त्याग बलिदान शांति और एकता का प्रतीक राष्ट्रीय झंडा अंगीकरण दिवस 22 जुलाई के उपलक्ष्य में रामजानकी संस्थान,आरजेएस नई दिल्ली और तपसिल जाति आदिबासी प्रक्कटन्न सैनिक कृषि बिकाश शिल्पा केंद्र,गुंटेगिरी, हुगली, पश्चिम बंगाल ने उदय मन्ना के संयोजन में उन्नासिवां आजादी की अमृत गाथा वेबिनार का आयोजन किया। इसके सह-आयोजक सिल्वर ओक पब्लिक स्कूल सरूप नगर दिल्ली के चेयरमैन चौ.इंद्राज सिंह सैनी थे। इस स्कूल की प्राचार्या निर्मला देवी ने भारतीय ध्वज के इतिहास और इसके डिजाइनर पिंगली वेंकैया के संघर्षों की दास्तान बताई। उन्होंने आरजेएस फैमिली और सह-आयोजक चौधरी इंद्राज सिंह सैनी की ओर से आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर हर घर राष्ट्रीय झंडा फहराने की अपील की।
वेबिनार में दिल्ली से इशहाक खान, जयपुर से रेणु श्रीवास्तव , पटना से डा मुन्नी कुमारी और दिल्ली से नीरज सोनी ने आरजेएस फैमिली की ओर से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी मंगल पांडे, स्वतंत्रता सेनानी अरूणा आसफ अली, श्यामलाल गुप्त पार्षद और कवि गोपालदास नीरज को श्रद्धांजलि दी। आरजेएस ऑब्जर्वर दीप माथुर ने आगामी 6 अगस्त2022 शनिवार को दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सभागार में होने वाले राष्ट्रीय कार्यक्रम आजादी की अमृत गाथा जय हिंद जय भारत देश भक्ति उत्सव और राष्ट्रीय सम्मान समारोह में आरजेएस फैमिली को आमंत्रित किया उन्होंने सकारात्मक भारत आंदोलन को विस्तार से बताया और 24 जुलाई को आंदोलन के 7 वर्ष पूरे होने की बधाई दी।
भारतीय रेल इंजिन में तिरंगा लगवाने का आगाज करने वाले वाली शख्सियत और वेबीनार में मुख्य अतिथि हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी के उपाध्यक्ष अमित आजाद ने कहा कि 7:30 लाख शहीदों की कुर्बानी से देश आजाद हुआ और यह खून से रंगा राष्ट्रीय ध्वज मिला है ।इसलिए आजादी की 75 वीं वर्षगांठ से पहले आत्मावलोकन के लिए आरजेएस ने सही समय पर सही विषय उठाया है। उन्होंने कहा “मैं अमन पसंद हूं” मेरे शहर में दंगा रहने दो, हमें लाल और हरे रंग में मत बांटो, मेरे छत पर तिरंगा रहने दो।
आयोजित कायर्क्रम के मुख्य वक्ता के तौर पर श्री निखिलेश मिश्रा प्रशिक्षण विशेषज्ञ तथा भारत सरकार की JNNURM में पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी अधिकारी ने कहा कि नागरिको को ध्वजारोहण का अधिकार साल 2002 में नवीन जिंदल के प्रयासों से मिला।
निखिलेश मिश्रा जी ने बताया कि भारतीय नागरिक राष्ट्रीय झंडे को शान से कहीं भी और किसी भी समय फहरा सकते है, बशर्ते कि वे ध्वज की संहिता का कठोरता पूर्वक पालन करें और तिरंगे की शान में कोई कमी न आने दें। उन्होंने भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के तीनों भागों को विस्तार से बताया और आरजेएस फैमिली को इसकी पीडीएफ शेयर की। उन्होंने बताया कि इस ध्वज को आशय पूर्वक भूमि, फर्श या पानी से स्पर्श नहीं कराया जाना चाहिए। इसे वाहनों के हुड, ऊपर और बगल या पीछे, रेलों, नावों या वायुयान पर लपेटा नहीं जा सकता। किसी अन्य ध्वज या ध्वज पट्ट को हमारे ध्वज से ऊंचे स्थान पर लगाया नहीं जा सकता है। तिरंगे ध्वज को वंदनवार, ध्वज पट्ट या गुलाब के समान संरचना बनाकर उपयोग नहीं किया जा सकता। वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय सैनिक संस्था के एनसीआर कन्वीनर राजीव जाॅली खोसला ने कहा कि बड़े लोग और अधिकारी तिरंगे का सम्मान कर आदर्श प्रस्तुत कर समाज को प्रेरित कर सकते हैं।
वेबिनार में भारी संख्या में तिरंगा प्रदर्शित करते हुए देशभर से 75 सकारात्मक व्यक्तित्व, खासकर नई पीढ़ी के बालक और बालिकाएं भी जुड़ीं।