रविवार 21 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस के उपलक्ष में आजादी की अमृत गाथा का 27वां आरजेएस राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित हुआ,जिसमें देश भर से लगभग 100 लोग लाभान्वित हुए ।वेबिनार में महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों को देशभर से जुड़े आरजेएस के पाॅजिटिव स्पीकर्स ओमप्रकाश झुनझुनवाला,डा.पुष्कर बाला, इशहाक खान, रेणु श्रीवास्तव,वैभव भारद्वाज और साजन झा ने आरजेएस फैमिली की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की। ये महापुरुष और स्वतंत्रता सेनानी हैं—-गुरु नानक देव जी ,इंदिरा गांधी ,लाला लाजपत राय, रानी लक्ष्मीबाई,बटुकेश्वर दत्त,छोटू राम, जगदीश चंद्र बोस ,पट्टाभि सीतारामय्या , मिल्खा सिंह ,चंद्रशेखर वेंकटरमन ,झलकारी बाई और ऊदा देवी आदि।
वेबीनार को मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता समाजशास्त्री और समाज सुधारक डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक का स्वागत अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कंजूमर एक्टिविस्ट और आरजेएस के सलाहकार प्रो. बिजाॅन मिश्रा ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में आरजेएस फैमिली को डॉ. पाठक के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। धन्यवाद ज्ञापन आरजेएस ऑब्जर्वर और पूर्व निदेशक एमसीडी दीप चंद्र माथुर ने किया और वेबीनार का सफल संचालन डॉ. पुष्कर बाला प्राचार्या और आरजेएस सूचना केंद्र जमशेदपुर, झारखंड की प्रभारी ने किया।
वेबीनार का आयोजन राम जानकी संस्थान(आरजेएस)नई दिल्ली के राष्ट्रीय संयोजक उदय मन्ना और तपसिल जाति आदिबासी प्रकटन्न सैनिक कृषि बिकाश शिल्पा केंद्र (टीजेएपीएस केबीएसके)प.बंगाल के सचिव सोमेन कोले की अगुवाई में किया गया। इसमें लगभग प्रख्यात कवि-लेखक प.सुरेश नीरव , साहित्यकार डा.बिनय कुमार विष्णुपुरी, डा.नरेंद्र टटेसर आदि सामाजिक चिंतक ,शिक्षा क्षेत्र के बुद्धिजीवी आरजेएस फैमिली और सुलभ इंटरनेशनल के अधिकारी-कर्मचारी और बच्चे भी जुड़े।आजादी की अमृत गाथा-27वें आरजेएस वेबिनार के मुख्य अतिथि सुलभ सैनिटेशन एंड सोशल रिफार्म मुवमेंट के संस्थापक डॉ. बिन्देश्वर पाठक का व्याख्यान ऐतिहासिक रहा।उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों और सत्य पथ से विचलित विचलित हुए बिना स्वच्छता आंदोलन के सफलता की कहानी अपनी जुबानी सुनाई ।
वेबीनार में दर्शकों ने कई बार तालियों से उनका समर्थन किया और तन्मयता से स्वच्छता पर उनकी स्वलिखित कविता पाठ का रसास्वादन किया। । डॉ. पाठक ने कहा कि जैसे अपने बच्चों का लालन-पालन, प्यार दुलार और संरक्षण करते हैं ,वैसे ही स्वच्छता और शौचालय को भी महत्व देने से हम कई बीमारियों से दूर रहेंगे ।उन्होंने कहा कि बहुत कम लोग जानते हैं कि पेशाब 19 तरह का होता है। हमारी कई बीमारियां शौचालय की सफाई से दूर हो सकती हैं। सुलभ को लोग सार्वजनिक शौचालय के नाम से तो जानते ही हैं लेकिन सुलभ ने देश-विदेश में शहरी घरों में भी बेहतरीन टाॅयलेट निर्माण को बढ़ावा दिया है ।सस्ता और सुलभ शौचालय ,मैट्रो सहित गांव गांव में शौचालय निर्माण को बढ़ावा दे रहा है ।
विश्व शौचालय दिवस को इंदिरा गांधी के जन्म दिवस 19 नवंबर पर मनाने का उनके सफल प्रयास को संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी माना। डॉ. पाठक के प्रयासों से ही आज शौचालय विषय या सामाजिक कार्यों को भी पहली बार विश्वविद्यालयों से मान्यता मिली और इसे डिग्री कोर्सेज में शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि अच्छे कार्य करने वालों को पर्याप्त धन और संसाधन मुहैया कराए जाएं , ताकि समाज में सकारात्मक कार्य और प्रयास फले फूले। शुरूआती दिनों में अपने संघर्षों की दास्तान बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने परिवार को भी अपने शौचालय से स्वास्थ्य के मिशन को समझाने का असफल प्रयास किया था। उन्होंने राम-जानकी संस्थान के सकारात्मक कार्यों और प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने अपनी माताजी से मिले संस्कारों का भी जिक्र किया, जो बराबर कहती थी “अपने लिए जिए तो क्या जिए- ऐसा जीवन जिएं जिससे दूसरे भी लाभान्वित हो ” इसी ध्येय वाक्य पर चलते हुए ,गांधी जी के स्वच्छता संदेश को अपने जीवन का मिशन बना लिया। गांधी जी की प्रेरणा से उन्होंने सुलभ इंटरनेशनल संगठन का निर्माण किया और स्वच्छता का सफल आंदोलन चलाया ।मैला ढोने की प्रथा को बंद करवाने में उन्होंने कई राज्यों में प्रयास किए और बहुत सारी महिलाओं को मैला ढोने से मुक्ति दिलाई उनका और उनके बच्चों का शैक्षणिक विकास और पुनर्वास किया। उन्होंने भारत सरकार का आभार व्यक्त किया कि उन्होंने जिसका पुनर्वास किया उसे सरकार ने पद्मश्री सम्मान देकर एक पहचान दी।वेबिनार के अंत में आरजेएस राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने डा.पाठक का आभार व्यक्त किया और अगले रविवार 28 नवंबर को मुनि इंटरनेशनल स्कूल, दिल्ली के सहयोग से आजादी की अमृत गाथा के 29 वें आरजेएस राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित करने की घोषणा की।