रामनवमी विशेष

प्रो. उर्मिला पोरवाल सेठिया 

बैंगलोर

हमारी भारतीय संस्कृति धर्मपरायण संस्कृति है, जहाँ प्रत्येक त्य©हार अपनी विषेशता लिए हुए है। उन्हीं विशेष त्योहारों में एक त्यौहार  है – रामनवमी !!!!

रामनवमी अर्थात भगवान श्रीराम का जन्मदिन…………राम जन्म के कारण ही हिन्दू धर्म में चैत्र मास का बहुत महत्व है। भारत वर्ष में यह दिन पुण्य पर्व माना जाता है। इस दिन स्नान ध्यान पूजन, दान व्रत आदि किए जाते है।

राम का नाम सुनते ही हमारे मानसपटल पर एक मर्यादा पुरुषोत्तम व्यक्ति की छवि अंकित होती है। श्रीराम का चरित्र आदर्शवादी है, जिनसे संसार का प्रत्येक व्यक्ति प्रेरणा लेता है। संसार की प्रत्येक माता अपने पुत्र में राम को देखना चाहती है। क्योंकि राम ने अपने जीवन काल में अपनी प्रत्येक भूमिका का निर्वाह श्रष्ठतापूर्वक किया- गुरु सेवा, शरणागत की रक्षा, जाति-पाँति का भेद मिटाना हो या भ्रात -प्रेम, मातृ-पितृ भक्ति, एक पत्नी व्रत, भक्त वत्सलता, कर्तव्यनिश्ठता, आदि चरित्र के महान रूप हमारे समक्ष राम ने प्रस्तुत किए है।

भारत में चैत्र माह में रामचरितमानस के पारायण की परम्परा सदियों पुरानी है। वाल्मिकी रामायण में इसका विस्तारपूर्वक वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि जब भगवान अवतरित होते हैं, तो वे जन्म ही ऐसे समय लेते है जब ग्रह- नक्षत्रों की स्थिति शुभ होती है। श्रीराम ने भी ऐसे ही समय में जन्म लिया, जब ग्रहों की स्थिति सुन्दर थी व ऋतु एवं समय सुहावना था।


वाल्मिकी रामायण में श्रीराम के जन्मदिन का विवरण इस प्रकार है-
तत¨ यज्ञेतु ऋतुनां शट् समत्ययु;।
ततष्च द्वादषे मासे चैत्रे नावमिके तिथ:।।

अर्थात यज्ञ समाप्ति के पश्चात जब छह ऋतुएं बीत गई, तब बारहवें मास में चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र व  कर्क लग्न में माता कोशल्या नेे दिव्य लक्षणों से युक्त, सर्वल¨कवंदित राम को जन्म दिया।

गो स्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में राम जन्म का मन¨हारी वर्णन इस प्रकार किया है-
नमी तिथि मधुमास पुनीता ।
सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता।।

मध्य दिवस अति सीत न धामा।
पावन काल ल¨क बिश्रामा।।

भगवान विश्णु के अवतार श्रीराम के व्यक्तित्व से भारतीय जनता भलिभाँति परिचित है। रामनवमी के दिन सभी धर्मिक कर्मकाण्ड यहीं स¨चकर किए जाते है कि राम की तरह ही हम भी अपने जीवनकाल में आदर्श प्रस्तुत करें।