स्वच्छता पखवारा और वर्ल्ड फूड इंडिया के अवसर पर आरजेएस पीबीएच का प्रभात नमकीन आरडी फूड प्रोडक्ट्स की फ्रैक्टरी में दौरा

स्वच्छता पखवारा और भारतमंडपम में 22 सितंबर तक चल रहे वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 में विजिट करने के बाद 21 सितंबर 2024 को एक ऐसी सेल्फ मेड शख्सियत की कहानी पाॅजिटिव मीडिया के दर्शकों के सामने आ गई जो तमाम युवाओं को प्रेरित करती रहेगी। 

राम-जानकी संस्थान पाॅजिटिव ब्राॅडकास्टिंग हाउस(आरजेएस पीबीएच) परिवार के संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने ग्रेटर नोएडा के इंडस्ट्रीयल एरिया में अवस्थित प्रभात नमकीन,आरडी फूड प्रोडक्ट्स के निदेशक लक्ष्मण प्रसाद और उनके सुपुत्र रवि और प्रभात से मुलाकात की। फिर शुरू हुआ फैक्ट्री का दौरा। इसमें आरजेएस पीबीएच न्यूज़ लेटर के अतिथि संपादक राजेंद्र सिंह कुशवाहा और विशेष तौर पर वर्ल्ड फूड इंडिया भरतमंडपम में निफ्टेम स्टाॅल के एक प्रदर्शक कूक सफारी के निदेशक मार्केटिंग चैतन्य छबि ने अपने अंदाज में सकारात्मक दृष्टिकोण प्रकट किए।पाॅजिटिव मीडिया फैमिली ने पाया कि फैक्ट्री में साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था है। नमकीन के राॅ मैटेरियल से फाइनल प्रोडक्ट्स बनने और पैकेजिंग तक ह्यूमन टच नहीं के बराबर है। फूड प्रोसेसिंग की अत्याधुनिक मशीनों से लैस है प्रभात नमकीन की फैक्ट्री। 

मीडियाकर्मी उदय कुमार मन्ना को प्रभात नमकीन,आरडी फूड प्रोडक्ट्स के निदेशक लक्ष्मण प्रसाद ने सफल उद्यमी बनने की कहानी साझा की। आइए जानते हैं, उनके फर्श से अर्श तक पहुंचने कहानी- एक सफल उद्यमी और एक सफल ब्रांड के मालिक की जुबानी।

लक्ष्मण प्रसाद ने रांची काॅलेज झारखंड से काॅमर्स में  ग्रेजुएशन करने के बाद दिल्ली में 5 साल नौकरी की। वो बताते हैं कि माताजी का बचपन में ही ब्रेन ट्यूमर से निधन हो गया था। पिताजी ने हमें शिक्षा का महत्व बताया और सोच बड़ी रखने का संस्कार दिया।

लक्ष्मण प्रसाद ने बताया कि  मेरी शादी हो चुकी थी और बच्चे भी थे ।ऐसी स्थिति में शायद ही कोई जोखिम लेता है। लेकिन उनका सपना बड़ा था। बड़ा बिजनेस करने का और न केवल स्वयं का रोजगार करने का बल्कि कई और परिवारों का भरण-पोषण करने का। क्योंकि देश में फैली बेरोज़गारी देखकर उन्हें बहुत दु:ख होता था।

इसलिए नौकरी छोड़कर कम लागत में नमकीन का छोटा सा कारोबार दो कारीगरों से शुरू किए और स्वयं मार्केटिंग करने लगे। लक्ष्मण प्रसाद ने बताया कि इस काम में उन्हें पूरे परिवार का सहयोग मिला और उन्होंने सफल होने के लिए जान लगा दी। वो बताते हैं कि  कुरकुरे पन ने उनके नमकीन आइटम की मांग बढ़ा दी।

उन्होंने पहले अपने नमकीन प्रोडक्ट को खिलाकर टेस्ट करवाया और इस तरह से सारे स्टोर वालों ने उनका माल अपने स्टोर में रखना शुरू कर दिया।इस तरह सेल बढ़ती गई और उन्होंने रेट भी और प्रोडक्ट्स और कंपनियों के कॉपरेटिव में सही रखा। धीरे-धीरे नई मशीनों और नई तकनीक से अच्छी क्वालिटी के उत्पादन करने लगे। वो बताते हैं कि प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता पर हम कड़ी निगरानी रखते हैं क्योंकि यह उपभोग की वस्तुएं हैं और हम किसी भी कीमत पर अपने ग्राहकों के स्वास्थ्य से समझौता नहीं कर सकते । नाश्ते की वस्तुओं के उत्पादन के लिए  गुणवत्ता सामग्री जैसे तेल, घी ,बेसन, मैदा आदि का नमकीन के उत्पादन में हाइजेनिक तरीके से उपयोग किया जाता है। वो बताते हैं कि आज हमारे 70 से 80 प्रोडक्ट्स बाजार में है और लगभग सौ कारीगरों और कर्मचारियों की टीम बनाई है। हम दीपावली के अवसर पर नये-नये उत्पाद लांच करने की तैयारी कर रहे हैं। हमने लक्ष्मण प्रसाद के जज्बे को सलाम किया और जयहिंदजयभारत सकारात्मक के साथ संवाद को संपन्न किया। आशा है पाॅजिटिव मीडिया के युवा साथियों को ये सच्ची कहानी पसंद आएगी।