अशोक कुमार निर्भय
दिल्ली मैट्रो की सुरक्षा पर सवाल खड़े होते है की किस प्रकार भू माफियाओं में मैट्रो पिलरों के नीचे बड़े बड़े भूखंडों पर अवैध निर्माण कर व्यवसायिक गतिविधियां चला रखी है। ऐसी ही एक खतरे का कारन बनी अवैध और गैर क़ानूनी रूप से कब्ज़ा करके फुटपाथ पर बनाई दुकान और गाड़ियों में ट्रू वैल्यू (सच्ची कीमत) नामक गाड़ियों के शो रूम तक खुले दिखयी दे गए । मोतीनगर चौक के साथ कीर्ति नगर मैट्रो स्टेशन से निकलते ही यह सुरक्षा में सेंध लगाती कम्पनियाँ सरकारी भूमि पर कब्ज़ा करके करोड़ों के वारे न्यारे करके अपना उल्लू सीधा कर रही है।वहीँ दिल्ली मैट्रो रेल कार्पोरेशन अपनी आँखे बंद करके किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है यहां मैट्रो की सुरक्षा में लगे बड़े अधिकारीयों को यह अतिक्रमण नज़र नहीं आता ?आलम यह है कि कोई भी देशविरोधी किसी भी समय कोई भी आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दे सकता है। क्योंकि फूटपाथ पर कब्ज़ा करके रेलिंग लागा दी गयी है और उसमें पुरानी नयी करों की कतार कड़ी रहती है। जिससे सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह लगता है की कैसे मैट्रो अधिकारीयों ने यह कब्ज़ा होने दिया और निगम को कब्ज़ा हटाने के लिए क्यों नहीं कहा ?
प्राप्त जानकारी के अनुसार निगम के अधिकारीयों और स्थानीय नेताओं की शय के कारण इनपर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। स्थानीय पुलिस को भी मलाई खाने को मिल रही है तो उसने भी कभी कब्जे को रोकने की ज़हमत नहीं उठाई। फूटपाथ पर बनी अवैध पार्किंग भी जहां यातायात बाधित कर रही है यहाँ सेंकडों गाड़ियां अवैध रूप से पार्क होती है जिसपर करोलबाग़ जोन निगम और दिल्ली ट्रैफिक पुलिस भी कोई कार्रवाई नहीं करती। वही ठीक मैट्रो पिलर के नीचे होने से आतंवादियों को गताना को अंजाम देने के लिए अपनी सहमति मैट्रो अधिकारीयों,स्थानीय पुलिस,करोलबाग जोन के निगम अधिकारीयों के कारण दी हुई प्रतीत होती है। बहराल दिल्ली मैट्रो इन अतिक्रमणों और मैट्रो पिलरों के नीचे कब्जों से कब मुक्त करता है यह तो आने वाले समय में पता चलेगा।