राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा रामलीलाओं में भगवान वाल्मीकि पूजन करवाने का निवेदन


( एस. एस. डोगरा)

आगामी नवरात्रों में आयोजित होने वाली भगवान राम की लीला के उत्सव की तैयारी जोरों पर है.  और भगवान राम मर्यादा के पालनकर्ता व सामाजिक समरसता के आधार पुरुष है। जहाँ उनका जीवन मर्यादाओं में बंधा था वहीं उनके जीवन का हर क्षण समाज में समरसता का परिचायक था। बचपन की कथाएं हो या गुरुकुल का समय हो।

वनवास के 14 वर्ष तो समाज को समरस बनाने के अनेक प्रसंगों से भरा पड़ा है। फिर चाहें केवट का उदहारण हो या फिर शबरी के बेर खाने का प्रसंग। वनवास के अंतिम वर्ष में तो वन जातियों को एकत्र कर माँ जानकी को लंका से वापिस लाने का पूरा युद्ध ही वन जातियों के आधार पर लड़ा। उनके इस जीवन को रामायण के माध्यम से भगवान वाल्मीकि ने सर्व समाज के सामने प्रस्तुत किया। जिसके आधार पर आज हम रामलीलाओं का मंचन करते है। मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम के जीवन को समाज के समक्ष भगवान वाल्मीकि ने जिस श्रद्धा भाव से रखा, उससे उस समय के समाज की स्थिति और सर्व समाज ने कैसे एकजुट होकर राक्षस वृत्ति को समाप्त किया, उसका वर्णन समाज को देखने को मिलता है। सामाजिक समरसता के अनुपम उदाहरण भगवान वाल्मीकि ने रामायण के माध्यम से हमारे समक्ष प्रस्तुत किये हैं, जिनका आज समाज अनुसरण कर रहा है। इस मंचन में भगवान वाल्मीकि की चर्चा करते ही होंगे। उसी को स्मरण कराते हुए भगवान राम के साथ भगवान वाल्मीकि का पूजन उल्लास पूर्वक हो। रामलीला समिति की योजना से जिस दिन केवट और माता शबरी का प्रसंग हो उस दिन सभी समाज के प्रतिनिधियों को बुलाकर पुजन का कार्यक्रम रखें, इसी विषय को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, द्वारका जिले की सामाजिक समरसता, ने आगामी  समस्त रामलीलाओं आयोजनों में आयोजकों से भगवान वाल्मीकि का पूजन करवाने का निवेदन किया है.