RJS वेबिनार में TRD26 का सकारात्मकता और स्वच्छता के लिए युवाओं का आह्वान ,ग्रंथ 6 रिलीज़ की घोषणा

RJS PBH (राम-जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस) और RJS पॉजिटिव मीडिया के 444वें राष्ट्रीय वेबिनार में वक्ताओं ने 2 अक्टूबर 2025 दशहरा पर्व और गांधी -शास्त्री जयंती व‌ विश्व अहिंसा दिवस को एक अवसर बनाकर दैनिक नागरिक आदतों—अहिंसा, सहानुभूति, अनुशासन और स्वच्छता—को अपनाने की अपील की, ताकि त्योहारों की लौ मंच से उतरकर रोज़मर्रा की जिंदगी में रोशनी बने। 

कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत साधक ओम प्रकाश (RJS पॉजिटिव युवा टोली, पटना) ने मंत्रोच्चार के साथ की। उन्होंने विजयादशमी को “विजयोत्सव” बताते हुए कहा, “आइए सत्य और अहिंसा के द्वारा अपने भीतर की लौ जलाएं और एक समाज की तरह हाथ में हाथ डालकर चलें,” और मातृशक्ति को प्रणाम किया। उन्होंने बताया कि नवरात्र के नौ दिनों में RJS परिवार ने प्रतिदिन पूजा के वीडियो साझा किए, ताकि अनुशासन और सामूहिकता की भावना सुदृढ़ हो।आरजेएस पीबीएच के संस्थापक और राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने युवाओं से प्रश्न रखकर चर्चा का स्वर तय किया. 

युवा संचालिका और आरजेएस क्रिएटिव टीम की प्रमुख आकांक्षा मन्ना ने नैतिक आग्रह को सीधे शब्दों में रखा: “अहिंसा निष्क्रिय नहीं है। यह सबसे सक्रिय सकारात्मक प्रतिरोध है,” और गांधीजी का कथन उद्धृत किया—“हम जो करते हैं और जो कर सकते हैं, उनके बीच का अंतर दुनिया की अधिकांश समस्याओं को सुलझाने के लिए पर्याप्त होगा।” प्रश्नोत्तर में उन्होंने जोड़ा, “हम हर साल रावण जलाते हैं, ताकि हमें अपने भीतर की नकारात्मकता घटाने की याद रहे। उन्होंने युवा टोली के लिए विशेष कार्यक्रम की घोषणा की। आरजेएस पाॅजिटिव युवा टोली की ओर से पूजा कुमारी,प्रिन्सी , उमंग और हर्ष मालवीय आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के कार्यक्रम निदेशक सुनील कुमार सिंह ने पर्व की विश्वव्यापी छवि पर प्रकाश डाला। उन्होंने गिरमिटिया देशों—त्रिनिदाद व टोबैगो, गुयाना, सूरीनाम, मॉरीशस और फिजी—में गरबा, डांडिया, पंडाल और शोभायात्राओं की परंपरा का जिक्र किया।

कवयित्री और टीआरडी26 रति चौबे—जिन्होंने शूर्पणखा पर लेखन किया है—ने रावण के “दस सिर” को भीतर की विकृतियों—क्रोध, ईर्ष्या, अहं आदि—का प्रतीक बताया।

देवास, मध्य प्रदेश से लोकगायक–संपादक दयाराम मालवीय ने दिन को “ऐतिहासिक” बताते हुए दशहरा को “अच्छाई की बुराई पर, ज्ञान की अज्ञान पर विजय” बताया। टीआरडी 26 के डीपी कुशवाहा ने गांधी–शास्त्री को सादगी और ईमानदारी का प्रतीक बताया। युवा प्रश्नोत्तर में डा.कविता परिहार ने कहा, रावण दहन बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव है।स्वच्छता , सकारात्मकता और मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के स्पष्ट निष्कर्ष बनकर उभरे।

श्री मन्ना ने गणतंत्र दिवस पर आरजेएस पीबीएच का ग्रंथ 6— छठी पुस्तक—रिलीज़ होगी। दस्तावेज़ीकरण, युवा मंचों के विस्तार और महिला नेतृत्व के सशक्तिकरण के साथ आयोजकों ने सकारात्मकता की विजय को एक दिन के अनुष्ठान से आगे, साल भर चलने वाली नागरिक परंपरा बनाने का आह्वान किया।