अपनाते हैं, वे जीवन में महत्वपूर्ण प्रगति करते हैं क्योंकि उनका इरादा दूसरों को नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि सभी को ऊपर उठाना है। उन्होंने विशेष रूप से रति चौबे को आरजेएस मंच से परिचय कराने के लिए धन्यवाद दिया। श्रीमती चंद्रकला भारतीया ने सकारात्मक सोच की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और उदय कुमार मन्ना के मार्गदर्शन की सराहना की, जिन्होंने इस सकारात्मक भावना को पूरे देश-विदेश में फैलाया। उन्होंने “400 पार” कार्यक्रम या सह-आयोजकों का जिक्र करते हुए , इस बात पर जोर दिया कि टीफा 25 इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह संख्यात्मक लक्ष्य एक उच्च मानक निर्धारित करता है, जो व्यापक जुड़ाव और भागीदारी के लिए प्रेरित करता है। भारतीया ने अधिक व्यक्तियों को सह-आयोजक के रूप में आगे आने और अपने माता-पिता और पूर्वजों को समर्पित सामग्री के साथ आगामी आरजेएस पुस्तक में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया, इसे स्मरण और आंदोलन के ऐतिहासिक रिकॉर्ड में योगदान का एक गहरा कार्य माना। उन्होंने भगवान राम के बारे में एक छोटी, भक्तिपूर्ण कविता का पाठ करके अपना संबोधन समाप्त किया, जिसमें उनके जीवन को आदर्शों, भक्ति और धार्मिकता के प्रतीक के रूप में चित्रित किया गया।
पटना में आरजेएस युवा टोली के साधक ओमप्रकाश ने सभी आरजेएस सदस्यों और युवा विंग के प्रति अपना गहरा सम्मान और आभार व्यक्त करके शुरुआत की। उन्होंने समूह के भीतर सकारात्मकता को विश्व स्तर पर फैलाने की सामूहिक आकांक्षा को स्वीकार किया।साधक ओमप्रकाश ने जोर देकर कहा कि दुनिया को सकारात्मक रूप से बदलने की अंतर्निहित शक्ति दिव्य कृपा और अपनी मां के आशीर्वाद से आती है। उन्होंने “मैं आत्मा हूं, मैं शाश्वत हूं, मैं सर्वशक्तिमान हूं” की आध्यात्मिक प्राप्ति को सभी सकारात्मक कार्यों के लिए मूलभूत सिद्धांत के रूप में जोर दिया, यह देखते हुए कि कई लोगों को इस सत्य को स्वीकार करने में कठिनाई होती है। उन्होंने आंदोलन को सशक्त बनाने में “बहनों , और “ओम शांति” मंत्रों को देखते हुए की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला, भारतीय संस्कृति और सकारात्मक मूल्यों को बढ़ावा देने में उनकी वैश्विक उपस्थिति और समर्पण का उल्लेख किया। ओमप्रकाश ने “आध्यात्मिक पथ” को जीवन की चुनौतियों का अंतिम समाधान बताया, जिसकी शुरुआत सकारात्मक सोच के माध्यम से अपनी आंतरिक स्थिति को मजबूत करने से होती है। उन्होंने स्थिरता के लिए एक संस्कृत मंत्र का पाठ करके अपना संबोधन समाप्त किया और आंदोलन की निरंतर सफलता के लिए आध्यात्मिक बहनों से विनम्रतापूर्वक आशीर्वाद मांगा, जिससे आरजेएस मिशन के आध्यात्मिक आधार को मजबूत किया गया।
टीफा25 सदस्य मोहम्मद इसहाक खान ने उदय कुमार मन्ना को आरजेएस मंच का एक मूलभूत “स्तंभ” स्वीकार किया और आंदोलन की बढ़ती वैश्विक पहुंच पर अपार गर्व व्यक्त किया। मो. इसहाक खान ने आरजेएस द्वारा अपने पूर्वजों और माता-पिता का सम्मान करने और उन्हें अमर बनाने के लिए प्रदान किए गए अद्वितीय अवसर पर जोर दिया, इसकी तुलना दूसरों के जन्मदिन या वर्षगांठ मनाने की सामान्य सामाजिक प्रथा से की। उन्होंने मंच पर प्रस्तुत सकारात्मक विचारों को केवल सुनने के बजाय उन्हें अपने स्थानीय समुदाय और दैनिक जीवन में सक्रिय रूप से लागू करने के महत्वपूर्ण महत्व पर जोर दिया, जमीनी स्तर पर मूर्त प्रभाव की वकालत की। खान ने सिलीगुड़ी और जलपाईगुड़ी में पिछली आरजेएस बैठकों से सकारात्मक अनुभवों को याद किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आरजेएस मंच अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक पहुंचेगा और प्रतिभागियों को अपने प्रमाण पत्र प्राप्त करने पर गर्व की गहरी भावना का अनुभव होगा। उन्होंने जब भी संभव हो भौतिक बैठकों में निरंतर भागीदारी का आग्रह किया। खान ने अपना संबोधन भगवद् गीता से एक संस्कृत श्लोक का पाठ करके समाप्त किया, जिसमें अपने कर्तव्य को पूरा करने के महत्व पर जोर दिया गया और अस्थायी खतरों और एक दुष्ट व्यक्ति की लगातार नकारात्मकता के बीच अंतर किया गया। उन्होंने जीवन में सकारात्मक प्रभावों को अपनाने और नकारात्मक लोगों से सक्रिय रूप से बचने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यशाला में आगामी कार्यक्रमों और पहलों की एक श्रृंखला का भी विस्तृत विवरण दिया गया। इनमें को-होस्ट अंतरा राकेश तल्लम द्वारा 14 जून को इंस्पायरिंग इंडियन वूमेन,इंग्लैंड का प्रेरणादायक भारतीय महिलाओं पर एक वेबिनार, 27 जून को शाम 5 बजे आरडी फूड प्रोडक्ट्स प्रभात नमकीन के निदेशक लक्ष्मण प्रसाद द्वारा एमएसएमई पर कार्यक्रम करेंगे । नागपुर की कवयित्री रति चौबे और एडवोकेट सुदीप साहू पाॅजिटिव मीडिया मिशन को अपनी विडियो भेजकर सहयोग कर रहे हैं।
“पॉजिटिव मीडिया मिशन” को आगे विस्तृत किया गया, यह समझाते हुए कि इसमें स्क्रिप्टिंग, वीडियो बनाना और यूट्यूब और फेसबुक पर सामग्री अपलोड करने की एक व्यवस्थित प्रक्रिया शामिल है। एक समर्पित टीम वीडियो उत्पादन से पहले स्क्रिप्ट की समीक्षा और सुधार करती है, जिससे उच्च गुणवत्ता वाले “दस्तावेज़” सुनिश्चित होते हैं जिन्हें वर्षों तक देखा जाएगा। आरजेएस पीबीएच ने अपनी मौजूदा क्षमताओं पर भी प्रकाश डाला, जिसमें एक पूरी तरह से सुसज्जित स्टूडियो, “ब्रॉडकास्ट ऑन व्हील्स,” एक पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम शामिल है, जो आंदोलन के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों का समर्थन करने और इसके संदेश को व्यापक रूप से प्रसारित करने के लिए अपने मजबूत बुनियादी ढांचे को रेखांकित करता है। चर्चाओं में आचार्य प्रेम भाटिया द्वारा विश्व योग दिवस पर आगामी 22 जून के कार्यक्रम, और 21 जून को विश्व संगीत दिवस कार्यक्रम भी शामिल था, जिसमें त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय उच्चायोग की पूर्व सदस्य सुश्री संगीता पाहुजा सह-आयोजक होंगी।
“ओरिएंटेशन वर्कशॉप एक्सटेंशन” आरजेएस पीबीएच की “पॉजिटिव भारत -उदय ग्लोबल मूवमेंट” और नव-लॉन्च किए गए “पॉजिटिव मीडिया मिशन” के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का एक शक्तिशाली प्रमाण था। प्रमुख आयोजनों के लिए रणनीतिक योजना को एकीकृत करके, एक समर्पित मीडिया मिशन शुरू करके, और व्यक्तिगत जीवन और सामाजिक कल्याण पर सकारात्मक सोच के गहरे प्रभाव पर जोर देकर, कार्यक्रम का उद्देश्य व्यक्तियों को बदलाव के सक्रिय एजेंट बनने के लिए प्रेरित करना था। इसके विविध सदस्यों के सामूहिक प्रयास, सार्वभौमिक कल्याण और 2047 तक विस्तारित दीर्घकालिक रणनीति के एक साझा दृष्टिकोण से निर्देशित, भारत और विश्व स्तर पर सकारात्मकता फैलाने का प्रयास करते हैं, जिससे सभी के लिए अधिक सामंजस्यपूर्ण, उद्देश्यपूर्ण और परस्पर जुड़ा हुआ अस्तित्व प्रेरित होता है।