चन्द्रकांत शर्मा
आज का युवा फन लविंग है। जोशीला और अंगार से भरा हुआ। वह आज में जीना चाहता है। उम्र का यह वो दौर है जब युवाओं के मन में कुछ कर गुजरने की चाहत उफान पर होती है। यह वर्ग अपने मन की सुनता और करता है। ऐसे ही युवाओं को निर्माता धनराज जेठानी और निर्देशक जसबीर भाटी ने अपनी मुहिम का हिस्सा बनाया है और इस मुहिम को वे फिल्म युवा के जरिए आगे बढ़ा रहे हैं। निर्देशक जसबीर कहते हैं कि हमारी ‘युवा’ निर्देशक मणिरत्नम की युवा से बिल्कुल अलग है। मणिरत्नम की युवा में विचारों की लड़ाई थी और हमारी युवा में कलम की लड़ाई है। फिल्म में बलात्कार जैसे गंभीर और संवेदनशील मुद्दे को एंटरटेन्मेंट के जरिए सामने लाने की कोशिश की गई है ताकि दर्शक फिल्म से जुड़े रहें और फिर सोचने पर मजबूर हो जाएं कि बलात्कार से जुड़े कानून में बदलावा लाना कितना जरूरी है।
निर्माता धनराज जेठानी कहते हैं कि युवा ऐसे लड़कों की कहानी है जो अपनी असीमित उर्जाओं के साथ जीवन को मस्ताने अंदाज़ में जी रहे हैं लेकिन अचानक स्थितियां तब बदलती हैं, जब वे बलात्कार से पीडि़त एक युवती को असहाय स्थिति में देखते हैं। निर्देशक जसबीर भाटी कहते हैं कि निर्भया से हुए बलात्कार के दौरान लोग तमाशबीन और पुलिस मूकदर्शक बनी रही, पर फिल्म युवा में पीडि़त युवती को बचाने के लिए युवाओं ने अपनी परीक्षाओं तक को दांव पर लगा दिया। वे उसे न्याय दिलाने के लिए हर कदम पर सिस्टम से जूझते रहे, पर पीछे हटना उन्हें मंजूर नहीं था। क्या वे पीडि़त युवती को न्याय दिला पाए! इस सवाल का जवाब तो फिल्म ही देगी, लेकिन निर्देशक जसबीर कहते हैं कि हम ऐसे वीभत्स हादसों का समाधान लेकर सामने आ रहे हैं, जो दर्शकों को 2020 का लगेगा और यही तो फिल्म का खास पहलू है। समाधान की तलाश में हम कई कालेजों में गए। स्टूडेंट्स से पूछा कि रेपिस्ट के साथ क्या सलूक किया जाए! सभी ने अपने अपने नजरिए से जवाब दिए और उसी का निचोड़ एक सही समाधान लेकर आया। निर्देशक कहते हैं कि हमने फिल्म से 11वीं-12वीं क्लास के बच्चों को जोड़ा है, जो जीवन को मस्ती भरे अंदाज़ में जीते हैं। अगर कानून में बदलाव या फिर क्रांति लानी है, तो ऐसे युवाओं में फायर पैदा करने की जरूरत है। अगर बच्चों को पैरेंट्स व सीनियर्स से सही गाइडेंस मिले, तो वे एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। हमें यह भी देखना हैं कि ऐसे युवाओं की उर्जा गलत कामों में यूज़ न हो।
निर्देशक कहते हैं कि मैंने फिल्म की कहानी आम लोगों के बीच से ही चुनी है। चूंकि समाज का दर्पण है सिनेमा, इसलिए मेरी फिल्म में भी दर्शक जीवन में घटित होने वाली वास्तविकताओं से रूबरू होंगे। हमें इस प्रोब्लम को समझने की जरूरत है कि आज इंसान के हालात साबुनदानी की तरह हो गए हैं और साबुनदानी वाली यही सोच इस तरह की समस्याएं पैदा कर रही है। निर्भया कांड में अगर एक व्यक्ति भी पीडि़त लड़की की मदद के लिए तुरंत आगे आया होता तो ऐसे हालात पैदा न होते लेकिन युवा के जुझारू लड़कों ने बेसुध पड़ी लड़की को उठाया और न्याय के लिए लड़ते रहे। जब तक हम दूसरों का दर्द महसूस नहीं करेंगे, हालात नहीं बदलेंगे।
फिल्म की क्रिएटिव प्रोड्यूसर रवीना ठाकुर कहती हैं कि हमारी युवा में कोई बड़ा हीरो नहीं है लेकिन स्टोरी-काॅन्सेप्ट ही सबसे बड़ा हीरो है। न्यूकमर्स विक्रांत राय, मोहित भंगेल, रोहण मेहरा, लविन बोठी, मेघव्रत, पूनम पांडे, युक्ति कपूर, शीना बजाज, विनती, शेफाली सिंह, नेहा खान आदि ने अपनी बैस्ट परफोरमेंस दी है। ओमपुरी जिम्मी शेरगिल, रजित कपूर, संजय मिश्रा, अर्चना पूर्ण सिंह और संग्राम सिंह ने फिल्म को वज़नदार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब तो दर्शक ही बता पाएंगे कि दिल्ली व एनसीआर इलाके में फिल्माई गई यूथ बेस्ड फिल्म युवा बाॅक्स आॅफिस पर कितना दमखम दिखाएगी।