नई दिल्ली: 23 अप्रैल 2019 को वीर कुँवर सिंह फ़ाउंडेशन द्वारा प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम 1857 के महानायक बाबू वीर कुँवर सिंह का 162 विजयोत्सव समारोह कांस्टीट्यूशन क्लब, रफ़ी मार्ग, नई दिल्ली में धूमधाम से मनाया गया ।अतिथियों के रूप में भारत में मॉरीशस के हाई कमिश्नर श्री जगदीश गोवर्धन, पद्मश्री मालिनी अवस्थी, वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय (अध्य्क्छ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र), आई ए एस अधिकारी और एन डी एम सी की सचिव श्रीमती रश्मी सिंह तथा ने शिरकत की। वीर कुँवर सिंह फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष श्री निर्मल कुमार सिंह ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि फ़ाउंडेशन को इस बात पर गर्व है कि उसके द्वारा पिछले बाईस वर्षों से अनवरत नई दिल्ली में 23 अप्रैल को वीर कुँवर सिंह का विजयोत्सव समारोह मनाया।
आयोजन का मक़सद है ‘इतिहास-बोध’विजयोत्सव समारोह. इस आयोजन का मक़सद अपने ‘इतिहास-बोध’ को बचाए रखना है जिसे आज की आधुनिकता और बाज़ार मिलकर लगातार निगल रही है।निर्मल सिंह ने कहा की कुँवर सिंह लोक के नायक थे और जो लोक का नायक नहीं हो सकता वह राष्ट्र का भी नायक नहीं हो सकता। सामाजिक समरसता और सद्भाव 1857 की मूल प्रेरणा है। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ साथ एक सेमिनार का भी आयोजन किया गया जिसका विषय था ‘ 1857 की क्रांति की सामाजिक चेतना: संदर्भ वीर कुँवर सिंह’।
भारत में इतिहास ठीक से नहीं लिखा गयापद्मश्री मालिनी अवस्थी ने कहा कि ऐसे पुरखों हैं १८५७ के जिनको याद करने की एक श्रृंखला है । परंतु भारत में इतिहास ठीक से लिखा नहीं गया। स्रुति परंपरा ने इतिहास लिखा है, भारत के इतिहास लेखन में इन आवाज़ों को दबा दिया गया। इतिहास विवादों का घर हो गया है, अब झलकारी बाई, गंगाराम धानुक जैसे लोगो को भी याद करना होगा ।वह लोक कथाओं में इतिहास की किताबों से ज्यादा जगह लिए हुए हैं।
श्रीमतीरश्मी सिंह ने कहा कि कुँवर सिंह और १८५७ की सामाजिक चेतना एक प्रेरणा है आज की समस्याओं को हल करेगी । फ़ाउंडेशन इतिहास को सजीव करते सामने रखता है इसलिए वह आज के चिंतन को प्रभावित करता है।
इतिहास ना जानने का दर्द सबसे ज्यादाश्री जगदीश गोवर्धन ने कहा कि इतिहास ना जानने का दर्द मुझे सबसे ज्यादा है ।हम भोजपुरिया ग़रीब लोग थे पर कम संसाधनों में लड़ना और जुड़ना जानते हैं। यह कुँवर सिंह जैसे लोगो से सिखा कर गए । मॉरीशस आज भोजपुरी के लिए लड़ रहा है , भोजपुरी कुँवर सिंह की जन्मभूमि की भाषा थी ।हमें राजभाषा हिन्दी के साथ साथ भोजपुरी भाषा को भी विश्व में सम्मान दिलाना है।कार्यक्रम में सांस्कृतिक गीतों की शानदार प्रस्तुति हुई।
ख़ुश्बू तिवारी एवं मधु पांडेय के कुँवर सिंह एवं १८५७ पर आधारित गीतों ने मंत्रमुग्ध किया।बटोहिया गीत नए अन्दाज़ में पेश हुआ।कार्यक्रम में बहुत हीं सम्मान के योग्य लोगों ने भाग लिया।दिनेश्वर राय,मुकेश सिंह,प्रदीप पाण्डेय,अलोक वत्स,दिनेश प्रताप सिंह,एच पी सिंह,दीपक ज्योति,अमरेंदर सिंह,श्रीकांत विद्यार्थी,अम्बुज सिंह,सतेंदर सिंह,पी एस सिंह,सोनिया संजय सिन्हा, कृपशंकर गुप्ता. आर एन सिंह,एस के सिंह,राकेश परमार,जितेन्दर तिवारी, निजाम्मुद्दीन, बजरंगी प्रसाद ,रूबी सिंह,प्रियम्बदा सिंह,गुर्विंदर सिंह,के के सिंह,धनंजय सिंह,मनु सिंह,रघुवंश सिंह सेंगर आदि मौजूद रहे।