पर्यावरण रक्षा हेतु सादा जीवन-उच्च विचार अपनाने के संकल्प के साथ आरजेएस की 70वीं शिखर बैठक संपन्न

सकारात्मक जीवन के लिए स्वच्छ पर्यावरण जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस साल राम जानकी संस्थान,नई दिल्ली द्वारा तीन राज्यों असम, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में बैठकें की गई। दो जून को दीनदयाल-रेशमदयाल ने गाजियाबाद और चार जून को विशाल जैन ने गुवाहाटी तथा 5 जून को रिखबचंद जैन ने दिल्ली में विश्व पर्यावरण दिवस की बैठकें आयोजित की। 

विश्व पर्यावरण दिवस पर पांच जून को करोलबाग दिल्ली में आरजेएस की 70वीं सकारात्मक बैठक के आयोजक टी.टी.लिमिटेड के चेयरमैन रिखबचंद जैन ने आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया को बताया कि देशभर के उनके कैंपस में धुम्रपान, गुटखा व मांसाहार निषेध है और हरियाली का भरपूर ध्यान रखा गया है।टी.टी. लिमिटेड के कैंपस में छोटे-बड़े बाग-बगीचों में ज्यादातर फलदार हैं । बैठक में करोलबाग कैंपस के पेड़ों से तैयार नींबू की शिकंजी और बेल के शर्बत का स्वाद  मीडिया कर्मियों को गर्मी से राहत दे रहा था। बैठक से पहले करोल बाग कैंपस में  आम, अनार, नींबू, बेल, नारियल और अशोक और कई तरह के छायाधार वृक्षों के बीच रिखबचंद जैन के साथ आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया का फोटो सेशन भी हुआ । तत्पश्चात कैंपस में स्थित शिव मंदिर में बैठक प्रारंभ हुई जिसमें स्वच्छ पर्यावरण के लिए ज्वलंत मुद्दों पर बातचीत हुई ।श्री जैन ने बताया कि सादा जीवन और उच्च विचार के साथ ही पर्यावरण की रक्षा संभव है।

राष्ट्रीय मतदाता संगठन के संस्थापक अध्यक्ष होने के नाते उन्होंने इस मुद्दे को मतदाताओं तक जाने की बात कही।जनप्रतिनिधि अगर सही काम नहीं करें तो राईट टू रिकॉल का कैंपेन भी चला रहे हैं। सिविक सेंस को देश में बढ़ावा देने के लिए स्कूल स्तर से प्रयास जरूरी हैं।बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुई श्री जैन ने कहा कि पाॅश काॅलोनियों में बढ़ते कूड़े  के ढेर को सादा जीवन और उच्च विचार द्वारा एक हद तक पर्यावरण की रक्षा की जा सकती। वहीं विकसित देशों को प्रदूषण के इलाज के लिए आर्थिक प्रावधान करना चाहिए ।ई-कचरा अभी भी चुनौती बना हुआ है।टेक्सटाइल उद्योग पर्यावरण के लिए बेहद सुरक्षित है, लेकिन डाइंग -ब्लीचिंग में प्रदूषण होता है। इसलिए तो सरकार स्वीकृत  प्लांट है, कपड़े वहीं रंगाई- धुलाई के लिए जाते हैं । कपड़ा उद्योग में केमिकल और मैनमेड फाइबर जैसे  पाॅलिस्टर फाइबर बनाने में कई तरह के रासायनिक द्रव्य का प्रयोग होता है। और इसकी ब्लीचिंग और डाई होती है ।जबकि कॉटन फाइबर पर्यावरण के लिए सबसे सुरक्षित है।

यही नहीं कपड़ा उद्योग की पैकेजिंग कार्डबोर्डस् और कार्टूंस की होती है जो प्रदूषण नहीं करते । अगर प्लांट में प्रदूषण नियंत्रण ‌के लिए वाटर ईफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट सही काम करें तो प्रदूषित अपशिष्ट पदार्थ को निकलने से रोका जा सकता है ।श्री जैन ने कहा कि  प्राकृतिक तरीकों फूलों, पत्तों,पौधों और विशेष मिट्टी के रंग से निकालकर डाई किए जाएं तो पर्यावरण की रक्षा की जा सकती ।बैठक में आरजेएस स्टार पत्रकार दम्पति रेशमदयाल-दीनदयाल, मनीष सिन्हा, जितेंद्र कुमार,उमेश कुमार, जयप्रकाश श्रीवास्तव, ब्रम्हानंद झा ,संजय माही, विकास शर्मा और टी.टी. लिमिटेड के मीडिया प्रभारी महेंद्र सिंह राणा भी मौजूद थे। बैठक के अंत में सभी मीडिया कर्मियों को आयोजक की तरफ से उपहार भी प्रदान किए गए ।