द्वारका श्री रामलीला: पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की गरिमामयी उपस्थिति में 211 फीट ऊंचे रावण का दहन, लाखों दर्शकों ने मनाई अच्छाई की बुराई पर विजय

नई दिल्ली, द्वारका: 12 अक्टूबर 2024 की शाम द्वारका में दशहरा के अवसर पर आयोजित श्री रामलीला में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की गरिमामयी उपस्थिति ने इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन को और भी भव्य बना दिया। लाखों की संख्या में उपस्थित दर्शकों ने दशहरे के इस विशेष आयोजन का हिस्सा बनते हुए न केवल राम-रावण युद्ध का जीवंत मंचन देखा, बल्कि 211 फीट ऊंचे रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों के दहन का भव्य नजारा भी देखा।

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का संबोधन: धर्म और सत्य की महत्ता पर जोर

इस अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने अपने प्रेरणादायक संबोधन से लाखों दर्शकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “दशहरा सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि यह अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। भगवान राम का जीवन और उनकी शिक्षाएं हमें यह सिखाती हैं कि सत्य और धर्म का मार्ग हमेशा सही होता है, चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो।”

उन्होंने भगवान राम के आदर्शों की प्रासंगिकता पर जोर देते हुए देशवासियों को आह्वान किया कि वे राम के आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करें और समाज में नैतिकता, न्याय और शांति का प्रसार करें। राम नाथ कोविंद के इस संदेश ने आयोजन में उपस्थित लाखों लोगों को गहराई से प्रभावित किया।

211 फीट ऊंचे रावण का दहन: बुराई के विनाश का प्रतीक

पूर्व राष्ट्रपति के संबोधन के बाद दशहरे का मुख्य आकर्षण 211 फीट ऊंचे रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों का दहन था। यह विशाल और भव्य पुतले बुराई के विनाश और अच्छाई की विजय का प्रतीक थे। जैसे ही रावण का पुतला जलकर ध्वस्त हुआ, दर्शकों में उत्साह और उल्लास की लहर दौड़ गई। लाखों लोगों ने इस दहन का आनंद लिया और आतिशबाजी के अद्भुत दृश्य ने आकाश को रोशनी और रंगों से भर दिया।

द्वारका में आयोजित यह भव्य आयोजन रामायण के आदर्शों को जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है, जहाँ अच्छाई की हमेशा विजय होती है। राम-रावण युद्ध के मंचन से लेकर विभीषण के राज्याभिषेक और रामराज्य की स्थापना तक के दृश्य ने दर्शकों को न केवल मनोरंजन प्रदान किया, बल्कि धार्मिक और नैतिक संदेशों से भी प्रेरित किया।

पूर्व राष्ट्रपति की उपस्थिति से और भी गौरवान्वित हुआ आयोजन

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की उपस्थिति ने द्वारका श्री रामलीला को एक नई ऊँचाई दी। उनकी गरिमामयी उपस्थिति और प्रेरणादायक शब्दों ने इस महोत्सव को एक खास रंग और महत्ता दी। राम नाथ कोविंद ने रामलीला के इस भव्य आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा बताया और आयोजकों की सराहना की।

लाखों दर्शकों की उपस्थिति

द्वारका श्री रामलीला में इस साल लाखों लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की, जिससे यह आयोजन और भी भव्य और उत्साहजनक बन गया। दर्शकों ने राम-रावण युद्ध, रावण दहन और विभीषण के राज्याभिषेक के दृश्यों का गहरा आनंद लिया। हर उम्र के लोगों ने इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन का हिस्सा बनकर अपने जीवन में धर्म, सत्य और नैतिकता के महत्व को समझा।

आयोजन के मुख्य संरक्षक का संदेश

द्वारका श्री रामलीला सोसायटी के मुख्य संरक्षक श्री राजेश गहलोत ने आयोजन की सफलता पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “यह सिर्फ एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि यह हमारे युवाओं को रामायण के आदर्शों के माध्यम से धर्म, नैतिकता और कर्तव्य की शिक्षा देने का एक महत्वपूर्ण मंच है। पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी विशेष बना दिया।”

आस्था, धर्म और प्रेरणा का उत्सव

द्वारका श्री रामलीला के इस समापन ने दर्शकों के दिलों में अच्छाई की शक्ति और बुराई पर विजय के संदेश को गहराई से अंकित किया। लाखों दर्शक भगवान राम के आदर्शों से प्रेरित होकर, धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने का संकल्प लेकर अपने घर लौटे। द्वारका श्री रामलीला का यह आयोजन आने वाले वर्षों में भी इसी भव्यता और धार्मिक आस्था के साथ लोगों के दिलों में स्थान बनाए रखेगा।