आरजेएस पीबीएच ने बुद्ध पूर्णिमा पर शांति, समृद्धि और ज्ञानोदय के मार्ग का किया अन्वेषण

गहन वैश्विक चुनौतियों के बीच गौतम बुद्ध की प्राचीन शिक्षाएं व्यक्तिगत शांति और सामाजिक सद्भाव का एक सशक्त मार्ग प्रदान करती हैं। यह संदेश बुद्ध पूर्णिमा 12 मई 2025 को राम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) के संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना द्वारा आयोजित एक विस्तृत ऑनलाइन मंच पर दृढ़ता से रेखांकित किया गया। पटना, बिहार की एक अधिवक्ता और शिक्षिका तथा कार्यक्रम की सह-आयोजक डॉ. मुन्नी कुमारी ने बुद्ध की यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डाला। दुनिया को बुद्ध चाहिए युद्ध नहीं। बुद्ध के जीवन की तीन प्रमुख घटनाएं जन्म, ज्ञान और महापरिनिर्वाण सभी वैशाख पूर्णिमा के दिन हुईं,” उन्होंने सकारात्मक जीवन के लिए बुद्ध का संदेश “अप्प दीपो भव और  मध्यम मार्ग” अपनाने की सलाह दी।

आरजेएस की श्रृंखला के 358वें कार्यक्रम का प्रारंभ क्रिएटिव टीम की प्रमुख और इतिहास में पीएचडी की तैयारी कर रही आकांक्षा मन्ना के निर्देशन में गौतम बुद्ध पर तैयार शाॅर्ट फिल्म से हुई।इसमें चार आर्य सत्यों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के नालंदा बिहार स्थित नव नालंदा महाविहार विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रोफेसर रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव(परिचय दास) ने आधुनिक शिक्षा, राजनीति और अर्थशास्त्र में बुद्ध के विचारों की “पुनर्व्याख्या” का भी आह्वान किया, जिसमें करुणा और ज्ञान पर आधारित समाज की वकालत की गई। उन्होंने जेठियन से राजगीर तक वार्षिक शांति पथ यात्रा (पैदल यात्रा) के अनुभव साझा किए, जिसमें पूर्व कुलपति भी शामिल हुए थे, जो बुद्ध के पदचिन्हों पर चलते हुए शांति को बढ़ावा देने के लिए नव नालंदा महाविहार द्वारा आयोजित 14-16 किलोमीटर की सकारात्मक यात्रा है।

उन्होंने बुद्ध की शिक्षाओं को आधुनिक जीवन के लिए एक वैज्ञानिक और नैतिक ढांचे के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने जोर देकर कहा, “बुद्ध को समझना हमारे जीवन में विज्ञान को समझना है,” बुद्ध के अनुभवजन्य, अनुभवात्मक दृष्टिकोण पर बल देते हुए: “किसी बात पर इसलिए विश्वास न करें क्योंकि दूसरे करते हैं। आओ, देखो और अपने व्यक्तिगत अनुभव पर विश्वास करो।”

नागपुर की प्रसिद्ध कवयित्री रति चौबे ने अपनी स्वरचित कविता “ज्ञान के ज्योति पुंज बुद्ध थे, अंधकार चीर के राह दिखाई” प्रस्तुत की। सेवानिवृत्त शिक्षिका सरिता कपूर ने “जो शुद्ध है वहीं बुद्ध है” प्रस्तुत किया।

कई प्रतिभागियों ने व्यक्तिगत चिंतन और अनुभव साझा किए। बिहार के आशीष रंजन ने बोधगया का विशद विवरण प्रदान किया, जिसमें महाबोधि मंदिर में अंतरराष्ट्रीय तीर्थयात्रियों की प्रथाओं का वर्णन किया गया। महाराष्ट्र की कमल शर्मा ने तीन बौद्ध शरणों (त्रिशरण) का पाठ किया, जबकि डी. पी. कुशवाहा ने मध्यम मार्ग के महत्व पर बात की। डॉ. कविता परिहार ने नागपुर में बोध स्तूप की जीवंतता को एक प्रमुख बौद्ध केंद्र के रूप में उजागर किया। निशा चतुर्वेदी,विपुल विश्वास, गार्गी जोशी,और डा.आरके गुप्ता भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

आरजेएस पीबीएच न्यूज़ लेटर के अतिथि संपादक राजेंद्र सिंह कुशवाहा ने घोषणा की कि भगवान बुद्ध पर पढ़ी गई कविताओं को आरजेएस के न्यूज़लेटर कविता विशेषांक में प्रकाशित किया जाएगा जिसका लोकार्पण 30 मई को नई दिल्ली में होगा।

श्री मन्ना ने आगामी 15 मई को सायं 6 बजे “संयुक्त राष्ट्र विश्व परिवार दिवस” पर आरजेएस युवा टोली, पटना द्वारा कोऑरगेनाइज वेबिनार भारत एक परिवार विश्व एक घर में शामिल होने के लिए सभी को आमंत्रित किया।

इसमें माॅस्को(रूस), इंग्लैंड, बिहार और दिल्ली से लब्धप्रतिष्ठित अतिथि संबोधित करेंगे। कार्यक्रम की सह-आयोजक डा. मुन्नी कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन में विश्व स्तर पर सकारात्मक सोच फैलाने के आरजेएस के मिशन पर जोर दिया और कहा, “महात्मा बुद्ध के सकारात्मक विचार -ध्यान, शांति और आत्म-संयम से संपूर्ण मानवता का उत्थान हो सकता है । उन्होंने टेक्निकल टीम का आभार व्यक्त किया जिन्होंने कार्यक्रम का आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया यूट्यूब पर लाइव प्रसारण किया।