मारीशस के विश्व हिंदी सम्मेलन में भारतीय कला का परचम लहराकर भारत वापस लौटे विश्ववख्यात चित्रकार रूपचन्द , विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने की सराहना

विदेश मन्त्री सुषमा स्वराज ने रूपचन्द इंस्टीटयूट ऑफ फाईन आर्ट, अशोक विहार, दिल्ली के चार कलाकारों द्वारा मॉरिशस में भारतीय संस्कृति पर आधारित दीर्घ केनवस पेंटिंग को खूब सराहा । ग्यारहवें विश्व हिंदी सम्मेलन 18 से 20 अगस्त तक मारिशस में 16 फीट लंबी एक चित्रकृति का निर्माण हुआ जिसे भारत के चार जाने माने चित्रकार जो राजधानी के रूपचन्द इंस्टीट्यूट ऑफ फाईन आर्ट से संबद्ध हैं सम्मेलन के दौरान इन चित्रकारों ने निरन्तर चित्र निर्माण किया व् अंतिम दिन इस दीर्घ पेंटिंग की प्रदर्शनी भी की गई ! ये चित्रकार हैं डॉ. स्नेह सुधा, श्री सुनील दत्त ममगाईं, श्री हर्षवर्धन आर्य और श्री रूपचन्द !
इन चारों चित्रकारों को इस कार्य हेतु विदेश मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से आमन्त्रित किया गया था। इनके चित्रों की प्रदर्शनियां देश विदेश में होती रही हैं ! हाल ही में इनकी प्रदर्शनी इटली के मिलान शहर में लगी थी ! इसके पूर्व ताशकंद, जर्मनी, चेक, स्लोवाकिया, और वियना में भी इनके चित्रों की प्रदर्शनी हो चुकी हैं ! 18 अगस्त को भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ ने विश्व हिंदी सम्मलेन का उद्घाटन किया ।


इस अवसर पर विदेश राज्य मंत्री श्री वी.के.सिंह, संयुक्त सचिव श्री अशोक कुमार जी, मॉरीशस में द्वितीय सचिव श्रीमती नूतन पांडेय सहित प्रसिद्द साहित्यकार और गगनांचल पत्रिका के सम्पादक डॉ. हरीश नवल, अशोक चक्रधर, डॉ. जीत राम भट्ट, फिजी में नियुक्त द्वितीय सचिव श्री अनिल जोशी, डॉ. आशीष कंधवे, मिसेज इंडिया नार्थ श्रीमती कंचन शर्मा, डॉ. रवि शर्मा, डॉ. विवेक गौतम, श्री गुलशन सुखलाल, श्री विनय गुदारे सहित हिंदी के महाकुम्भ में विभिन्न देशों से पधारे अनेक साहित्यकार, हिंदी रसिकों ने इस कला निर्माण का आनन्द लिया । कृति निर्माण के पश्चात चारों चित्रकारों ने कलाकृति को संयुक्त सचिव श्री अशोक कुमार जी को सौंप दिया। मॉरीशस और भारत के वरिष्ठ अधिकारीयों में इस कलाकृति को लेकर आपसी चर्चा देखने को मिलि कि यह दीर्घ पैंटिंग भारत में लगेगी या मारीशस में ! इसका निर्णय विदेश मन्त्रालय भारत सरकार लेगी !

मॉरीशस में भारतीय संस्कृति के प्रचार -प्रसार में संलग्न आई सी सी आर के केंद्र की निदेशक विदुषी आचार्या प्रतिष्ठा सारस्वत जी ने चारों चित्रकारों डॉ. स्नेहसुधा नवल ,श्री सुनील ममगाईं, श्री रूपचन्द और हर्षवर्धन आर्य को स्मृतिचिह्न देकर सम्मानित किया व् चारों चित्रकारों ने भी अपनी एक एक मूल कृति इन्हे भेंट की। मारीशस में भारतीय कला का परचम लहराकर ये चारों चित्रकार शुक्रवार को भारत वापस लौटे। द आर्ट आफ गिविंग फाउंडेशन ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष दयानंद वत्स ने भारत लौटने पर चित्रकार रुपचंद और उनकी टीम को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं दीं। श्री वत्स ने कहा कि चित्रकार रुपचंद भारत की नई पीढी के ऐसे पहले उभरते हुए उदीयमान कलाकार हैं जिनमें भारतीय कला और संस्कृति कूट- कूट कर भरी है। श्री दयानंद वत्स ने भारत सरकार से माग की है कि विदेशों में भारतीय कला के प्रचार प्रसार और संवर्द्धन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए.भारतीय चित्रकार रुपचंद को पदमश्री से सम्मानित किया जाए।