अलग प्रकार की है फिल्म है ‘एबीसीडी’: रेमो डिसूजा

प्रेमबाबू शर्मा

डांस डारेक्टर रेमों की फिल्म ‘एबीसीडी’ रीलिज की तैयारी में है। डांस पर आधारित इस फिल्म के बाद  रेमो की अगली फिल्म मारधाड पर आधारित है। चर्चा है कि यह उनकी अपनी जीवनी पर आधारित है। रेमो का क्या फिल्म के बारे में क्या कहना है जानते है उनकी ही जुबानी।

‘फालतू’ की सफलता ने इस फिल्म के प्रति दर्शकों की अपेक्षाएं काफी बढा दी हैं। क्या कहना है आपका?
सही कहा आपने। जब किसी की पहली फिल्म हिट होती है, तो स्वाभाविक रूप से उसकी दूसरी फिल्म पर दबाव काफी बढ जाता है, लेकिन उस दबाव को झेलने के लिए मेरे पास प्रभुदेवा जैसे उम्दा डांसर हैं। ‘डांस इंडिया डांस’ के विनर सलमान, धर्मेश, प्रिंस, मयुरेश और रुशाली की हिम्मत भी है। मुझे डांस से लगाव है और दर्शकों को मुझसे। मैं जानता हूं कि पब्लिक को क्या पसंद है। ‘एबीसीडी’ में उनकी पसंद के सारे मसाले हैं।

थ्री डी में ही फिल्म को लाने का आइडिया किसका था?
मेरा ही था। फिल्म की शूटिंग शुरू करने से पहले मैं दो चीजों का प्रयोग करने का मन बना चुका था। एक फिल्म को थ्री डी में शूट करना है और दूसरा इंडस्ट्री के सर्वश्रेष्ठ डांसरों को चांस देना है। उनसे डांस और अदाकारी
दोनों करवाना है। 


खबर है कि यह आपकी जिंदगी पर आधारित है?
नहीं, पूरी तरह से ऐसा नहीं है। यह छुपे रुस्तम की कहानी है। हां, मेरी जिंदगी में तीन ऐसी घटनाएं घटीं थीं, जिन्होंने मेरी जिंदगी बदलकर रख दी। उन तीन घटनाओं को भी कहानी की शक्ल दी गई है। ग्लैमर की दुनिया में कदम रखने से पहले मेरी जिंदगी मुंबई की सडकों और गलियों में बीती है। लिहाजा, एक तरीके से फिल्म आत्मकथा यानी ऑटो बायोग्रॉफिकल कही जा सकती है।

डांस के अलावा क्या कुछ है इस फिल्म में?
इमोशन! इस फिल्म में सुविधाविहीन डांसरों की जिंदगी में आने वाली तकलीफों का जिक्र है। किस तरह वे अपने सपने को मूर्तरूप प्रदान करते हैं। यही इस फिल्म की कहानी है। इसके अलावा फिल्म दोस्ती, प्यार और ताकत हासिल करने की कहानी है। फिल्म में वे सभी इमोशन हैं, जिनसे दर्शक जुडाव महसूस करेंगे।

प्रभुदेवा को किस तरह इस फिल्म के लिए मनाया?
मैंने फिल्म ही उनको ध्यान में रखकर लिखी थी। मैंने जब कहानी उन्हें सुनाई तो वे तुरंत मान गए। उन्होंने सिर्फ एक ही परेशानी हिन्दी भाषा को लेकर जताई, जिसे हमने आसानी से सॉल्व कर लिया। वे खुद भी एक सफल निर्देशक हैं, लेकिन वे उस रूप को लेकर नहीं आए। सेट पर उनका रवैया सहयोगपूर्ण रहा। उन्होंने आते ही मुझसे कहा कि मुझे निर्देशक नहीं एक एक्टर की तरह ही ट्रीट करो।

डांस पर ही आधारित फिल्म क्यों बनाई आपने?
मेरी पूरी जिंदगी डांस के तौर पर बीती है।